Betul Samachar : जलसंसाधन- राजस्व के वर्चस्व ने बटामा में कालोनाइजरों को पनपने का दिया मौका
Betul Samachar: Dominance of water resources and revenue gave opportunity to colonizers to flourish in Batama.

दोनों विभागों के अलग-अलग तर्क, इसी वजह नहर माफियाओं के कब्जे में
Betul Samachar : बैतूल। कई किसानों के सिंचाई के लिए वरदान बन चुकी बटामा नहर का बडोरा से बैतूलबाजार रोड पर अस्तित्व खत्म होते जा रहा है। किसी समय यहां कल-कल बहता पानी बटामा नहर की याद दिलाता था, लेकिन कुछ वर्षों में माफियाओं ने नहर को ही बंद कर प्लाट काटकर कालोनियां बना डाली। जिस आधार पर कालोनाइजरों को अनुमतियां दी गई, सभी को दरकिनार कर दिया गया। हालात यह है कि राजस्व और जलसंसाधन विभाग अपनी सीमा का दायरा बताकर एक दूसरे पर पल्ला झाड़ रहे हैं और माफिया लगातार बटामा नहर का अस्तित्व खत्म करने में लगे हैं।
सूत्रों ने बताया कि बटामा नहर बड़े क्षेत्र में किसानों की फसलों के लिए सिंचाई का आधार स्तंभ है। कुछ वर्षों से बड़ोरा पहुंचने के पहले ही नहर को खत्म कर दिया गया है। इसमें जितनी जिम्मेदारी राजस्व विभाग की है, उतनी ही जल संसाधन विभाग की भी मानी जा रही है। वर्षों से दोनों विभागों में बटामा नहर को लेकर चल रही खींचतान और बयानबाजी का फायदा, उस क्षेत्र में कालोनी बनाकर करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाने वाले कालोनाइजर उठा चुके हैं।
बची कसर वर्तमान में बैतूल बाजार रोड पर सड़क किनारे उपयोगी जमीन मुंह मांगे दामों पर खरीदकर तथाकथित कालोनाइजर नहर का अस्तित्व खत्म करने में लगे हैं। सूत्रों ने बताया कि एक फ्लोर मिल तक बटामा नहर रिकार्ड में दर्ज है, लेकिन बैतूलबाजार रोड तक अब नहर दिखाई नहीं पड़ रही है। कहीं न कहीं बटामा नहर कालोनाइजरों के कब्जे की भेंट चढ़ गई।
पुलिया-रास्ते के पेंच ने उलझाया मामला
बताया जाता है कि बटामा नहर को बर्बाद करने में जलसंसाधन और राजस्व विभाग दोनों की भूमिका है। पिछले दिनों अवैध कालोनियों का मामला सामने आया तो पटवारियों ने क्षेत्र के कालोनाइजरों के आंकड़े अधिकारियों तक गलत पेश किए। दूसरी तरफ जलसंसाधन विभाग के बारे में कहा जाता है कि बटामा नहर के आगे कालोनी बनाने पर पुलिया निर्माण अनिवार्य है, ताकि भविष्य में पानी छोड़ने पर पुलिया के नीचे से पानी निकाला जाए, लेकिन कालोनाइजरों ने पुलिया निर्माण तो छोड़ नहर ही बंद कर डाली।
नियम से हर कालोनाइजर को अपनी कालोनी निर्माण के पहले बटामा नहर पर पुलिया बनाना अनिवार्य था, लेकिन अधिकांश ने निर्माण नहीं किया। जलसंसाधन विभाग की यहां पर खुली अवहेलना की गई और अधिकारी चुप बैठे रहे। दूसरी ओर राजस्व विभाग ने केवल सीमांकन और अतिक्रमण हटाने तक की भूमिका निभाई। राजस्व विभाग पर भी हमेशा क्षेत्र के कालोनाइजरों को अभयदान देने की चर्चा रही। पुलिया और रास्ते के पेंच के बीच आरोप लगते रही कि भूमाफिया और क्षेत्र के पटवारियों की काल डिटेल निकाल ली जाए तो वास्तविकता सामने आ जाएगी।
नए कालोनाइजर फिर सक्रिय
सांझवीर टाईम्स ने पिछले दिनों बटामा नहर का अस्तित्व खतरे में करने को लेकर जलसंसाधन विभाग और राजस्व विभाग की भूमिका पर सवाल उठाए थे। इसके बाद बडोरा और आसपास के कालोनाइजरों में हड़कंप मचा हुआ है। खबर यह है कि वर्तमान में भी कुछ भूमाफियाओं ने सड़क से सटी करोड़ों की जमीन खरीदकर कालोनी निर्माण के लिए प्रयास शुरू किए हैं। इन्हें भी राजस्व और जलसंसाधन विभाग ने अनुमति दी है, लेकिन दोनों ही विभाग के जिम्मेदार नकार रहे हैं।
इस बीच क्षेत्र में बड़े पैमाने पर कालोनियों काटकर दशहरे और दिवाली तक बेचने के लिए आफर भी निकल रहे हैं। उधर अधिकारी दावा कर रहे हैं जो नियम से कालोनी नहीं बनी है या बनने वाली है, निश्चित रूप से कार्रवाई तय की जाएगी। अब देखने यह है कि कालोनी और नई बनने वाली कालोनी पर विभागीय अधिकारी क्या निर्णय लेते हैं।
इनका कहना…
वर्तमान में नहर की जमीन पर कुछ कालोनियां बन चुकी है। इन्हें पूर्व में किसी आधार पर अनुमतियां दी गई हैं, यह देखना पड़ेगा। वैसे शासन ने इस मामले में कुछ नियमों में भी बदलाव किया है।
विपिन वामनकर, ईई, जलसंसाधन विभाग बैतूल।
हमारा काम जलसंसाधन विभाग द्वारा नहर पर अतिक्रमण करने के बाद इसे हटाने का है। हमारे विभाग द्वारा कालोनाइजरों को किसी भी तरह की अनुमति नहीं दी गई है। आप चाहे तो आवेदन लगाकर भी जानकारी ले सकते हैं।
लवप्रीत सोनी, पटवारी बैतूल सर्किल-2