वाहन एक ड्रायवर दो, जनजातीय कार्य विभाग में अटैचमेंट का खेल भैंसदेही में पदस्थ चालक बैतूल में दे रहा सेवाएं

बैतूल। जनजातीय कार्य विभाग में नियमों की धज्जियां उड़ने के बावजूद आला अधिकारियों का अभयदान दान समझ से परे होता जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस विभाग में अटैचमेंट का खेल इस कदर हावी है कि कर्मचारियों की जो मर्जी हो वह आसानी से संभव हो जाता है। ताजा मामले पर गौर करें तो विभाग में सहायक आयुक्त के पास वाहन तो एक है, लेकिन वाहन चलाने के लिए ड्रायवर दो नियुक्त हैं। नियमित दोनों ड्राइवरों में से एक ड्रायवर भैंसदेही परियोजना में पदस्थ है। प्रमुख कार्यालय में इनका अटैचमेंट कर रखा गया है।
बताया जा रहा है कि पहले से पदस्थ ड्रायवर भी यहीं सेवाएं दे रहा है। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब वाहन एक है तो दो चालकों की यहां क्या जरूरत है।
दो शिफ्ट में दे रहे ड्यूटी, 50 हजार मिल रहा वेतन
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जनजातीय कार्य विभाग में नरेश सिरके और अमृत राव साकरे नियमित वाहन चालक के पद पर पदस्थ हैं। नियम के मुताबिक एक वाहन पर एक वाहन चालक का पदस्थ होना पर्याप्त है, लेकिन दोनों ही वाहन चालकों की सेवाएं जिला मुख्यालय पर ली जा रही हैं। बताया जा रहा है कि जनजातीय कार्य विभाग में पदस्थ इन दोनों वाहन चालकों के बीच एक मात्र वाहन क्रमांक एमपी-48-टी-1232 मौजूद है। जिसे 7 घंटे की शिफ्ट में चलाया जा रहा है। सुबह 9 बजे से 2 बजे तक एक चालक ड्यूटी दे रहा है तो वहीं 2 बजे से शाम 7 बजे तक दूसरा चालक ड्यूटी बजा रहा है।
यानी कि 7 घंटे की ड्यूटी ली जा रही है। बताया जा रहा है कि दोनों ही वाहन चालकों को प्रतिमाह करीब 45 से 50 हजार रुपये वेतन प्राप्त हो रहा है, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर एक ही कार्यालय में दो वाहन चालकों की सेवाएं ली जाना, कहीं न कहीं मनमानी की तरफ भी इशारा कर रहा है।
भैंसदेही परियोजना का चालक बैतूल में दे रहा सेवा
इस मामले को लेकर सूत्र बताते हैं कि जनजातीय कार्य विभाग में केवल एक वाहन संचालित किया जा रहा है। इसे चलाने के लिए वाहन चालक नरेश सिरके पर्याप्त हैं, लेकिन दो वाहन चालक रखा जाना समझ से परे नजर आ रहा है।
बताया जा रहा है कि वाहन चालक अमृत राव साकरे की मूल पदस्थापना परियोजना कार्यालय भैंसदेही में है। इस वाहन चालक का वेतन भी परियोजना कार्यालय भैंसदेही से ही निकाला जा रहा है, लेकिन लम्बे समय से अमृत का अटैचमेंट जन जातीय कार्य विभाग के जिला कार्यालय में कर रखा है जो नियमों के विरुद्ध है। स्वयं उच्च अधिकारी भी अटैचमेंट के खिलाफ है।
सख्त निर्देश भी दे रखे हैं कि कर्मचारी को उसकी मूल पदस्थापना पर ही तैनात रखा जाना है, लेकिन जनजातीय कार्य विभाग को अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर चलाया जा रहा है और उच्च अधिकारी आंखे मूंदे बैठे हैं। मामले को लेकर जनजातीय कार्य विभाग सहायक आयुक्त शिल्पा जैन से उनका पक्ष जानने सम्पर्क किया गया, लेकिन हमेशा की तरह उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।