Betul Samachar: पीएचई ने बिना सुनवाई कॉन्ट्रैक्ट खत्म कर नए ठेकेदार को काम सौंपा
Betul Samachar: PHE terminated the contract without hearing and handed over the work to a new contractor.

फर्म ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका तो जल जीवन मिशन के अधिकारी कटघरे में, शर्तों का भी उल्लंघन
Betul Samachar: बैतूल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जस्टिस सुश्रुत अरविन्द धर्माधिकारी और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की डिवीजन बैंच ने वर्क कॉन्ट्रेक्ट समाप्त कर नई संस्था को वर्क कान्ट्रेक्ट दिए जाने के खिलाफ दायर याचिका में निष्कर्ष दिया है कि राज्य सरकार व उसके विभागीय अधिकारियों ने वर्क कॉन्ट्रेक्ट की कंडिका 12 में 45 दिन के भीतर शिकायत के शीघ्र निवारण के प्रावधान का स्वयं उल्लंघन कर दिया है। सम्बंधित प्राधिकारी कंडिका 12 के अंतर्गत 45 दिन के भीतर शिकायत का निवारण करने बाध्य है। इसके उल्लंघन के खिलाफ याचिकाकर्ता मध्यप्रदेश मध्यस्थता अधिकरण के समक्ष उपलब्ध उपचार को अपना सकता है।
मामला जिले की मेसर्स देशमुख कृषि एजेन्सी द्वारा दायर याचिका से जुड़ा है। याचिका में तथ्य प्रस्तुत किए गए कि पीएचई के कार्यपालिक इंजीनियर के द्वारा याचिकाकर्ता के पक्ष में स्वीकृत वर्क कॉन्ट्रेक्ट को सुनवाई का अवसर दिए बिना मनमाने रूप से समाप्त कर दिया। इसके साथ ही नई एनआईटी जारी कर शेष कार्य का कॉन्ट्रेक्ट नए ठेकेदार को दे दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार उसने उक्त संविदा समाप्ति के आदेश के विरुद्ध अधीक्षण यंत्री के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया, लेकिन अधीक्षण यंत्री लम्बे समय तक इस आवेदन पर मौन धारण किए रहे। जबकि संविदा की शर्त के अनुसार इसे 45 दिन में निपटाना था। दूसरी ओर विवाद लंबन के दौरान उन्होने नयी एनआईटी. जारी कर दी। याचिकाकर्ता ने पुन: अभ्यावेदन दिया जिस पर मुख्य अभियंता ने अधीक्षण यंत्री से सलाह प्राप्त की किन्तु विवाद अनिर्णीत ही रहा। न्यायालय ने अवधारित किया कि अनावेदक ने इस प्रकार स्वयं ही शर्त का उल्लंघन किया है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में अवधारित किया कि राज्य सरकार अपनी कार्यपालक क्षमता के अंतर्गत संविदात्मक मामले में भी निष्पक्षता के साथ कार्य करने बाध्य है और किसी प्रकार का भेदभाव नहीं कर सकती है। याचिकाकर्ता के पास प्रभावी वैकल्पिक उपचार है इसलिए याचिका पर विचारण करना उचित नहीं समझती व याचिकाकर्ता को वैकल्पिक उपचार अपनाने की स्वतंत्रता प्रदान करती है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, सुशील कुमार तिवारी, आनंद शुक्ला, विनीत टेहेनगुरिया ने पैरवी की।
अधिकारियों की मनमानी का भुगत रहे खामियाजा
यह कोई पहला मौका नहीं है जब जल जीवन मिशन में अधिकारियों की मनमानी के खिलाफ किसी ने मोर्चा खोला हो। हालांकि हाईकोर्ट तक पहुंचने की हिम्मत दिखाने वाली इस फर्म ने विभागीय अधिकारियों की पोल खोल दी। पूर्व में सांझवीर टाईम्स ने पीएचई में हुए जल जीवन मिशन घोटाले को सिलसिलेवार प्रकाशित किया था। इसी के परिणाम स्वरूप यहां पर पदस्थ पूर्व ईई आरएन सेकवार बैतूल से भोपाल पदस्थ कर दिया गया था।
सांझवीर की इस खबर का पूरे पीएचई महकमे में खासा हड़कंप मचा। हालांकि इस मामले में ईई के तबादले के बाद जल जीवन मिशन में जिले के कुछ क्षेत्र में पदस्थ रहे एसडीओ और सब इंजीनियरों की भूमिका पर भी सवाल उठाएं जा रहे हैं। अधिकारियों द्वारा जल जीवन मिशन में न सिर्फ पाइन लाइन बिछाने को लेकर ठेंगा दिखाया, बल्कि चहेते ठेकेदारों को टेंडर दिलाने के लिए काम करने वाले ठेकेदारों को बाहर का रास्ता दिखाया। इसी के फलस्वरूप एक फर्म ने हाईकोर्ट का रूख किया है।