Betul Samachar: फिजूलखर्ची: जब बिजली गुल, नपा में काम ठप, इनवर्टर ख़रीदने के लिए नपा गरीब!

Betul Samachar: Wasteful expenditure: When there is power failure, work in Napa comes to a halt, Napa is poor to buy inverter!

और इधर परिषद में अध्यक्ष और सीएमओ के लिए नई चमचमाती गाड़ी खरीदने का प्रस्ताव पारित

Betul Samachar: बैतूल। इसे संयोग ही कहे कि लगभग 130 करोड़ की बजट वाली जिला मुख्यालय की नगरपालिका में बिजली बंद होते ही काम ठप हो जाता है। यह समस्या आज से नहीं, बल्कि वर्षों से चली आ रही है, लेकिन न तो अध्यक्ष और न कोई भी सीएमओ इस पर ध्यान नहीं दे पाया। अलबत्ता बिजली बंद होने पर अधिकारी-कर्मचारी अपने चेंबर में व्यर्थ बैठे रहते हैं। आम लोगों को भी बिजली बंद होने से बैरंग लौटना पड़ता है। इसके उलट बुधवार को नगरपालिका के सम्मेलन में 27 विषयों में एक अदद जनरेटर-इन्वर्टर लेने के लिए प्रस्ताव लेना उचित नहीं समझा गया। अध्यक्ष और सीएमओ की अच्छी कंडीशन में वाहन होने के बावजूद दो नए वाहन लेने के लिए प्रस्ताव पारित कर दिया। इस फिजूल खर्ची पर अब नपा के अधिकारी खुद घिरते नजर आ रहे हैं।

नगरपालिका में आमदनी चवन्नी और खर्च रुपैया कोई नई बात नहीं है। अब तक जितने भी सीएमओ आए अपना हित साधने के लिए तरह-तरह के प्रस्ताव बैठक में ले लेते हैं, लेकिन नपा की वित्तीय स्थिति की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता है। वर्षों से जिला मुख्यालय की नपा की आधा दर्जन से अधिक शाखाओं में बिजली जाने पर कामकाज ठप हो जाता है। सबसे अधिक समस्या बिजली कंपनी द्वारा फीडर सुधार के दौरान 4 से 6 घंटे कटौती के दौरान आ रही है।

कुछ शाखाओं मेें छोटे इन्वर्टर जरूर है, लेकिन लगभग एक घंटे चलने के बाद यह काम करना बंद कर देते हैं। ऐसी स्थिति में लगभग एक सैकड़ा से अधिक कंप्यूटर सिस्टम भी जवाब दे देते हैं। यह समस्या कोई नई नहीं है। अब तक आधा दर्जन से अधिक सीएमओ पिछले दस वर्षों में आए और स्थानांतरित होकर दूसरी जगह चले गए, लेकिन इस समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। बेचारे कर्मचारी बिजली बंद होते ही टाइमपास करते देखे जा रहे हैं।

काम बंद होने से लाखों का फटखा

भले ही नपा के जिम्मेदारी यह बात नहीं माने, लेकिन हकीकत यह है कि बिजली बंद होने के दौरान 4 से 6 घंटे तक नपा में काम काज पूरी तरह से ठप रहता है। इस दौरान लेन-देन की प्रक्रिया भी नहीं हो पाती है। सबसे ज्यादा असर लेखा शाखा में देखा जाता है, जहां कई बिलों का भुगतान बिजली बंद होने के कारण ब्रेक लग जाता है। इसके अलावा राजस्व वसूली के लिए आने वाले लोगों को भी बिजली बंद होने के बाद बैरंग लौटने की नौबत आ रही है।

पिछले दिनों बिजली कंपनी ने कोठीबाजार फीडर की सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक बिजली बंद रखी थी। इस दौरान नपा की हर शाखा में अधिकारी और कर्मचारी बतियाते नजर आए। पुराने और नए हाल में बिजली बंद होने के कारण अंधेरा छा गया था। इसके अलावा बिजली बंद होने से नपा के राजस्व का काम प्रभावित होने से लाखों रुपए का फटखा बैठ रहा है, लेकिन जिम्मेदार इस समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं। कर्मचारियों को मजबूरी में बिजली आने के इंतजार में हाथ पर हाथ धर कर बैठना पड़ रहा है।

27 विषयों में शाखाओं के सामान की खरीदी याद

चौकाने वाली बात तो यह है कि बुधवार को आयोजित नपा के सम्मेलन में कुल 27 विषयों पर चर्चा की गई। इस दौरान मान लिया जाए कि राजस्व के लिए गंज कांप्लेक्स की दुकानें बढ़ाने और अभिनंदन सरोवर के पीछे कांप्लेक्स बनाने के प्रयास अच्छे हैं, लेकिन अलग-अलग शाखाओं के लिए इस सम्मेलन में सामग्री क्रय करने के विषयों का पूरा ध्यान रखा गया। इन सभी लोकनिर्माण जल प्रदाय शाखाओं स्वच्छता शाखा, सामान्य प्रशासन शाखा, शिक्षा शाखा राजस्व शाखा के लिए वर्ष 2025-26 के लिए क्रय करने के लिए सहमति बन गई, लेकिन बिजली बंद होने पर जनरेटर लेने के लिए परिषद में निर्णय नहीं लिया। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि पांच लाख से कम की सामग्री नपा स्तर पर निर्णय लिया जा सकता है।

चुंगी कर के 35 लाख हर माह जा रहे बिजली बिल में

एक और चौकाने वाली बात उजागर हुई है कि नपा में 300 अधिकारी-कर्मचारियों का भारीभरकम स्टाफ मौजूद है। इनका वेतन हर माह लगभग 1 करोड़ 40 लाख रुपए लगता है। नपा को शासन से 1 करोड़ चुंगी कर मिलता है, लेकिन दर्जनों बिजली कनेक्शन के बिलों के 35 लाख रुपए शासन स्तर पर कट जाते हैं। नपा को महज 65 लाख चुंगी कर का मिलता है। इसके बाद राजस्व की वसूली, मुद्रांक और अन्य मद से 75 लाख रुपए की व्यवस्था हर माह करना किसी चुनौति से करना कम नहीं है। जब नपा में आमदानी चवन्नी और खर्च रुपैया जैसे हालात है, तब नपा के सम्मेलन में लिए जाने वाले फिजूलखर्ची वाले प्रस्ताव पर न सिर्फ आम लोग बल्कि विपक्षी पार्षद भी खासे नाराज बताए जा रहे हैं।

इनका कहना….

यह बात सही है कि नपा में जनरेटर नहीं होने से व्यवस्थाएं गड़बड़ा रही है। पांच लाख तक का बजट नपा स्तर पर स्वीकृत किया जा सकता है, इसलिए इसे परिषद में शामिल करने की जरूरत नहीं है। जल्द ही बड़ा इन्वर्टर खरीदने की तैयारी की जा रही है। अध्यक्ष और हमारा वाहन 15-16 साल पुराना हो गया है। इसे सुधारने में खर्च आता है, इसलिए नया वाहन खरीदना पड़ रहा है। इसे फिजूलखर्ची नहीं कहा जा सकता है।

सतीश मटसेनिया, सीएमओ नपा, बैतूल

नपा वार्डों में विकास कार्य के लिए भेदभाव कर रही है। केवल भाजपा पार्षदों के वार्डों में फिजूलखर्ची की जा रही है। परिषद में नए वाहन लेने का प्रस्ताव भी गलत है। अध्यक्ष और सीएमओ के वाहन 15-16 साल पुराने नहीं है। आज भी उनकी स्थिति अच्छी है। जनता के टैक्स के पैसे का बैतूल नपा फिजूलखर्च कर रही है।

राजकुमार दीवान, नेता प्रतिपक्ष, नपा बैतूल

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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