Prashasanik Kona: प्रशासनिक कोना: सुरूर वाले साहब का गुपचुप दौरे के क्या है मायने?? चर्चित आरआई को हटाने पर माननीय की मंशा पर किसने पानी फेरा??? आखिर थानेदार साहब कारेस्टारेंट के परमानेंट टेबल पर बैठकर डिनर करने का क्या राज है???? विस्तार स पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम प्रशासनिक कोना में……
Prashasanik Kona: Administrative Corner: What is the meaning of Sururwale Saheb's secret visit??

सुरूर वाले साहब का गुपचुप दौरा
सुरूर से संबंधित एक विभाग अक्सर बड़ी गोपनीयता से काम करने के लिए चर्चित रहता है। इसके पीछे कहीं न कहीं आर्थिक लाभ जुड़ा होने की चर्चा की जाती है, क्योंकि इस विभाग का सीधा कनेक्शन ठेकेदारों से होता है। यही वजह है कि अपना फायदा होने के कारण ठेकेदार भी अंदर की कारगुजारियों को छनकर बाहर नहीं आने देते हैं, लेकिन पिछले दिनों सुरूर से जुड़े विभाग के एक अधिकारी का भोपाल से बैतूल आना और गुपचुप दौरा काफी सुर्खियां बटोर रहा है। इसकी सीक्रेसी लीक होने पर अब विभाग में विभीषण तलाश रहे हैं। खबर है कि सुरूर विभाग के स्थानीय अधिकारियों ने भोपाल से आए साहब का जोरदार स्वागत किया।
इसके बाद दिखावे के लिए एक दो ब्लॉकों में दुकानों का निरीक्षण कर कागजों में रिपोर्ट भी तैयार कर ली। इसे सार्वजनिक किए बिना साहब को उनकी सोच से अधिक खुश कर दिया गया। इसके बाद उन्हें छोड़ने जिले की धार सीमा तक 3-4 बोलेरो वाहन भी गए। जब यह वाहन वापस आए तो एक साथ आने के कारण शहर से होते हुए अपने कार्यालय लौट रही थी तो लोगों को लगा कि कोई बड़ी छापे की कार्रवाई होने जा रही है, लेकिन इस बार कार्रवाई के लिए दरोगा का फोन नहीं आया तो वास्तविकता पता करने पर साहब के गुपचुप दौरे और रस्म अदायगी को लेकर मीडिया तक बात पहुंच गई। यह गोपनीयता भंग होने के कारण सुरूर विभाग के अधिकारी अब विभीषण को तलाश कर रहे हैं कि आखिर यह जानकारी कैसे लीक हुई।
किसने फेरा माननीय की मंशा पर पानी
पिछले कई वर्षों से एक चर्चित आरआई डबल चार्ज से जमकर तोड़ी करने में लगे हैं। चूंकि बिना तोड़ी के यह महाशय नेताओं के भी काम नहीं करते थे। इनकी शिकायत एक माननीय के पास पहुंची तो उन्हें हटाने का फरमान जारी कर दिया, लेकिन अधिकारियों ने यहां पर भी गुसताखी कर डाली और उससे एक चार्ज ले लिया गया। आरआई से ऐसा चार्ज छीना गया,जहां तोड़ी जैसे काम नहीं होते थे। इससे अफसरों की मंशा भी जाहिर हो गई। दूसरी तरफ चाहते थे कि इस आरआई को यहां से हटाया जाया, क्योंकि अवैध कालोनियों की फाइलें दबाने में इसका कोई तोड़ नहीं था। चर्चा है कि कलेक्ट्रेट में अवैध कालोनियों को अपने हिसाब से चलाने वाले हिमायतियों ने माननीय की मंशा पर पानी फेर दिया है। इसके परिणाम आने वाले दिनों में देखने को मिल सकते हैं।
थानेदार का टेबल प्रेम
एक थानेदार जिला मुख्यालय के सबसे प्रमुख रेस्टारेंट में भोजन और नाश्ता करने रोज जाते हैं। इसके पीछे कहा जाता है कि उनका परिवार यहां पर नहीं रहता। इस रेस्टारेंट में साहब के अलग ही जलवे हैं। दरअसल साहब एक निर्धारित टेबल पर ही बैठते हैं। यदि उस समय यह टेबल खाली नहीं रही तो लंबा इंतजार करने से भी नहीं चुकते हैं, क्योंकि उस टेबल के सामने दीवार घड़ी भी लगी है। दीवार की तरफ पीठ कर बैठने से पूरे रेस्टारेंट का नजारा थानेदार के सामने आ जाता है।
चर्चा है कि इस टेबल पर बैठकर वे सुंदरता निहारते हैं, सुंदरता भी ऐसी निहारते हैं, जैसे ताड़ना की श्रेणी में रखा जाएगा। चर्चा है कि कुछ दिनों पहले रेस्टारेंट में भोजन के दौरान किसी को ताड़ रहे थे, तब उस सुंदरता ने अपने साथी को इशारा कर कहा कि सामने टेबल पर बैठा उन्हें ताड़ रहा है। सुंदरता ने अपने साथी को यह भी बताया कि उनकी आंखे कितनी मक्कारी भरी है। चूंकि उक्त जोड़े के पीछे एक विभाग का ही अदना सा कर्मी बैठा था, उसने यह बात सुन ली और चर्चा हर तरफ फैल गई। यदि बड़े साहब रेस्टारेंट के सीसीटीवी चेक कर ले तो थानेदार के बारे में पता चल जाएगा। वैसे यह साहब अब यहां रहने के बजाए, दूसरे जिले में जाने की जुगत भीड़ा रहे हैं।