Prashasnik Kona: प्रशासनिक कोना: कौन है गजनी साहब, जिनकी भूलने की आदत से अब अधीनस्थों में कम हुआ खौफ ?? दिवाली के पहले साहब की डिमांड करने में किसने बाजी मारी??? टारगेट पूरा नहीं होने पर आखिर कौनसी मेडम के टारगेट पर रहे ठेकेदार???? विस्तार से पढ़िए पूरा मामला, हमारे चर्चित कॉलम प्रशासनिक कोना में…..
Prashasnik Kona: Administrative Corner: Who is Ghajini Saheb, whose habit of forgetting has now reduced the fear among his

दबी जुबान से गजनी वाले साहब की चर्चा
राजस्व अमले वाले एक सबसे बड़े साहब को अपने ही अधिकारी और कर्मचारी गजनी साहब की संज्ञा देने लगे हैं। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि साहब गुस्से में लाल-पीले तो खूब होते हैं, लेकिन थोड़ी देर बात सब भूल जाते हैं कि किस पर और किस बात पर तमतमा रहे हैं। हालात यह है कि साहब को थोड़ी देर बाद अपनी ही कही बात याद नहीं आती है।
इसके कई उदाहरण देखने को मिल चुके हैं। पहले उनकी फटकार का इतना असर रहता था कि अधीनस्थों को सांप सूंघ जाता था। हालांकि फटकार और सख्त निर्देश अभी भी जारी है, लेकिन भूलने की कमजोरी ने उन्हें गजनी की संज्ञा दी जा रही है। साहब के गजनी वाले रूप से कर्मचारी भी अब पहले की तरह फटकार को लेकर टेंशन नहीं ले रहे।
दिवाली के बहाने साहब के हुक्म की तामिल
दिवाली का त्यौहार यूनिफार्म वाले विभाग में जमकर चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि साहब ने अपने सभी सिपहसलारों को ताकीद कर दिया था कि फील्ड में क्या फीलगुड चल रहा है, उन्हें सारी जानकारी है। साहब ने यहां तक कहा था कि कौन कहां, और किन मंसुबों कामयाब कर अपनी रोटी सेक रहे हैं, यह भी उनसे नहीं छिपा है। हालांकि साहब ने यह बात बोलने के बाद दिवाली के पहले अपनी प्राथमिकता बता दी। साहब की प्राथमिकता सुनकर अधीनस्थों के पैरों की तले जमीन खिसक गई।
दिवाली के गिफ्ट के साथ साहब ने प्रत्येक प्रभारियों को आधा पेटी का टारगेट दिया था। हालांकि यह टारगेट एचीव करना महातमों के लिए बड़ी बात नहीं थी। दिवाली के साथ साहब के यहां बारी-बारी से नजराना पेश कर गिफ्ट के साथ साहब की डिमांड पूरी होने पर उन्हें शाबासी के साथ पद पर बने रहने का आशीर्वाद भी मिल गया। अब साहब के इस नजराने की खबर छनकर बाहर आई तो खूब सूर्खियां हो रही है। वैसे भी इस विभाग के बारे में कहा जाता है कि यह अधिकारियों पर लक्ष्मी जी हमेशा मेहरबान रहती है।
टारगेट पूरा नहीं होने पर मैडम की नाराजगी
निर्माण कार्य से जुड़े विभाग की एक प्रमुख अधिकारी के आदेश की तामिल न होने पर दिवाली के पहले वे अलग रूप में नजर आई। वैसे तो पदभार ग्रहण करने के पहले ही वे खासी चर्चा में थी। उनके लक्ष्मी प्रेम से न सिर्फ ठेकेदार बल्कि अधीनस्थ भी खासे परेशान थे। दिवाली आते-आते मैडम की डिमांड इतनी अधिक बढ़ गई कि ठेकेदारों ने अपने मोबाइल बंद कर लिया। बस इसके बाद से वे ऐसी तिलमिलाई की संबंधित ठेकेदारों के कामों पर कैची चलाने का फरमान जारी कर दिया।
बेचारे ठेकेदार मजबूरी में मैडम को सलाम ठोकने पहुंचे। यहां जैसे कि उन्होंने अनुमान लगाया था कि मैडम के चैंबर में पहुंचते ही वे लाल पीली हुई और दिवाली के लिफाफों में अधिक वजन देने की बात कहने लगी। हालांकि ठेकेदार कहते रहे कि काम ठीक नहीं चल रहा , लेकिन वे नहीं मानी। इसके बाद ठेकेदारों की पीड़ा चौक चौराहों पर सुनी जा रही है।