राजनीतिक हलचल: इन पार्टी के अध्यक्ष ऐसे उलझे कि पर्सनल लाइफ का पता नहीं…. उपचुनाव में दारू ने कैसे डुबोई लुटिया, किस नेता के शराब मांगने पर हुआ खुलासा??? कर्मचारी से मारपीट मामले में कौन नेता निशाने पर???? पढ़िए पूरी खबर हमारे चर्चित कॉलम राजनीतिक हलचल में…..

ऐसे उलझे अध्यक्ष जैसे पर्सनल लाईफ ही नहीं

एक पार्टी के प्रमुख इन दिनों दायित्वों से इतने उलझे हुए है कि पर्सनल लाईफ का पता नहीं चल रहा। वे पिछले साढ़े तीन वर्षों से पार्टी की कमान संभाले हुए है। चूंकि वे युवा है, इसलिए प्रदेश संगठन से मिलने वाले हर दिन के कार्यक्रमों में ऐसे उलझे रहते है कि खाने-पीने का ठिकाना नहीं रहता। कभी सुबह से रात तक बैठकों का दौर तो कभी वर्चुअल मीटिंग ने उनकी पर्सनल लाइफ को काफी उलझा दिया हैं। हालांकि पार्टी के दायित्वों को अपनी पर्सनल लाइफ से परे समझकर वे पूरा समय पार्टी को ही दे रहे हैं। इतना जरूर हैं कि समय मिलने पर सुख-दुख और धार्मिक आयोजनों में सहभागी बनकर मूड फ्रेश कर लेते है, लेकिन उनकी व्यस्तता देखकर निकटतम लोग कहते आ रहे है कि भले ही उन पर घर-परिवार की जिम्मेदारी नहीं है, सिंगल मेन है। यदि ऐसे ही चलता रहा तो तलाक ही हो जाएगा।

दारू ने डूबो दी चुनाव में लुटिया

पार्षद पद के चुनाव के परिणाम एक पार्टी के लिए ठीक नहीं कहे जा सकते। चुनाव में इस पार्टी ने भी जीत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी थीं। ऐसे व्यक्ति को उप चुनाव में उम्मीदवार बनाया था, जिसके मतदाता वार्ड में सर्वाधिक है, लेकिन इस पार्टी का यह दाव भी नहीं चला और करारी हार का सामना करना पड़ा। जब परिणामों की तह तक जाने का प्रयास किया तो इसके चौकाने वाले खुलासे ने एक पूर्व माननीय को परेशान कर दिया। चर्चा है कि उन्होंने अपने करीबी एक नेता को करीब चार पेटी शराब चुनाव में बाटने के लिए दी थीं, लेकिन बंदे ने नेता जी का ऐसा विश्वास तोड़ा कि बाटने वाल शराब बेच डाली। जब इस बात की भनक उन्हें लगी तो किसी अन्य नंबर से फोन कर संबंधित से एक बंपर शराब के रेट पूछे तो तपाक से प्रिंट रेट से सस्ता जवाब मिलने पर उन्हें यकीन हो गया कि चुनाव में लुटिया किसी और ने नहीं बल्कि करीबियों ने ही डुबोई है। अब देखना है कि शराब बेचने वाले पदाधिकारी पर क्या कार्रवाई होती हैं।

मारपीट मामले में पोस्टमार्टम होगा!

एक निकाय में कर्मचारी के साथ मारपीट का मामला इन दिनों खासा सुर्खियां बटोर रहा हैं। यहां से निकलकर मामला राजधानी तक पहुंच गया। नतीजा यह रहा कि कर्मचारी संगठन के नेताओं को भी मोर्चा खोलने का मौका मिल गया। इससे पार्टी की किरकिरी हो रही है। खबर है कि इस मामले में शीर्ष नेताओं को गुमराह करने वाले नेताओं की खोज खबर ली जा रही हैं। आखिर निकाय स्तर पर इस मामले का पटाक्षेप करने का गलत मैसेज देकर पार्टी की जमकर किरकिरी हुई। खबर तो यह भी है कि ऐसे नेताओं पर पार्टी सख्ती बरत सकती हैं।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

Related Articles

Back to top button