ट्रायबल में एक के बाद एक विवाद, फिर भी सहायक आयुक्त को अभयदान!
भ्रष्टाचार से लेकर कई मामले उजागर, अधीनस्थ नप गए , लेकिन सहायक आयुक्त पर नहीं आई आंच

बैतूल। आदिवासी छात्र-छात्राओं से सीधे जुड़े ट्रायवल विभाग में भ्रष्टाचार से लेकर अन्य विवाद नई बात नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह विभाग में भ्रष्टाचार और आर्थिक लेनदेन के अलावा गंभीर अनियमित्ता के आरोप लगे हैं, लेकिन इन पर कार्रवाई भी हुई और लापरवाहों को पद से हटाया भी गया। कुछ पर निलंबन की भी कार्रवाई हुई। इसके विपरित आदिम जाति कल्याण विभाग की मुखिया शिल्पा जैन का बाल भी बाका नहीं हुआ। उनके पास ऐसी कौन सी जादू की छड़ी है कि इतने विवाद और गंभीर आरोप के बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं हो सकी। मामले में जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
जनजातीय कल्याण विभाग में विवादों का चोली दामन का साथ चला आ रहा है। यह सिलसिला सहायक आयुक्त शिल्पा जैन की पदस्थापना के बाद से देखने में आया है।
अब ऐसे दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें खुद तो सहायक आयुक्त शिल्पा जैन ने संबंधितों पर कार्रवाई कर दी, लेकिन खुद पर आंच नहंी आने दी। सबसे बड़ी चौकाने वाली बात यह है कि उनकी पदस्थापना को पांच वर्ष से अधिक का समय बीत गया है। इसके बावजूद गंभीर मामलों भी उन्हें जन प्रतिनिधियों ने अभयदान दे दिया है। यही वजह है कि सहायक आयुक्त की इस समय तूती बोल रही है। सूत्र तो यह भी बताते हैं कि उनकी कलेक्टर से भी पटरी नहीं बैठ रही है। इसके बाद उनके अधीनस्थ छात्रावासों में लगातार एक के बाद एक कांड सुर्खियां बटोर रहे हैं।
अधीक्षकों पर भी खासी महेरबानी
वैसे तो सहायक आयुक्त जैन के कार्यकाल में कई भ्रष्टाचार और विवाद सामने आए हैं। यहां तक की वर्षों से छात्रावासों में अधीक्षकों को पदस्थ रखा गया। पिछले दिनों जिले के प्रभारी प्रमुख सचिव के साथ बैठक में जनप्रतिनिधियों ने लंबे समय से पदस्थ अधीक्षकों को हटाने की मांग की तब प्रमुख सचिव के निर्देश पर आदेश जारी हुए, लेकिन अब तक उनका पालन नहीं हो पाया है। यह मामला सबसे पहले जिला मुख्यालय के विधायक हेमंत खंडेलवाल ने उठाया था, लेकिन जानकार सूत्र बताते हैं कि उनकी बातों की भी अनदेखी की गई।
खबर तो यह भी है कि भैंसदेही विधायक महेंद्र सिंह चौहान भी अपने विधानसभा में लंबे समय से पदस्थ अधीक्षकों को रखने पर नाराजगी जाहिर कर पत्राचार कर चुके हैं। इसके बावजूद नतीजा सिफर निकला। खंडेलवाल के साथ उन्होंने प्रमुख सचिव के साथ हुई बैठक में यह मामला उठाया था, तब उम्मीद जगी है कि एक स्थान पर तीन वर्ष से अधिक जमे वाले अधीक्षकों को अब हटाया जा सकता है।
यह मामले खासे सुर्खियों में रहे
सहायक आयुक्त शिल्पा जैन के कार्यकाल में दर्जनों मामले में खासे सुर्खियों में रहे। इनमें से कुछ खास मामले ऐसे थे, जिनमें उन पर भी कार्रवाई की जा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। भीमपुर में कुछ माह पहले छात्रावास की छात्रा का गर्भवती होने का मामला प्रदेश स्तर पर तूल पकड़ा, लेकिन सहायक आयुक्त साफ बच निकली। भ्रष्ट छात्रावास अधीक्षकों को संरक्षण देने के मामले में अभाविप ने सहायक आयुक्त के चेंबर में घुसकर उन्हें भ्रष्टाचारी तक कह दिया। ट्रायवल स्कूलों में मनमाने ढंग से संचालन होने के मामले सामने आए, किंतु इन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया गया। हाल ही में शाहपुर में एकलव्य आवासीय विद्यालय में बाहर से स्पर्धा के लिए आई छात्राओं के चेजिंग रूम में सीसीटीवी कैमरे लगने का मामला सुर्खियों में आनन फानन में आने के बाद पूरे कैमरे की सीडीआर नष्ट कर दी गई।
इस पर क्षेत्रीय विधायक गंगा उइके भी खासी नाराज है। उधर कुछ माह पहले शाहपुर के ही एकलव्य आवासीय विद्यालय में खरीदी कांड एवं अन्य लापरवाही पर प्राचार्य डोनीवाल समेत 7 अधिकारी सहित कर्मचारियों पर निलंबन की गाज गिरी, लेकिन यहां पर भी सहायक आयुक्त बच निकली। उपरोक्त उदाहरण ऐसे हैं जो सहायक आयुक्त को कहीं न कही राजनीति संरक्षण मिलने की ओर इशारा करते हैं।
मीडिया की आवाज दबाने अधिकांश नंबर किए ब्लैकलिस्ट
चौकाने वाली बात यह है कि पिछले कई वर्षों से जनजातीय कार्यविभाग में हुए भ्रष्टाचार और अनियमित्ता के मामले मीडिया की सुर्खियां बने तो सहायक आयुक्त शिल्पा जैन ने प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के अधिकांश प्रतिनिधियों के मोबाइल ब्लैक लिस्ट में डाल दिए है। किसी महत्वपूर्ण मामले में मीडियाकर्मियों को चर्चा करने के लिए दूसरे नंबरों का सहारा लेना पड़ता है, लेकिन इस नंबर पर बात होने के बाद सहायक आयुक्त इसे भी ब्लैकलिस्ट कर दे रही है।
इससे जनजातीय विभाग के मामलों में मीडिया को वर्जन तक नहीं मिल पा रहा है। यह बात सत्तारूढ़ भाजपा के अधिकांश जनप्रतिनिधि भी जानते हैं, लेकिन उनकी चुप्पी कहीं न कहीं कई सवाल खड़े कर रही है। मीडियाकर्मी उनसे मिलने जाए तो वे मुलाकात भी नहीं करती। इसी वजह कई मामलों में मीडियाकर्मी बिना वर्जन के खबर लगाने को मजबूर है।
इनका कहना…
जनजातीय कार्यविभाग में लापरवाही की शिकायतें मिली है। मीडियाकर्मियों के मोबाइल भी ब्लैकलिस्टेड करने की जानकारी सामने आई है। इस मामले में भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों और कलेक्टर से भी शीघ्र चर्चा की जाएगी।
हेमंत खंडेलवाल, विधायक बैतूल