Prashasanik Kona: प्रशासनिक कोना: रिटायरमेंट के पहले इनके सोशल मीडिया प्रेम के क्यों हो रही चर्चा?? तलवारबाजी की हकीकत थी या अफसाना? आखिर दूसरे मामले की चर्चा क्यों??? बस किराए में छूट न देने पर कौनसे साहब बिफरे और दिखाया अपना रौब????? विस्तार से पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम प्रशासनिक कोना में…..
Prashasanik Kona: Administrative Corner: Why is his social media love being discussed before retirement??

रिटायरमेंट के पहले साहब का सोशल मीडिया प्रेम
बैतूल में एक विभाग के मुखिया को पदस्थ हुए लगभग डेढ़ वर्ष से अधिक का अरसा बीत गया है। इस दौरान वे अपने कुछ विवादित फैसले और विभाग में अटैचमेंट के कारण चर्चा में भी रहे। अगले वर्ष जून में उनका रिटायरमेंट करीब आ रहा है, लेकिन अचानक वे कुछ माह से सोशल मीडिया पर इतने अधिक सक्रिय हो गए है कि किसी को समझ नहीं आ रहा है कि साहब को क्या हो गया।
दरअसल कई बेतुका पोस्ट कर साहब सोशल मीडिया पर चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। पिछले दिनों उन्होंने अपने ही परिवार का रिकार्ड सोशल मीडिया पर रखा। वे अपने दादा के सांसद और पिता के विधायक रहने के बाद मंत्री रहने की जानकारी लोगों को देते रहे। इस बात के पीछे उनका तर्क क्या था, यह तो स्पष्ट नहीं हो पाया, लेकिन उनके पूर्वज विपक्षी पार्टी से जन प्रतिनिधि बने, लेकिन सत्ता पक्ष की पार्टी ने उन्हें सीएमएचओ जैसा पद सौंपा।
साहब यह बताकर सुर्खियां तो बटोर गए, लेकिन उनकी कुछ और पोस्ट अधीनस्थों के बीच जमकर चर्चा बटोर रही है। दरअसल रिटायरमेंट के पहले सहानुभूति और कुछ कटाक्ष वाली पोस्ट करने से भी पीछे नहीं चुक रहे। साहब की कुछ सोशल मीडिया पोस्ट किसी के गले नहीं उतर रही है। कहा जा रहा है कि रिटायरमेंट नजदीक आते-आते साहब कुछ नियम विरूद्ध फैसले लेकर भी फिर चर्चा में आ सकते हैं। बताते चले कि यह साहब लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े एक विभाग के प्रमुख है।
तलवारबाजी की असलियत पर उठा पर्दा
पिछले दिनों एक थानाक्षेत्र में तलवारबाजों ने बीच बाजार में स्टंट दिखाकर माहौल खराब करने का प्रयास किया। भले ही पुलिस ने इन पर नकेल कसते हुए तुरंत हिरासत में भी ले लिया और जमकर खातिरदारी भी की। इस खातिरदारी से असामाजिक तत्वों के हौसलें नेस्तानाबूद करने का पुलिस ने प्रयास किया, लेकिन खबर छनकर आ रही है कि तलवारबाजी के पीछे जो तर्क दिए जा रहे हैं, यह किसी के गले नहीं उतर रहे हैं।
कहा जा रहा है कि दो पक्ष में हुआ विवाद सट्टे और जुएं की परमिशन से जुड़ा है। इसी विवाद के कारण प्रमुख चौराह पर खुलेआम तलवार निकल गई। दोनों पक्षों के बीच यह मामला पुराना बताया जा रहा है, लेकिन पुलिस ने इसे दूसरी ओर मोड़कर वाहवाही लूट ली।
बस किराए में छूट के बाद क्यों बिफरे साहब
जब बागुड़ ही खेत खाने लग जाए तो बेचारा खेत क्या करें की कहावत एक यूनिफार्म वाले विभाग के साहब पर सटीक बैठ रही है। मामला पिछले दिनों का है, जब उनके किसी करीबी को बैतूल से पुणे तक बस यात्रा करना था, चूंकि किराया 3500 रुपए था, लेकिन यात्रा करने वाला साहब का करीबी था, इसलिए उन्होंने संबंधित बस एजेंट को फोन घुमाया और किराया में छुट देने के लिए कहा।
चूंकि एजेंट को बस मालिक को हिसाब देना पड़ता है, इसलिए 1500 रुपए कम कर दिए। पूरे किराए में छूट न देने पर साहब ने दिल पर ले लिया और इसी कंपनी की बस को दो दिन बाद हाइवे पर रोकर कागज से लेकर अन्य दस्तावेजों की बारीकी से जांच कर ली। हालांकि उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा, क्योंकि बस फुल ओके थी।
जाते-जाते साहब ने बस एजेंट को ताकीद दे दी, लेकिन ईमानदार बस एजेंट ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। खबर है कि उक्त साहब की बड़े साहब को शिकायत होने वाली है। इन साहब के बारे में कहा जाता है कि शहर की बिगड़ैल व्यवस्था को सुधारने के बाद शाम को अक्सर ढाबों पर चीयर्स करते देखे जा सकते हैं।