Betul News: पैथॉलाजी लैब का सच: पॉजीटिव को बना रहे निगेटिव
Betul News: Truth of Pathology Lab: Making positives negative

अलग-अलग लैब की रिपोर्ट में कई तरह की भ्रांतियां, स्वास्थ्य विभाग का डंडा न चलने से मरीजों की जा सकती है जान
Betul News: बैतूल। भले ही स्वास्थ्य विभाग ने निर्धारित गाइड लाइन का पालन न करने पर पैथालाजी लैब और कलेक्शन सेंटरों पर कार्रवाई की चेतावनी दी है, लेकिन जिले के लैब संचालकों को इसकी कतई परवाह नहीं है। खुद ही लैब संचालकों ने अपनी रिपोर्ट को खुद ही क्लिन चिट देकर सर्वहारा बनने का तथाकथित प्रयास किया, लेकिन इसके कई साइड इफैक्ट सामने आ रहे हैं। जिले में कुकुरमुत्तों की तरह खुली लैबों की रिपोर्ट इतनी संदेहास्पद है कि कभी भी मरीजों की जान पर बन सकती है। तथाकथित लैब सेंटरों की कई लापरवाही सार्वजनिक होने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग केवल औपचारिकता निभा रहा है।
सूत्र बताते हैं कि अकेले बैतूल शहर में इस समय दो दर्जन से अधिक पैथालाजी लैब और कलेक्शन सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। इनमें कितने वैध और कितने अवैध है। यह तो स्वास्थ्य विभाग से अच्छा कोई नहीं जान सकता, लेकिन हकीकत यह है कि इसकी आड़ में मरीजों की जान खतरे में पड़ी हुई है। सांझवीर टाईम्स के पास अवैध लैब संचालकों द्वारा अपने पैथालाजी सेंटर से जारी की गई रिपोर्ट की वास्तविकता सामने आई, इसे देखकर होश उड़ना स्वभाविक है। इसके बावजूद इन रिपोर्ट पर मरीजों ने स्वास्थ्य विभाग को शिकायत भी की, लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई। जानकार सूत्र बताते हैं कि शिकायतों को नजर अंदाज कर पूरे मामले को रफा दफा कर दिया गया।
यह मामले लैब की पोल खोलने के लिए काफी
शहर में कुकुरमुत्तों की तरह खुले लैब कलेक्शन सेंटरों की गंभीर लापरवाही से कई मरीजों की जान पर बन आई है। इसके लिए सांझवीर टाईम्स ने कुछ मामले सामने लाए हैं। हालांकि इसमें लैब संचालकों और मरीजों के नाम उजागर नहीं कर रहे हैं। पहले मामले में चंद्रशेखर वार्ड निवासी एक सीए के आफिस में काम करने वाली महिला को पिछले दिनों बुखार आया तो वह गंज के एक डॉक्टर के पास पहुंची। यही से कुछ दूरी पर स्थित एक पैथालाजी लैब पर उसे टेस्ट कराने के लिए कहा। टेस्ट रिपोर्ट में उसे डेंगू पॉजिटिव बता दिया गया। रिपोर्ट आते ही उनके पैरों तले की जमीन खिसक गई।
लैब की रिपोर्ट पर विश्वास न जताते हुए महिला ने लिंक रोड की एक निजी लैब पर दोबारा जांच कराई तो डेंगू निगेटिव निकली। यहां पर दोनों रिपोर्ट में जमीन आसमान का फर्क आ गया। दूसरे मामले में एक 75 वर्षीय वृद्ध का पिछले दिनों स्वास्थ्य बिगड़ने पर प्लेटेस्ट महज 24 हजार बता दी गई, जबकि मरीज अच्छा खासा चलता फिरता पैथालाजी खुद पहुंचा था। परिजनों को भी इस रिपोर्ट पर संदेह हुआ तो दो अन्य अस्पतालों की लैब पर इसकी जांच कराई तो चौकाने वाली बात सामने आई। दरअसल दोनों ही जगह वृद्ध की प्लेटेस्ट की रिपोर्ट 1 लाख से अधिक थी। यह दो उदाहरण बैतूल में पैथालाजी लैब और कलेक्शन सेंटरों की पोल खोलने के लिए काफी कही जा सकती है।
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सरकारी आदेशों का पालन करने में कोताही
एक जानकारी सामने आई है कि सरकारी आदेशों का पालन करने में बैतूल से दो दर्जन लैब संचालक कोताही बरत रहे हैं। स्थिति यह है कि कुछ दिनों पहले सीएमएचओ ने प्रेसनोट जारी कर नियम विरूद्ध लैब संचालन और कलेक्शन सेंटरों पर कार्रवाई की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद लैब संचालकों पर कोई असर नहीं हुआ। हालात यह है कि अकेले बैतूल में ही लैब संचालकों ने सीएमएचओ के उक्त आदेश को रद्दी की टोकनी में डाल दिया है। यहां पर औसतन हर दिन एक सैकड़ा से अधिक रिपोर्ट पर संदेह जताया जा रहा है, लेकिन सीएमएचओ की टीम लैब संचालकों तक पहुंच नहीं पा रही है। यही वजह है कि सरकारी आदेश केवल हवा में ही झूल रहे हैं।
इनका कहना…
जिले में पैथालाजी लैब और कलेक्शन सेंटरों पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जहां पर भी शासकीय गाइड लाइन का पालन नहीं हो रहा है। वहां पर कार्रवाई तय की जाएगी। आपके पास जो भी शिकायतें है, हम तक पहुंचाएं। इसे दिखवाया जाएगा।
डॉ रविकांत उइके, सीएमएचओ बैतूल