Betul Ki Khabar: चार माह में भी सड़क सुरक्षा समिति के प्रस्तावों पर अमल नहीं
Betul Ki Khabar: Road Safety Committee's proposals not implemented even in four months

सांसद-विधायकों के सुझावों को भी समिति ने हवा में उड़ाया, शहर में यातायात की स्थिति पूर्व की तरह
Betul Ki Khabar: बैतूल। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठकों में क्षेत्र के सांसद (केंद्रीय मंत्री) और विधायकों को सम्मान के साथ बुलाकर उनसे सुझाव लिए जा रहे हैं। यह सम्मान उस समय अपमान में परिवर्तित हो रहा है, जब उनके सुझावों को ही अधिकारियों ने रद्दी की टोकरी में डाल दिया। दरअसल समिति की बैठक में शहर की चरमराई यातायात व्यवस्था पर सांसद और विधायकों ने जो महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे, इस पर महज औपचारिकता निभाई गई। किसी भी विभाग ने सांसद और विधायकों के सुझाव पर अमल करना बेहतर नहीं समझा। यह पूरी तरह से चुने हुए जनप्रतिनिधियों के अपमान की श्रेणी में आ रहा है।
बताया जाता है कि नियमानुसार हर तीन माह में जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक आहूत की जाती है, लेकिन बैतूल में ऐसा नहीं हो रहा है। नियम से गत 23 जुलाई को हुई बैठक के बाद अक्टूबर माह में दूसरी बैठक आयोजित करना था। इसके बावजूद दिसंबर माह लगने पर भी समिति की बैठक नहीं रखी गई। चौकाने वाली बात तो यह है कि 23 जुलाई को आहूत बैठक में जितने बिंदुओं पर चर्चा कर अमल करने की तैयारी की थी, वह भी टाय-टाय फिश हो गया है। यानी समिति की बैठक में रखे गए एजेंडे-प्रस्तावों की अधिकारियों ने ही हवा निकाल डाली।
दूसरी चौकाने वाली बात यह सामने आई है कि बैठक में केंद्रीय मंत्री दुर्गादास उइके समेत जिले के पांचों विधायक हेमंत खंडेलवाल, महेंद्र सिंह चौहान, डॉ योगेश पंडाग्रे, चंद्रशेखर देशमुख और गंगा बाई को भी आमंत्रित किया था। बैठक की अध्यक्षता कलेक्टर ने नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने की थी। सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में सांसद और विधायकों से अधिकारियों ने सुझाव मांगें तो उन्होंने यातायात व्यवस्था पर कई महत्वपूर्ण मामलों में ध्यान आकर्षित कराया, लेकिन सड़क सुरक्षा समिति की बैठक को पांच माह होने के बावजूद उनके सुझावों पर अमल नहीं किया गया।
इससे सांसद और पांचों विधायकों की खुलेतौर पर अवहेलना हो रही है। सांझवीर टाईम्स जनहित के इस मुद्दें पर शहर की बिगडै़ल यातायात व्यवस्था को सुधारने के लिए समिति की पूर्व बैठक में लिए निर्णय का ध्यान जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की ओर आकर्षित करा रहा है। उनसे सवाल किए जाएंगे कि समिति की बैठक में उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर कितना अमल हुआ है और कितना नहीं। इसके बाद अधिकारियों से भी समिति की बैठक के एजेंडे पर चर्चा कर आम लोगों के बीच यह ज्वलंत विषय रखा जाएगा, ताकि अधिकारी भी भूल-भुलैया वाली आदतों में सुधार लाए।
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात
23 जुलाई को जिला सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में जनप्रतिनिधियों के अलावा कलेक्टर, जिला परिवहन अधिकारी, कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी, सीएमओ नपा बैतूल, यातायात प्रभारी, प्रधानमंत्री सड़क के महाप्रबंधक और पुलिस अधीक्षक मौजूद थे। बैठक में न सिर्फ जनप्रतिनिधियों न बल्कि अधिकारियों ने भी सुझाव दिए। पहली बार ऐसा लग रहा था कि बैठक में लिए गए प्रस्तावों पर अमल होगा। इसका असर भी जल्द ही देखने को मिला और समिति की बैठक के बाद लिए गए निर्णयों पर अमल करने की शुरुआत हुई। कुछ दिनों तक बैठक में लिए गए निर्णयों का सख्ती से पालन हुआ, लेकिन जैसी कि संभावना थी हुआ भी ठीक वैसा ही।
दरअसल चार दिन की चांदनी और फिर अंधेरी रात वाली कहावत यहां पर चरितार्थ हो गई और न तो हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि और न अधिकारियों ने बैठक में लिए निर्णयों पर फालो करने का प्रयास किया। नतीजा यह है कि बैठक में लिए गए करीब एक दर्जन से अधिक प्रस्ताव पर अमल नहीं हो सका है। इनमें कौन-कौन प्रस्ताव लिए गए थे और किन पर अमल हुआ, हम प्रयास करेंगे कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों का ध्यान इस ओर दिलाया जाए और शहर की यातायात व्यवस्था दुरुस्त हो सके।