Politics: राजनीतिक हलचल: जिला अध्यक्ष के शोरगुल में आखिर मंडल अध्यक्षों पर कैसे फंसा पेंच?? फुट डालने वाले नेताजी आखिर क्यों है इतना परेशान??? कौनसी मेडम के राजनीतिक पावर की हो रही चर्चा???? पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम राजनीतिक हलचल में…..
Politics: Political turmoil: How did the divisional presidents get trapped in the noise of the district president??

जिला अध्यक्ष के शोरगुल में मंडल अध्यक्ष पर पेंच
सत्तारूढ़ पार्टी में जिला अध्यक्ष को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है। अध्यक्ष को लेकर इतना शोरगुल हो रहा है कि पार्टी में सात मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति का मामला अभी तक अधर में लटका है। इन सभी स्थानों पर मंडल अध्यक्षों के लिए करीब आधा सैकड़ा कार्यकर्ता अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे हैं। यह तो पहले ही तय हो गया था कि शेष बचे मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में लंबा पेंच फंसेगा, लेकिन इतना इंतजार 7 मंडल के कार्यकर्ताओं से नहीं हो रहा है।
हालात यह है कि वरिष्ठ नेताओं से पूछने के बावजूद उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल रहा है। कहा जा रहा है कि एक सप्ताह बाद ही जिले के सात 7 मंडलों में नया अध्यक्ष मिल पाएगा, तब तक पुराने के भरोसे ही क्षेत्र की राजनीति संचालित हो रही है। इस बहाने पुराने मंडल अध्यक्ष पावर में है।
फूट डालने वाले नेताजी आखिर क्यों परेशान?
एक प्रमुख विपक्षी पार्टी में फूट डालो, राज करो वाले नेताजी इन दिनों बेहद परेशान है। दरअसल उनकी पार्टी में फिलहाल एक-दूसरे को निपटाने की कोई मुहिम नहीं चल रही है। चर्चा है कि ऐसी मुहिम नहीं चलने के कारण इनकी दाल भी नहीं गल रही है। इनके बारे में विपक्षी पार्टी में जोर शोर से चर्चा हो रही है कि खुद पार्टी के लिए कुछ करते नहीं। दूसरों के प्रदर्शन के दौरान भीड़ में फोटो खिंचवाकर कुछ मीडिया से माजमा लूटने का प्रयास कर लेते हैं।
इसी बहाने उनकी राजनीति चमकते रहती है, लेकिन उनकी आदत से खुद पार्टी के ही नेता खासे परेशान है। इन नेताजी के बारे में कहा जाता है कि विपक्षी पार्टी के कोई भी नेता इन पर भरोसा नहीं करता। इसकी वजह, इनका बड़बोलापन भी बताया जा रहा है।
मैडम के राजनीति पावर की चर्चा
सत्तारूढ़ पार्टी की एक चुनी हुई जनप्रतिनिधि की पावर इन दिनों चर्चा में है। वैसे इन मैडम के बारे में कहा जाता है कि अपने तीखे तेवर के कारण बड़े अफसरों को भी अपने आवास पर बुलाकर माजमा लूटा जा चुका है। अफसरों के घर पहुंचने पर सोशल मीडिया से सबको अपना पावर बताने का भी प्रयास किया। अब जिले के प्रभारी को अपने क्षेत्र में बैठक लेने पर मजबूर किया गया या अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश, यह तो अंदरखाने की बात है।
चर्चा है कि इस बहाने अपने क्षेत्र के अधिकारियों को संदेश तो दिया, लेकिन अवैध गतिविधियों पर स्वर मुखर नहीं होने पर पार्टी के ही लोग सवाल उठा रहे हैं। उनकी अपेक्षा एक पूर्व माननीय ने क्षेत्र में अवैध गतिविधियां संचालित होने का पुलिंदा सौंपा तो राजनीति में और उफान आ गया है। लोग इसे मैडम का पावर तो बता रहे हैं पर अवैध गतिविधियों पर उनकी चुप्पी से कटघरे में भी खड़ा करने से नहीं चुक रहे हैं।