Prashasnik Kona: प्रशासनिक कोना: किसने की दूसरी जगह जगह जाने की चाह में बदजुबानी की हदें पार?? प्रभारी रहे साहब का यह का यह कैसा तुगलकी फरमान??? जिनके जिम्में जिम्मेदारी, वे ही क्यों बिगाड़ रहे शहर की व्यवस्था???? विस्तार से पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम प्रशासनिक कोना में……
Prashasnik Kona: Administrative Corner: Who has crossed the limits of foul language in his desire to go to another place??

दूसरी जगह जाने की चाह में बदजुबानी की हदें पार
एक चर्चित विभाग के महाचर्चित साहब को यहां पदस्थ हुए बमुश्किल 3-4 माह का समय बीता है, लेकिन वे अपने कारगुजारियों से कम और बदजुबानी से अधिक चर्चा में हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि कर्मचारियों से बातों-बातों में बदतमीजी आम बात हो गई है। उनके चैंबर में कर्मचारी भी जाने से डर रहे हैं। साहब कर्मचारियों को हड़काकर कहते है कि नौकरी कहीं भी करना हैं। वैसे उनका यह भी कहना है कि मन नहीं लगने के कारण वे छिन्दवाड़ा, बालाघाट या सिवनी की तरफ जाना चाहते हैं।
इसी वजह आए दिन वह विवादों में रहने के बाद कर्मचारियों को भी बदजुबानी से खासे परेशान कर रहे हैं। उनके अधीनस्थ एसडीओ भी साहब की बदजुबानी से नाराज बताए जा रहे है। बताते चले कि यह साहब गोलमाल के कारण छिन्दवाड़ा से भोपाल रूखसत किए गए थे। यहां वाले साहब पानी की योजना में फिसड्डी होने के बाद हटाए गए तो इन्हें विकल्प के तौर पर यहां भेज दिया गया था।
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प्रभारी रहे साहब का तुगलकी फरमान चर्चा में
बड़े साहब के अवकाश पर जाने के बाद कुछ दिनों के लिए एक अधिकारी को महती जि मेदारी क्या मिलीं, वे हवा में ही उड़ने लग गए। युवा अधिकारी होने के कारण उन्हें पहले ही बात करने का सलीका नहीं है। अब खबर हैं कि उन्होंने अपने विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया हैं कि उन्हें सूचना के बगैर कोई भी जानकारी मीडिया को शेयर नहीं करेगा। उनके इस आदेश पर खासा बवाल मचा है।
कर्मचारी दबी जुबान पर चर्चा कर रहे है कि विभाग की कोई जानकारी मीडिया तक चली जाएगी तो कौन सी देश की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। उन पर कटाक्ष किए जा रहे हैं कि उनके विभाग में कोई राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी जानकारी या डेटा तो नहीं है जो देशद्रोह हो जाएगा। कर्मचारियों की यह बात युवा अफसर के मुंह पर करारा तमाचा बताई जा रही हैं। इन साहब का द तर बड़े साहब के द तर से कुछ फासलों पर ही स्थित हैं।
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यही बिगाड़ रहे शहर की व्यवस्था
जिनके जि मे लोगों को वाहन चलाते समय सावधानी और नियमों का पाठ पढ़ाने का जि मा है। यही साहब शहर की व्यवस्था बिगाड़ने में कोई कसर पूरी नहीं छोड़ रहे। कहा जाता है कि जब मीडिया में मामला सामने आता है तो जनप्रतिनिधियों की चाबुक चलते ही इन्हें वरिष्ठ अधिकारी निर्देशित करते हैं तब यह साहब सड़क पर अपनी टीम के साथ दिखाई देते हैं। इसके बाद नियम तोड़ने वालों पर केवल फोन आने पर ही कार्रवाई करते दिखते हैं।
यह सिलसिला पिछले लंबे समय से चला आ रहा है, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली में सुधार नहीं हुआ। इसी वजह तथाकथित यूनियन के लोग अपनी मनमर्जी से कहीं से भी वाहन निकालकर नियमों को ताक पर रख शहर की व्यवस्था से सीधे तौर पर मजाक कर रहे हैं। यदि कहीं हादसा हुआ तो इसके लिए जि मेदारी तय करने वाले ही उलझ सकते हैं, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता।