Betul Ki Khabar: करोड़ों की कचरा गाड़ी कबाड़ा बनी, दो बार भुगतान करने की आशंका, चिचोली- भीमपुर में स्वच्छता मिशन को पलीता लगाने में अधिकारियों के साथ 1 चर्चित सचिव की भूमिका भी कटघरे में
Betul Ki Khabar: Garbage vehicle worth crores turned into junk, suspicion of paying twice, role of a famous secretary along with officials in the dock for sabotaging the Swachhata Mission in Chicholi- Bhimpur

Betul Ki Khabar: बैतूल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत शहर के बाद ग्रामीण क्षेत्रों की जनपदों में बड़े पैमाने पर घोटाला सामने आ रहा है। जिले की आदिवासी बाहुल्य चिचोली और भीमपुर जनपद पंचायत में स्वच्छ भारत मिशन के तहत पिछले तीन वर्षों में 13 करोड़ 21 लाख से अधिक की आर्थिक अनियमित्ता सुर्खियां बटोर रहा है। इस बीच जानकारी सामने आ रही है कि इसी मिशन के तहत दोनों जनपदों की करीब 40 से अधिक पंचायतों में कचरा वाहन खरीद लिए गए। इसका उपयोग आज तक कचरा उठाने के लिए नहीं किया गया। यह वाहन खड़े-खड़े कंडम हो गए। ताजुब की बात यह है कि वाहन खरीदने वाली कंपनी को तुरंत भुगतान भी कर दिया। अपुष्ट सूत्र बताते हैं कि जनपद और पंचायतों से इसका भुगतान हुआ है। यदि मामले में जिले के ईमानदार कलेक्टर और जिला पंचायत सीईओ जांच कराए तो एक और बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है।
जानकार सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों द्वारा ध्यान न दिए जाने के बाद जनपदों में आर्थिक अपराध बड़े पैमाने पर हुआ है। केवल दो जनपदों में इस बात का खुलासा होने के बाद संभावना जताई जा रही है कि अन्य जनपदों में भी इस तरह की बंदरबांट हुई है। एक अन्य सूत्र ने बताया कि जिले की आदिवासी बाहुल्य जनपद चिचोली और भीमपुर में स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण के अंतर्गत बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमित्ता हुई है। इस मामले में भले ही एफआईआर हो गई हो, लेकिन हकीकत यह है कि कई मामलों का खुलासा नहीं हो सका है। यदि इन मामलों की जांच करें तो हेरफेर कई करोड़ और बढ़ सकता है।
कचरा वाहनों के नाम पर करोड़ों के वारे-न्यारे
जानकार सूत्रों ने बताया कि वर्ष 2021-22 में भीमपुर जनपद के अंतर्गत जमकर बंटरबांट हुई है। चिचोली जनपद की बात करें तो वह भी इसमें पीछे नहीं रही है। सूत्रों के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा एकत्रित करने के लिए दोनों जनपदों में करीब 40-50 कचरा वाहन नई दिल्ली की मैक आटो इंडिया के माध्यम से खरीदे थे। हालांकि इनकी संख्या बताने में अभी जनपदों में संपर्क करने का प्रयास किया तो संबंधितों को सांप सूख गया, लेकिन अपुष्ट सूत्रों ने बताया कि भीमपुर जनपद में ही करीब 35 से अधिक कचरा वाहन खरीदे गए थे।
20 से 25 कचरा वाहन चिचोली जनपद द्वारा खरीदे गए, लेकिन चौकाने वाली बात यह है कि यह कचरा वाहन ग्राम पंचायतों में पहुंचे ही नहीं। कचरा वाहन न पहुंचने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि वाहनों के मेंटेनेस और ड्राइवर के लिए फंड की कमी है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जब फंड की कमी थी तो कचरा वाहन बुलाए क्यों? इस बात का जवाब कोई नहीं दे रहा है। हमने इस संबंध में अधिकारियों से भी संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन वे मोबाइल पर चर्चा करने को ही तैयार नहीं है। इसी वजह संभावना बढ़ गई है कि मामले में बड़ा हेरफेर हुआ है।
स्वच्छता मिशन की करोड़ों की राशि पानी में
सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत मिशन की राशि कचरा वाहन खरीदने के बहाने पानी में बहा दी। जितने भी कचरा वाहन आए थे वे शोपीस बनकर कई जनपदों के पीछे तो कहीं ग्राम पंचायत की रिक्त भूमि तो कहीं पेड़ों के नीचे नजर आ रहे हैं। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मिशन की राशि की किस तरह बंदरबांट की गई है। चूंकि स्वच्छ भारत मिशन की राशि सीधे नई दिल्ली से पंचायतों और जनपदों के खाते में आता है। इसलिए भुगतान का अधिकार भी संबंधितों को ही है। इसी का फायदा उठाते हुए एक कचरा वाहन लगभग 3 लाख रुपए में खरीदकर बुलवा लिया गया। यदि इसकी गिनती करें तो 60 वाहन आने पर 1 करोड़ 80 लाख की राशि का भुगतान कर दिया गया, लेकिन कचरा वाहनों की उपयोगिता क्या हुई, यह सबको पता है। जो वर्तमान में गबन का मामला सामने आया है उसमें भी संबंधित कंपनी को राशि देने की बात सामने आई है।
2 बार भुगतान और सचिव की भूमिका पर सवाल
इस पूरे मामले में वास्तविकता सामने आई है कि भुगतान को लेकर जनपदों और पंचायतों ने कोई देरी नहीं की। इसके पीछे कहीं न कहीं संबंधितों का निजी फायदा भी हो सकता है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि जनपदों के अलावा पंचायतों ने भी कचरा वाहनों का भुगतान कर दिया। यदि ऐसा हुआ है तो अधिकारियों को मामले में गंभीरता से जांच कराना चाहिए। दूसरी ओर जानकारी मिली है कि कचरा वाहन बुलाने के पीछे भाजपाइयों जनप्रतिनिधियों और सीईओ के खास रहे जगदीश नाम के पंचायत कर्मी की भूमिका संदिग्ध है। इसी कर्मी द्वारा धनियाजाम में कचरा वाहन आने पर उतरवाएं थे। इसके बाद सीईओ के खास होने पर वाहनों की बंदरबांट इसी तथाकथित सचिव ने की है। इनके बारे में कहा जा रहा है कि बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमित्ता की जांच भी चल रही है। इस संबंध में कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी को उनके मोबाइल पर फोन किया पर उन्होंने रिसीव नहीं किया इसलिए हम चाहकर भी उनके पक्ष को पाठकों तक नहीं रख पाए।
इनका कहना….
कचरा वाहन खरीदकर उपयोग कराने की जवाबदारी पंचायतों की थी। जागरूकता के कारण ऐसा नहीं हो सका है। इस संबंध में प्रचास किए जाएंगे। वर्तमान में जो धांधली हे उसकी पुलिस विवेचना कर रही है। हमने भी कार्रवाई शुरू कर दी है।
अक्षत जैन, सीईओ जिला पंचायत बैतूल