Betul News: दो जनपद में घोटाले की जांच अभी भी कछुआ चाल
Betul News: Investigation of scam in two districts is still going at a snail's pace

एसपी ने एसआईटी तो बनाई, एक पखवाड़े में दस्तावेज ही एकत्रित नहीं हुए, आरोपियों का सुराग नहीं, प्रशासन की जांच कमिश्नर के पाले में
Betul News: बैतूल। जिले के भीमपुर और चिचोली आदिवासी बाहुल्य जनपद क्षेत्रों में 13 करेाड़ से अधिक के गबन के मामले में पुलिस की कार्रवाई भी कटघरे में आ खड़ी हो गई है। कहने को तो एसपी ने एसआईटी गठित कर जांच का जिम्मा शाहपुर एसडीओपी मयंक तिवारी को सौंपा है, लेकिन 20 दिनों में एसआईटी ने दस्तावेज ही एकत्रित नहीं किए हैं। यह बात खुद एसडीओपी ने कबूल की है। इस मामले में बनाए गए आरोपी खुलेआम घूम रहे हैं। किसी की भी गिरफ्तारी नहीं होना एसआईटी की जांच पर सवाल खड़ा कर रहा है। जबकि दांवा किया जा रहा है कि आरोपी और अधिकारियों से लेकर पंचायतों के कुछ सचिवों के साथ लगातार मोबाइल पर चर्चा की जा रही है।
जिले के सांसद, जिला पंचायत अध्यक्ष और विधायक भी इस घोटाले में आरोपियों पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री से लेकर कलेक्टर तक को पत्र लिख चुके हैं। जनप्रतिनिधि पुलिस के अधिकारियों से भी मामले में कार्रवाई के लिए लगातार संपर्क रहने की बात कह रहे हैं। इसके विपरित स्थिति यह है कि प्रशासन की जांच ठंडे बस्ते में चल रही है तो पुलिस की जांच कछुवा चाल से। यही वजह है कि आरोपियों को गबन के मामले में जरा भी डर नहीं लग रहा है। चर्चा चल रही है कि मामले में आरोपी बनाए गए राजेंद्र सिंह परिहार, सुमित सोनी समेत अन्य आसानी से इधर उधर घूम रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी आरोपियों को बचाने के आरोप लग रहे हैं, लेकिन न तो जिला प्रशासन और न पुलिस मामले में निष्पक्ष कार्रवाई की स्थिति स्पष्ट कर पा रही है।
ऐसे ही चली जांच तो आरोपियों को मिल जाएगी जमानत
जैसे की पूर्व में बड़े घोटाले में पुलिस की भूमिका कटघरे में थी। 13 करोड़ के इस प्रकरण में भी पुलिस की भूमिका पर सभी सवाल उठा रहे हैं। दरअसल पूर्व में जेएच कालेज में करोड़ों के हेरफेर में एक प्राचार्य को बचाने के लिए जमकर राजनैतिक हस्तक्षेप हुआ और प्राचार्य को अभयदान मिल गया। दूसरे प्राचार्य को भी जमानत का अवसर मिलना पुलिस का ढुलमूल रवैए को बता रहा है। यदि पुलिस मामले में आरोपियों की गिरफ्तारी कर चालान समय पर पेश कर देती तो शायद इस मामले में शासकीय धन का दुरुपयोग करने वालों का चेहरा बेनाकाब हो जाता।
मामले में बनाए गए अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के सार्थक प्रयास नहीं किए गए। अब ठीक इसी तरह चिचोली और भीमपुर में 13 करोड़ के इस घोटाले में पुलिस का ढुलमूल रवैया खासा चर्चा बटोर रहा है। कहा जा रहा है कि दस्तावेज एकत्रित न होने के कारण पुलिस की कार्रवाई में विलंब हो रहा है, जबकि जानकार का कहना है कि आरोपियों को पुलिस पकड़ ले तो रिमांड लेकर दस्तावेज समेत कई सबूत हाथ लग सकते हैं, लेकिन पता नहीं पुलिस पर ऐसा कौन सा दबाव है कि एसआईटी न तो दस्तावेज एकत्रित कर पाई है और न आरोपियों की गिरफ्तारी कर सकी है।
जिपं की जांच अब कमिश्रर के पाले में
इधर एक जानकार सूत्र ने बताया कि कलेक्टर नरेंद्र सूर्यवंशी की नाराजगी के बाद भीमपुर और चिचोली जनपद में हुए घोटाले में जिला पंचायत ने वरिष्ठ अधिकारी से जांच कराई थी। इसकी रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कराई, दो आउटसोर्स कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी। इसके बावजूद जांच में जनपद सीईओ को क्लीनचिट देने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। जिपं द्वारा अब सीईओ पर कार्रवाई के लिए कमिश्रर को प्रस्ताव भेजने की बात कही जा रही है, लेकिन अब तक नर्मदापुरम कमिश्रर कार्यालय से इस तरह के कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं। वैसे कमिश्रर के बारे में कहा जाता है कि तेज तर्रार और काम के प्रति ईमानदार बताए जाते हैं। इसी वजह उनकी कार्रवाई का सभी को इंतजार है।
इनका कहना….
इस मामले में बड़ा हेरफेर हुआ है। इसी वजह दस्तावेज एकत्रित करने में समय लग रहा है। एक सप्ताह में दस्तावेज एकत्रित कर लिए जाएंगे। आरोपियों की गिरफ्तारी भी शीघ्र की जा रही है।
मयंक तिवारी, एसआईटी प्रमुख एवं एसडीओपी शाहपुर
हमारी एक जांच चल रही है। सीईओ पर कार्रवाई को लेकर प्रस्ताव कमिश्रर साहब को भेजा जा चुका है। वहां से निर्देश मिलने के बाद ही कार्रवाई होगी।
अक्षत जैन, सीईओ, जिपं बैतूल