Betul News: कोयला उत्पादन के दबाव में गई तीन जान, सांत्वना देने पहुंच रहे नेता और अधिकारी

Betul News: Three lives lost due to pressure of coal production, leaders and officials are reaching to offer condolences

कोयला मंत्रालय और केंद्र की टीम भी जांच करने पहुंची

Betul News: सारनी। वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) पाथाखेड़ा क्षेत्र में हुई कोयला खदान दुर्घटना पर शोक व्यक्त करते हुए मृतकों के परिजनों से मिलने हर रोज नेता और अधिकारी पहुंच रहे हैं। विधायक हेमंत खंडेलवाल, विधायक डॉ योगेश पंडाग्रे के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री दुर्गादास उईके भी मृतक के परिजनों से मिले। सांत्वना व्यक्त करने के बाद केंद्रीय राज्य मंत्री ने मीडिया से बात करते हुए निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कारवाई का भरोसा दिलाया।

गौरतलब है कि गुरुवार को सीएम सेक्शन में मुहाने से करीब 3.5 किलोमीटर की दूरी पर रूफफाल होने से ओवर मेन, माइनिंग सरदार और अंडर मैनेजर की दबने से मौत हो गई। घटना के बाद से ही एरिया टीएससी, डब्ल्यूसीएलल टीएससी, डीजीएमएस, कोयला मंत्रालय और केंद्रीय टीम जांच करने में जुटी है पर अब तक किसी भी टीम ने जांच में दोषी पाए जाने वाले और हादसे की सही वजह सार्वजनिक नहीं की है। जबकि कोल कर्मियों और परिजन हादसे की वजह जानने व्याकुल हो रहे हैं। जिन कर्मियों के परिजन दूसरे प्रदेशों में है। वे कॉल लगाकर खदान के अंदर की जानकारी ले रहे हैं। दरअसल कोल इंडिया की खदानों को सबसे सुरक्षित बताया जाता है।

जागरूकता के उद्देश्य से हर साल सुरक्षा पखवाड़ा मनाया जाता है। कामगारों को भरोसा दिलाया जाता है कि खदान पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन रूफफाल की घटना ने सुरक्षित खदान की पोल खोलकर रख दी है। प्रोडक्शन मंथ में साल की सबसे बड़ी दुर्घटना होने का सीधा मतलब सुरक्षा नियमों की अनदेखी और कोयला उत्पादन का दबाव होने से इनकार नहीं किया जा सकता।

इन हादसों से भी नहीं लिया सबक

पाथाखेड़ा क्षेत्र में पहली सबसे बड़ी खदान दुर्घटना 20 अप्रैल 1986 को हुई थी। सतपुड़ा 1 खदान में हुई इस दुर्घटना से पूरा कोल इंडिया सहम गया था। दरअसल इस हादसे में 4 कोयला कर्मी खदान में दब गए थे। जिनमें राम गहन अंसारी, गणेश, पंडरी और बली शामिल है। घटना के कुछ दिनों तक धरना, प्रदर्शन, आंदोलन हुआ। जांच हुई। खदान में शहीद स्मारक बना, लेकिन हादसे से सबक नहीं लिया।

इसी तरह का दूसरा हादसा पीके टू खदान में हुआ। इस हादसे में भी दो कर्मियों को जान गंवानी पड़ी। इसी तरह की घटना तवा 1 और सारनी खदान में हुई, लेकिन इन दर्दनाक घटनाओं से डब्ल्यू सी एल पाथाखेड़ा प्रबंधन ने कोई सीख नहीं ली। जिसके चलते छतरपुर 1 खदान में एक और दर्द विदारक हादसा हो गया। इसमें तीन कर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

हाशिए पर है यूनियन

बीते कुछ सालों में पाथाखेड़ा क्षेत्र में यूनियनें नाम मात्र की रह गई है। खदान में सुरक्षा इंतजामात, अस्पताल में जरूरी सुविधा, चिकित्सा, दवाइयां नहीं है। खदान पहुंच मार्ग अंधेरे में तब्दील है। इन सभी की चिंताएं छोड़कर मौजूदा श्रमिक संगठन का काम प्रबंधन की हां में हां मिलाना रह गया है। यही वजह है कि श्रम संगठनों में नेता भी अब सिर्फ अपने काम यानी कि भूमिगत खदान में काम करने से बचने मात्र के लिए रह रहे हैं। इसके लिए चाहे हर साल यूनियन ही क्यों न बदलना पड़ जाए। यूनियनों की घटती लोकप्रियता की वजह ही है कि कोल कर्मी सदस्यता सत्यापन में ज्यादा गंभीरता नहीं दिखा रहे।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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