Betul Sanjivani Clinic : शहर में शोपीस बनकर खड़े मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक!
स्टाफ के अभाव में संचालन बाधित, अस्पताल पर निर्भर मरीज

Betul Sanjivani Clinic: बैतूल। मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज पर कुछ महीनों पहले ही शहर के तीन क्षेत्रों में बड़े जोर-शोर से मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिकों का शुभारंभ किया था। दावा किया था कि छोटी-मोटी संक्रामक बीमारियों के इलाज के लिए लोगों को दूर अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा। क्लिनिक में पदस्थ डॉक्टर ही इलाज कर देगा।
स्वास्थ्य विभाग ने लाखों खर्च कर क्लिनिक की बिल्डिंग तैयार कर दी। जन प्रतिनिधियों से भव्य शुभारम्भ भी करवाया दिया गया, लेकिन मौजूदा हालातों में क्लीनिकों में स्टाफ नहीं होने की वजह से इसका संचालन करने में कई प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि कोठीबाजार में एक मात्र एएनएम जैसे तैसे क्लिनिक का संचालन कर रही है, लेकिन दो अन्य क्लिनिक अधिकांश समय बन्द रखना पड़ता है। ऐसे में लोगों की सुविधा के लिए बनाए मुख्यमंत्री क्लीनिकों का कोई मतलब नहीं निकल रहा। बिल्डिंग बनाने में जनता के लाखों रुपए का नुकसान ब्याज में कर दिया गया।
टिकारी, हमलापुर के क्लिनिक बंद, कोठीबाजार क्लिनिक भगवान भरोसे
प्रदेश में मोहन सरकार काबिज होने के बाद शासन स्तर पर प्रदेश भर में इसकी शुरुआत की गई थी। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुख्यमंत्री संजीवनी क्लिनिक बनवाएं गए।
सरकारी फंड खर्च कर यह क्लिनिक कोठीबाजार स्वीपर कालोनी, कृष्णपुरा टिकारी और हमलापुर में बनाकर खोल भी दिये गए थे, लेकिन वर्तमान में किसी भी क्लिनिक में पर्याप्त स्टाफ नहीं होने की वजह से इनका संचालन सम्भव नहीं हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि कोठी बाजार क्लिनिक का संचालन एक मात्र एएनएम कर रही है। वहीं कृष्णपुरा और हमलापुर क्लिनिक में स्टाफ नहीं होने के कारण अधिकांश समय क्लिनिक बन्द ही रहता है।
कृष्णपुरा के रहने वाले स्थानीय नागरिक रामदुलारे यादव बताते हैं कि यह अस्पताल कभी कभी खुलता जरूर है, लेकिन यहां इलाज कराने कोई नहीं जाता, क्योंकि इलाज करने वाला डॉक्टर ही यहां उपलब्ध नहीं है। यही हाल हमलापुर क्लिनिक का भी बताया जा रहा है। स्थानीय नागरिक संजय खातरकर ने बताया कि क्लिनिक का शुभारंभ बड़े जोर- शोर से किया गया था। कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा, लेकिन बाद में यह स्थिति यह आ गई कि क्लिनिक बंद रहने लगा। इस वजह से लोग भी इलाज कराने से कतराने लगे। क्लिनिक में डॉक्टर तक उपलब्ध नहीं है।
न डॉक्टर न पैरामेडिकल, नर्सिंग स्टाफ तक नहीं
शहर के तीनों मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिकों का संचालन ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। जबकि इस क्लिनिक का उद्देश्य यह था कि आसपास रहने वाले गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को इलाज के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े। क्लिनिक में एक डॉक्टर सहित पैरामेडिकल एवं नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति किए जाने का प्रावधान किया गया था, लेकिन हालात इसके ठीक विपरीत नजर आ रहे हैं।
क्लिनिक में डॉक्टर तो दूर पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ तक मौजूद नहीं है। सर्दी,खांसी, बुखार, जुकाम जैसी छोटी -मोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी लोगों को जिला अस्पताल या निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है। ऐसे में लाखों खर्च कर बनाए क्लिनिक मात्र शो पीस बन गए हैं।
इनका कहना….
इस मामले को लेकर कल ही बैठक ली गईं है। क्लीनिकों में पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति पर विचार किया जा रहा है, ताकि लोगों को इलाज मिल सके।
डॉ.राजेश परिहार, प्रभारी सीएमएचओ, बैतूल