Prashasnik Kona: प्रशासनिक कोना: मलाईदार विभाग का प्रभारी बनते ही साहब की वसूली शुरू….. आखिर सीटी बजाने वाले साहब की कैसे बोलती हुई बन्द??? ऊंट पर बैठकर बकरी मत चराओ के डायलॉग का अधीनस्थों पर क्या हुआ असर????विस्तार से पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम प्रशासनिक कोना में……
Prashasnik Kona: Administrative Corner: As soon as he became in-charge of the lucrative department, the boss started extorting money

प्रभार में शुरू हुई साहब की वसूली
पिछले दिनों जिले के जनप्रतिनिधियों की नाराजगी के बाद जिले से रूखसत होना पड़ गया, जबकि उन्हें रिटायरमेंट को महज दो माह का समय बचा था। कहा जा रहा है कि उनकी हद से अधिक बदनियति के कारण रवानगी का कारण बन गया। उनके स्थान पर आमला के एक साहब को प्रभारी बनाया गया, लेकिन यह साहब भी नहले पर दहला मारने पर पीछे नहीं रह रहे हैं। प्रशासनिक गलियारों में चर्चा है कि साहब को यह बात अच्छे से पता है कि किसी भी समय भोपाल से आदेश निकलकर फुलफ्लैश अधिकारी की नियुक्ति हो सकती है।
इसी वजह वे मौके पर चौका मारते हुए अपने अधीनस्थ विभाग के अलग-अलग ब्लाकों में दौरा कर मीनमेख निकालकर उल्लू सीधा कर रहे हैं। एक ब्लाक में तो उन्होंने बड़ी डिमांड कर डाली, इसलिए यह खबर मीडिया तक पहुंच गई। आमला में रहते हुए साहब ने मलाई मारने में पीछे नहीं थे। अब प्रभार मिलने के बाद पांचों उंगली से मलाई मारने का प्रयास कर रहे हैं। बताते चले कि यह साहब लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े एक विभाग के प्रमुख कहे जा सकते हैं।
सिटी बजाने वाले की बोलती बंद हुई
सिटी बजाकर आवाजाही संभालने वाले एक साहब ने पिछले दिनों एक दुकान से दूसरी दुकान जा रही शराब की 2-3 शराब की पेटी पकड़ ली। इसके बाद साहब को ठेकेदार का फोन घनघनाया, तब उन्होंने कहा कि महीना तो खत्म होने दो सेवा का लिफाफा मिल जाएगा। चूंकि तीन पेटी शराब पकड़ी थी, इसलिए सिटी बजाने वाले साहब तहस में आ गए। ठेकेदार ने सख्त लहजे में कहा कि तुम्हारा लिफाफा स्थाई रूप से बंद कर दूंगा। इसके बाद लोकल वाले के अलावा नर्मदापुरम और भोपाल वाले सुपर बॉस तक भी जाऊंगा। यह सुनकर पिछले पांच वर्षों से एक ही जगह सिटी बजाने वाले साहब के हाथ पांव फुल गए। उन्हें समझते देर नहीं लगी की मामला बिगड़ गया। मजबूरी में उन्होंने शराब की पेटी छोड़ने में ही भलमंशा समझी।
बकरी मत चराओ, 12 बजा दूंगा
यह फिल्मी डायलॉग इन दिनों एक बड़े अफसर पर सटीक बैठ रहा है। सुबह 9 बजे यह साहब संभाग में बैठे साहब के साथ समय सीमा की क्लास लगाते हैं। इसका असर यह होता है कि बड़े साहब विभाग प्रमुखों की समीक्षा के लिए सप्ताह में एक बार बैठक आयोजित कर उनकी खाल निकाल रहे हैं। कुछ मामले में तो साहब के तेवर इतनी तीखे होते हैं कि अधिकारियों को बोलने का मौका नहीं मिलता। कुछ दिनों से साहब का फेवरेड डायलॉग ऊंट पर बैठकर बकरी मत जराओ, नहीं तो 12 बजा दूंगा। से अधिकारी दहशत में है। हाल ही में हुई बैठक में साहब ने यह डायलॅाग मारा तो कुछ अधिकारी बैठक से तौबा करने की तैयारी में है, चाहे बैठक में न जाने पर नोटिस ही क्यों न मिल जाए।