Betul News: कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं होने से पूर्व सीएमओ भदौरिया की हुई रवानगी
Betul News: CMO Bhadauriya's departure due to lack of control over employees

एई, उपयंत्री और कर्मचारियों ने निर्देशों की लगातार की अवहेलना, इसलिए नपाध्यक्ष और पार्षदों की बढ़ी नाराजगी
Betul News: प्रकरण 01- ओमपाल सिंह भदौरिया ने सीएमओ नपा के साथ परियोजना अधिकारी जिला शहरी विकास अभिकरण होने के नाते बैतूल बाजार नपा के सीएमओ विजय तिवारी द्वारा श्रीजी कालोनी के प्लाटों को अनुबंध मुक्त करने के लिए 8 लाख रुपए की रिश्वत ली थी। यह आरोप बैतूलबाजार की नेत्री नीतू राठौर ने मुख्यमंत्री को जुलाई माह में की थी। इसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर एसडीएम ने परियोजना अधिकारी को जांच करने के लिए कहा।
भदौरिया ने मामले में नपा एई नीरज धुर्वेे को जांच सौंपी, लेकिन महत्वपूर्ण मामले में तीन माह बाद भी जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। उन्होंने इस मामले में अपनी व्यवस्तता का हवाला देकर जांच से अपने आप को दूर करते हुए फौरी तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे बैतूलबाजार सीएमओ को जैसे क्लीनचिट दे दी।
प्रकरण:2- सारणी नपा सीएमओ पर एक भाजपा नेता कलेक्टर को भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच करने की मांग की थी। चौकाने वाली बात यह है कि मार्च माह में इस मामले की जांच कलेक्टर ने एसडीएम शाहपुर के नेतृत्व में ईई पीडब्ल्यूडी, ईई पीएचई और बैतूल नपा के एई नीरज धुर्वे को सौंपी थी। सात माह में जांच पूरी नहीं होने पर शिकायतकर्ता ने फिर कलेक्टर का दरवाजा खटखटाया तो 8 अक्टूबर को कलेक्टर ने नाराजगी जाहिर करते हुए दोबारा इस संबंध में पत्राचार किया, फिर वस्तुस्थिति सामने आई कि जांच रिपोर्ट भेज दी गई है। यहां पर भी बैतूल नपा के एई की व्यवस्तता आड़े आई और कलेक्टर के आदेश की अवहेलना सात माह तक होते रही।
बैतूल। उपरोक्त दो उदाहरण बैतूल नपा की लापरवाही को बताने के लिए काफी कहे जा सकते हैं। वैसे तो लापरवाही का लंबा चि_ा है। यदि पार्षदों के दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान की गई शिकायतों को अवलोकन कर लिया जाए तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी कि किस तरह बैतूल नपा के नुमाइंदें कितनी लापरवाही कर रहे हैं। इसी लापरवाही का खामियाजा एक बेहतरीन अधिकारी और काम के प्रति सजग रहने वाले सीएमओ ओमपाल सिंह भदौरिया को स्थानांतरित होकर भुगतना पड़ रहा है।
भदौरिया टीम वर्क के साथ काम करना चाहते थे, लेकिन उनके कामों पर अधीनस्थों ने ऐसा पलीता लगाया कि पार्षदों की नाराजगी आउट आफ कंट्रोल हो गई और विधायक को मजबूरी में सीएमओ का तबादला कर दूसरे सीएमओ की नियुक्ति करना पड़ा।
बैतूल नपा में लगभग 300 अधिकारी और कर्मचारियों का बड़ा स्टाफ है। इसके बावजूद समय पर काम न होना यहां का रूतबा बनते जा रहा है। हालात यह हो गई है कि द्वितीय और तृतीय श्रेणी अधिकारी अपने आप को सीएमओ से कम नहीं समझते हैं। यही वजह है कि न सिर्फ पार्षद और नपा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष को भी मजबूरी में नाराजगी जताते हुए विधायक हेमंत खंडेवाल को शिकायत करनी पड़ी।
चूंकि सीएमओ नपा के प्रमुख है, इसलिए उन्हें व्यवस्थाओं में सुधार लाने के निर्देश दिए गए। इस संबंध में पूर्व सीएमओ भदौरिया ने मौखिक और नोटिस से भी अधीनस्थों को समझाइस दी गई, लेकिन नतीजा सिफर निकला। अंतत: पार्षदों की लगातार शिकायत बढ़ने के बाद एक अच्छे अधिकारियों को महज 14 माह में जिले से रवानगी देना पड़ रहा है।
भदौरिया को अविस्मरणीय कार्यकाल के याद रखा जाएगा
अगस्त 2023 में पदस्थ हुए ओमपाल सिंह भदौरिया को दो वर्ष बैतूल में रहे अक्षत बुंदेला के स्थान पर पदस्थ किया गया था। एक सुलझे हुए अधिकारी के रूप में अपने कार्यकाल की शुरुआत की। उन्हीं के नेतृत्व में बैतूल नपा को स्वच्छता में दो बार राष्ट्रीय और प्रादेशिक पुरस्कार से नवाजा गया। पिछले दिनों उन्होंने देश में ऐसा पहला नवाचार किया है, जहां शहर के 103 स्कूलों के 13 हजार बच्चों को एक साथ स्वच्छता का पाठ पढ़ाया गया।
यह नवाचार न सिर्फ प्रदेश बल्कि दिल्ली में भी खूब सराह गया और गांधी जयंती पर दिल्ली में आयोजित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में नपा अध्यक्ष पार्वती बाई बारस्कर, नपा सीएमओ ओमपाल सिंह भदौरिया को देश के चुनिंदा अध्यक्षों के साथ यहां आमंत्रित किया गया था। यह बैतूल के लिए किसी बड़ी उपलब्धी से कम नहीं कहा जा सकता है, लेकिन उनके नवाचारों और कार्यक्षमता को नपा के लापरवाह अधिकारी और कर्मचारियों ने पलीता लगा दिया और तबादला होकर कीमत चुकानी पड़ी।
लापरवाहों पर नोटिस बेअसर, फटकार का नतीजा नहीं
चौकाने वाली बात यह है कि बैतूल नपा के अधिकारियों और कर्मचारियों को नोटिस का कोई असर नहीं पड़ता है। यही स्थिति कर्मचारियों की भी है। यदि नपा के तीन उपयंत्रियों की बात करें तो इनकी कोई बड़ी उपलब्धी नहीं है, जिसके लिए इन्हें कभी पुरस्कृत किया गया हो। राजस्व अमले के एक निरीक्षक, एक उपनिरीक्षक और दर्जनभर सहायक उपनिरीक्षक को भी तगड़ा वेतन मिलता है, लेकिन अतिक्रमण हटाने के अलावा बड़ी उपलब्धी हासिल नहीं कर सके।
हर मर्तबा नोटिस के बावजूद वित्तीय वर्ष समाप्ति के पहले नपा का राजस्व लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया। स्वच्छता शाखा की बात करें तो यहां पर दो निरीक्षक है, लेकिन स्वच्छता सरंक्षण में बैतूल की गाड़ी वन स्टार पर ही सिमटकर रह गई। वर्षों से बैतूल नपा टाप टेन की सूची में शामिल नहीं हो पाया है। रही बात शेष शाखाओं की तो यहां पर भी कर्मचारी अपने मर्जी के मालिक बन बैठे हैं। यही वजह नपा बैतूल में अंधेर नगरी चौपट राजा जैसी कहावत चरितार्थ होते रही है।
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