बदहाल हुआ नेहरू पार्क, सिस्टम ने फेरा मुंह
पार्क की हरियाली गायब, झूले टूटे, बच्चों की ट्रेन बदहाल

बैतूल। जनता के बेहतर स्वास्थ्य और सुकून के लिए शहर के बीचोबीच बनाए नेहरू पार्क की स्थिति बदहाल हो गई है। देखरेख के अभाव में पार्क विरान हो गया है। हरियाली गायब हो गई है। झूले टूटे पड़े है। बच्चों की छुक-छुक रेलगाड़ी कई दिनों से बंद है। पार्क के डेव्हलपमेंट को लेकर सिस्टम ने मुंह फेर लिया है। जनप्रतिनिधियों को पार्क से मानो कोई लेना-देना ही नहीं है। सबने चुप्पी साधकर रखी है। शहर के विकास का डिंडोरी पीटा जा रहा है, लेकिन पार्क की बदहाल स्थिति सिस्टम की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों के विकास के मॉडल की पोल खोल रही है।
जिला चिकित्सालय के पास स्थित नेहरू पार्क में पिछले कई वर्षों से डेव्हलेपमेंट का काम नहीं हुआ है। हराभरा पार्क विरान हो गया है। पार्क में घुमने जाने वाले लोगों के चेहरे पर मुस्कान की जगह मायूसी देखने को मिल रही है। जब से पार्क की स्थिति बदहाल हुई है। लोगों का आना-जाना भी कम हो गया है। लोग पार्क में जाकर टहलने की जगह सड़क से टहलने के लिए मजबूर है। नगरपालिका पार्क की देखरेख और मैनेजमेट पर लाखों रूपए खर्च कर रही है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकल रहा है। नगरपालिका व्यर्थ में रूपयों को पानी की तरह बहा रही है।
छोटे बच्चों के चेहरे पर झलक रही मायूसी
शाम के समय परिजन छोटे बच्चों को लेकर पार्क पहुंचते है। यहां पहुंचने पर बच्चों के चेहरे पर मायूसी देखने को मिलती है। बच्चे झूला झूलने और ट्रेन में बैठने की जिद करते है। पार्क में हालत यह है कि झूले टूटे हुए है। वर्षों से बच्चों की टे्रन बंद पड़ी है। बच्चे ट्रेन का आनंद नहीं ले पा रहे है, जिससे बच्चों के चेहरों पर मायूसी देखने को मिल रही है। बच्चों की ट्रेन पर एक जगह खड़ी रहने से जंग लगने लगा है। ट्रेन के अलावा झलूे भी टूटे पड़े है। पार्क में लगे फव्वारे वर्षों से बंद पड़ेे है। इन्हें गर्मी के दिनों में भी शुरु नहीं किया जाता। पार्क में गोरल्ला का बना स्टेच्यु जिसे देखते ही बच्चे आकर्षित हो जाते थे। यह स्टेच्यु भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। नेहरू पार्क के डेव्हलेपमेंट से नगरपालिका का पूरा ध्यान हट चुका है।
पार्क के डेव्हलेपमेंट पर जनप्रतिनिधि भी गंभीर नहीं
वर्षों पहले बना पार्क जो शहर की शान माना जाता है। अब यह पार्क बदहाल हो चुका है। जिले के जनप्रतिनिधि भी पार्क के डेव्हलेपमेंट को लेकर गंभीर नहीं है। जब नगरपालिका के चुनाव के बाद ऐसा लग रहा था कि बदहाल नेहरू पार्क की स्थिति सुधर जाएगी, लेकिन यह उम्मीदें धरी की धरी रह गई। नगरपालिका अध्यक्ष से लेकर विधायक तक ने पार्क को डेव्हलेप करने के लिए अब तक ध्यान नहीं दिया। जब भी लोग पार्क में घुमने जाते है तो पार्क की बदहाल स्थिति देख जनप्रतिनिधियों को कोसने से नहीं चुकते। जनप्रतिनिधि विकास का डिंडोरा पीट रहे है, लेकिन पार्क की बदहाल स्थिति देख विकास के दावे की पोल खुलती नजर आ रही है।
इनका कहना है…
कई बार पार्क के डेव्हलेपमेंट को लेकर प्रपोजल बनाकर दिया है, लेकिन फंड की कमी के कारण कार्य पूरा नहीं हो सका।
नीरज धुर्वे, सहायक यंत्री, नगरपालिका बैतूल