राजनीतिक हलचल: नई फील्डिंग जमाने के लिए कौनसे माननीय प्रयास में लगे?? भाजपा नेत्री की अचानक बढ़ी सक्रियता के क्या मायने??? छुटभैये नेता की ये कैसे ईमानदारी? विस्तार से पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम राजनीतिक हलचल में…..

फील्डिंग जमाने की तैयारी में एक पूर्व माननीय
सुरक्षित विधानसभा के एक पूर्व माननीय इन दिनों बेगानी दुनिया में अपनों को खोज रहे हैं। एक वर्ष पहले विधानसभा में हार के बाद उनके साथ घर के न, घाट वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। उनके बारे में कहा जाता है कि वे पहले पार्टी के जिस गुट में साथ थे, उन्हें गाहे-बगाहे सम्मान मिल जाता था, लेकिन हार के बाद उनका मन विचलित हो गया। हालांकि पहले ही वे पार्टी के दूसरे धड़े के साथ पाला बदला था, लेकिन चुनाव के बाद वे इसी धड़े में देखे जा रहे हैं।

यहां हालात यह है कि पार्टी के एक बड़े गुट के आयोजन से उन्होंने कन्नी काट ली। दूसरे धड़े में कभी कभार होने वाले कार्यक्रमों में उनकी उपस्थिति देखकर पार्टी के ही लोग कटाक्ष करते हुए दर्शन देने के लिए धन्यवाद देते देखे जा रहे हैं। इससे पूर्व माननीय के चेहरे की रंगत भी देखने लायक रहती है। वे इस गुट के धार्मिक और अन्य कार्यक्रमों में हमेशा शामिल होते देखे जा सकते हैं।

भाजपा नेत्री की सक्रियता के मायने

इन दिनों सत्तारूढ़ की एक युवा नेत्री की राजनैतिक सक्रियता के कई मायने निकाले जा रहे हैं। पहले जिला मुख्यालय पर अपनी धमक दिखा चुकी यह नेत्री भोपाल तक की राजनीति में अपनी सक्रियता से मुकाम पाने में सफल रही। अब अपने गृह ग्राम के निकट वाली जिले की दूसरी सामान्य विधानसभा में अपनी ऐसी सक्रियता बढ़ाई की अन्य नेताओं को भी पीछे छोड़ दिया है। महिला नेत्री के बारे में कहा जाता है कि वे हर छोटे से लेकर बड़े कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद सोशल मीडिया पर अपनी सक्रियता का प्रमाण देती है। इसमें पार्टी के दिग्गजों को टेग किया जाता है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे कितनी जागरूक है। वैसे चर्चा यह भी है कि युवा होने के कारण अगले विधानसभा में इसी सक्रियता से यदि उन्हें टिकट का गंभीर दावेदार माना जाए तो कोई अतिशयोक्ती नहीं होगी।

छुटभैया नेता की इमानदारी पर सवाल

शहर में बिन पेंदी के लोटे के नाम पर मशहूर सत्तारूढ़ पार्टी के एक युवा नेता की इमानदारी पर सवाल उठाए जा रहे है। वैसे पार्टी में इनकी कोई पूछ परख नहीं है, लेकिन सोशल मीडिया के पद रहने के कारण पहले पूछ परख थी, लेकिन उंगूली करने वालों का साथ देने के कारण इनकी स्थिति भी घर के ना घाट के, धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है। यही वजह है कि पार्टी में सम्मान ना मिलने के कारण सोशल मीडिया पर पोस्ट कर पार्टी नेताओं का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने का कुप्रयास कर रहे है, किन्तु यहां भी दाल नहीं गल रही। युवा नेता की हालत यह है कि अपनी आदत के कारण पार्टी से किनारा करने के बाद साथ में घुमने वाला तक कोई नहीं मिल रहा। मोबाइल चलाते वक्त बिताने के कारण सोशल मीडिया पर पार्टी की गतिविधियों के अलावा शोक संदेश की सूचना देकर टाइम पास करते देखे जा रहे है। यह युवा नेता स्वभाव से जरूर मनीषी है, लेकिन उंगूली करने वालों का साथ देकर अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे है।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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