Betul Samachar: नो एंट्री जोन को लेकर व्यापारियों में दो फाड़, इसलिए बिगड़ रही शहर की यातायात व्यवस्था
Betul Samachar: There is a tussle among traders regarding no entry zone, hence the traffic system of the city is deteriorating.

बैतूल पहला ऐसा शहर, जहां रेलवे की रैक बाजार के निकट लग रही, स्थाई व्यवस्था नहीं होने से भी बढ़ी परेशानी
Betul Samachar: बैतूल। हमारे शहर की बेतरतीब यातायात व्यवस्था की यहां से निकलकर दूसरे शहरों तक चर्चा होना अब आम बात हो गई है। इसके लिए न सिर्फ वाहन चालक बल्कि शहर के व्यापारी भी बराबर के जिम्मेदार है। यह बात इसलिए दावे से कही जा रही है कि स्वहित साधने के चक्कर में मुख्य बाजार कोठीबाजार और गंज की यातायात व्यवस्था लगातार बेपटरी हो रही है, लेकिन इसके सुधार के लिए यातायात समिति में लिए गए प्रस्ताव से लेकर जनप्रतिनिधि के निर्देश भी हवा बन गए हैं। भविष्य में संभावना नहीं दिख रही है कि नो एंट्री जोन में वाहनों का प्रवेश कब प्रतिबंध होगा।
ऐसा नहीं है कि हमारे शहर में जनप्रतिनिधि और अधिकारी नहीं है। दोनों का एक मजबूत आधार स्तंभ होने के बावजूद शहर की बिगड़ती यातायता व्यवस्था को पटरी पर लाने के सारे प्रयास विफल होते जा रहे हैं। दरअसल यह बात दावे के साथ कही जा सकती है कि केवल हमारा बैतूल शहर ऐसा है जहां पर वाहनों की संख्या हर वर्ष बढ़ती जा रही है, लेकिन यातायात व्यवस्था को सुचारू करने पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। नतीजन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। यातायात पुलिस भी इस समस्या का हल निकालने में नाकाम साबित हो रही है। हालांकि इसके लिए सीधे तौर पर यातायात पुलिस को जिम्मेदार ठहराना बेइमानी होगी, क्योंकि यातायात पुलिस का काम व्यवस्था बनाना है, इसके पालन की बात करें तो आम लोग और व्यापारी ही सहयोग नहीं कर पा रहे हैं। यही वजह है कि शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारू करने में अघोषित ग्रहण लग गया है।
व्यापारियों का अपना एजेंडा
व्यापारी भले ही कहते आ रहे हैं कि उनके वाहन यदि शहर में माल लोड नहीं करेंगे तो जिले के दूसरे स्थान पर सामग्रियों का वितरण का काम ठप हो जाएगा, लेकिन जानकार बताते हैं कि नो एंट्री जोन बनाने के बावजूद शहर के गंज और कोठीबाजार क्षेत्र में बड़े वाहनों की आवाजाही से ट्रैफिक बेहाल हो रहा है। व्यापारियों के दबाव के कारण ही जनप्रतिनिधि भी अपने वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाह रहे हैं, इसलिए व्यवस्था सुधरने के बजाए लगातार बिगड़ती जा रही है। सुबह से शाम तक नो एंट्री जोन में बड़े वाहनों के प्रवेश करने से बार-बार जाम लग रहा है और विवाद की स्थिति भी बन रही है। इसके बाद सुझाव दिया जा रहा है कि पूर्व की तरह रात आठ बजे के बाद यदि दुकानों से वाहन लोड किए जाए तो आधी समस्या का हल हो सकता है, लेकिन अपने फायदें के लिए गंज और कोठीबाजार के व्यापारी राजी नहीं हो रहे हैं, इसलिए समस्या कम होने के बजाए लगातार बढ़ रही है।
रेलवे की रैक ने बढ़ाई सबसे अधिक मुसीबत
यहां चौकाने वाली बात यह है कि बैतूल ऐसा शहर है जहां पर शहर के बीच में रेलवे का माल गोदाम है। यहां अक्सर रैक लगने के कारण बड़े वाहन आने से यातायात व्यवस्था को ठप कर रहे हैं। मरामझिरी में गुड शेड्स निर्माण के लिए प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन इसे कितना अरसा लगेगा, यह कह पाना मुश्किल है। इसी वजह यातायात बिगाड़ने के लिए रेलवे की रैक भी जिम्मेदार कहीं जा सकती है। कई व्यापारियों की मंशा रहती है कि जब रैक उतरे तो गाड़ी लगाकर सामान उतार ले, लेकिन कुछ व्यापारी यहां पर भी अड़ियल रवैया अपनाते हैं। इसी वजह रेलवे की रैक के कारण नो एंट्री जोन बनाना यातायात पुलिस के लिए चुनौति बन गया है। यदि बाहरी वाहन शहर से बाहर हो जाए तो अपने आप व्यवस्था बन जाएगी, लेकिन रेलवे की रैक जब तक शहर से बाहर नहीं होगी, तब तक सारे प्रयास कर लिए जाए, लेकिन व्यवस्था वैसे ही बनी रहेगी।
इनका कहना…
छोटे-छोटे मामलों को लेकर यातायात पुलिस को दोष देना ठीक नहीं है। शहर में वाहनों की संख्या बढ़ रही है। नो एंट्री जोन में बड़े वाहन और रेलवे की रैक लगने से अक्सर जाम की स्थिति बन रही है। इसके लिए दूसरा प्रयास हम रेलवे को भी पत्र लिखकर करेंगे। यदि रेलवे गुड्स शेड शहर के बाहर हो जाए तो आधी समस्या का वैसे ही निदान हो जाएगा
निश्चल एन झरिया, एसपी बैतूल