सड़क का ठिकाना नहीं, टोल वसूलने की तैयारियां शुरू
बरेठा घाट हाइवे पर बड़े गड्ढें, सड़क पूरी करने की राह भी निर्माण कंपनी के लिए बनी बाधा

बैतूल। बैतूल से राजधानी भोपाल तक बनाए जा रहे हाइवे का काफी कुछ हिस्सा तो बन चुका है, लेकिन वह विभाग की आपत्ति के बाद बरेठा घाट का करीब 6 किलोमीटर का हिस्सा कब तक बन पाएगा, इसकी कोई ग्यारंटी नहीं है। वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर आ रहे पेच के कारण हाइवे के इस हिस्से का काम रुका हुआ है।
ऐसे में घाट सेक्शन में बारिश के चलते एक से डेढ़ फीट के गड्ढे हो गए हैं। यह गड्ढें हादसे को आमंत्रण दे रहे हैं। अब हाइवे बना रही कम्पनी आधे अधूरे हाइवे पर चलने वाले वाहन चालकों से टोल वसूलने की तैयारी कर रही है। आम नागरिकों में इसे लेकर आक्रोश देखा जा रहा है, क्योंकि बरेठा घाट जैसे संवेदन शील क्षेत्र में गड्ढों के चलते होने वाली घटना भारी जनहानि की तरफ इशारा कर रही है।
भारी वाहनों को सबसे ज्यादा खतरा, गड्ढे भरने से कम्पनी का परहेज
प्राप्त जानकारी के मुताबिक बरेठा घाट में हाइवे का एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह गड्ढों में तब्दील हो चुका है। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक घाट सेक्शन शुरू होने के पूर्व ग्राम बाँचा से ही सड़क पूरी तरह जर्जर होना शुरू हो जाती है। यह स्थिति बरेठा जोड़ तक एक जैसी बनी हुई है। घाट के करीब तीन से चार किलोमीटर के इस हिस्से में वाहन रेंग रेंग कर चल रहे हैं, लेकिन उबड़ खाबड़ सड़क पर चलने वाला वाहन कब दुर्घटना का शिकार हो जाए, इसका डर भी वाहन चलकों में देखा जा रहा है। सबसे ज्यादा खतरा उन भारी वाहनों का नजर आ रहा है जो टनों वजन लेकर इस खतरनाक रास्ते से गुजर रहे हैं। हिचकोले खाता वाहन कब दुर्घटना का सबब बन जाए इसका कोई भरोसा नहीं है।
टोल वसूली की तैयारी कर रही कम्पनी
इसे विडम्बना ही कहा जाएगा कि बैतूल से राजधानी भोपाल तक करीब 198 किलोमीटर का हाइवे फोरलेन में तब्दील करने में ही एनएचएआई को 10 साल का समय लग गया। सबसे पहले एनएचएआई ने ट्रान्सटॉय कम्पनी को ठेका दिया था जिसके बाद कई साल कम्पनी ने काम ही शुरू नहीं किया और मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के विरोध के बाद हाइवे का ठेका जितेंद्र सिंह एंड कम्पनी को दिया गया।
इसकी लागत लगभग 750 करोड़ रुपए तय की गई थी। जैसे -तैसे हाइवे तैयार तो हो गया, लेकिन बरेठा सहित हाइवे का कुछ हिस्सा वन विभाग की आपत्ति की वजह से अधूरा रह गया। अब हाइवे बना रही कम्पनी ने शाहपुर के समीप टोल नाका बनाने की तैयारी शुरू कर दी है, जबकि हाइवे अभी पूरी तरह बनकर तैयार भी नहीं हुआ है और न ही एनएचएआई के हैंडओवर किया गया है। ऐसे में टोल की वसूली की जाना समझ से परे हैं।