Betul Samachar: जिले की 91 सोसायटी प्रशासकों के भरोसे, एक के पास 10 से 15 समितियों के प्रभार

Betul Samachar: 91 societies of the district rely on administrators, one has charge of 10 to 15 committees.

10 वर्षों में भी नहीं हो पाए सहकारिता के चुनाव, ठंडे बस्ते में पड़ा मामला

Betul Samachar: बैतूल। जिले में पिछले 10 सालों से सहकारिता के चुनाव सम्पन्न नहीं होने का सीधा असर सोसायटियों के काम काज पर पड़ रहा है। हालात यह हैं कि, सहकारिता के अंतर्गत आने वाली जिले की 91 सोसायटी प्रभारियों(प्रशासकों) के भरोसे चल रही हैं। इनमे कई सोसायटियां ऐसी हैं। जिनका काम-काज प्रबंधक देख रहे हैं। प्रभारियों को समस्या यह आ रही है कि वे भी सोसायटियों का कामकाज नियमित नहीं कर पा रहे। ऐसे में प्रत्येक सोसायटी सिर्फ रामभरोसे ही संचालित हो रही है।

एक अधिकारी के पास 10 से 15 सोसायटियों का प्रभार

सहकारिता के क्षेत्र में संचालक मंडल का चुनाव न होने से जिले की 91 सोसायटियां संचालक मंडल विहीन संचालित हो रही हैं। बड़ी बात यह है कि सोसायटियों में सहकारिता से जुड़े अधिकारी ही पिछले 10 वर्षों से सोसायटियों में प्रशासक की भूमिका निभा रहे हैं। इनमें सब ऑडिटर, सीनियर कॉपरेटिव इंस्पेक्टर और कॉपरेटिव इंस्पेक्टर शामिल हैं, जिन्हें करीब 10 से 15 सोसायटियों का प्रभार सौंपा गया है। ऐसे में इन अधिकारियों को अपने मूल काम के अलावा सोसायटियों के काम काज अलग से देखने पड़ रहे हैं।

प्रभार वाली सोसायटियों को यह अधिकारी उतना समय नहीं दे पा रहे, ताकि समय पर कार्य सम्पादित हो सकें। लिहाजा सोसायटी प्रबंधक अपने हिसाब से ही काम काज निपटा रहे हैं। यदि आज चुनाव करवा लिए जाएं तो काफी हद तक समस्याओं का समाधान हो सकता है, लेकिन ऐसा क्यों नहीं हो पा रहा है? इसका जवाब अधिकारियो के पास भी नहीं है।

मन में दबे हैं क्षेत्रीय नेताओं के मंसूबे

आमतौर पर सहकारिता के चुनावों पर क्षेत्रीय नेताओं की नजरे टिकी रहती हैं, ताकी उनकी राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ सके, लेकिन पिछले 10 सालों से ऐसे क्षेत्रीय नेताओं की महत्वाकांक्षाएं मन मे ही दबी हुई हैं। नेताओं के मन मे भी चाहत है कि सहकारिता के चुनाव कराए जाएं लेकिन प्रक्रिया ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। इधर सहकारिता से जुड़े अधिकारी भी आदेशों और निर्देशों पर ही निर्भर हैं। अधिकारियों का मानना है कि चुनावी कार्यक्रम शासन और निर्वाचन पर निर्भर है।

चुनाव कब होने हैं, कब नहीं या क्यों नहीं हो रहे, इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। हालांकि पूर्व में चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू की गई थी। सदस्यता सूचियों का प्रकाशन भी कराया गया था, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। संचालक मंडल होने से काफी हद तक कामकाज जहां समय पर पूर्ण हो जाते हैं तो काम में पारदर्शिता भी बनी रहती है। यदि शासन या निर्वाचन से इस संबंध में कोई निर्देश जारी हों तो प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सकती है। जो भी है, लेकिन चुनाव न होने के चलते बिन सहकार नहीं उद्धार का सरकार का नारा बुलंद नहीं हो पा रहा है।

इनका कहना….

संचालक मंडल नहीं होने से कामकाज प्रभावित तो हो रहा है। चुनाव को लेकर अभी शासन से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं। निर्देश मिले तो तैयारी करेंगे।

के के शिव, उप पंजीयक सहकारी समितियां, बैतूल

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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