Lohri Festival 2024: कब मनाया जाएगा लोहड़ी का त्यौहार, क्यों जलाई जाती है आग, जानिए परंपर और महत्व
Lohri Festival 2024: When will the festival of Lohri be celebrated, why fire is lit, know the tradition and importance

Lohri Festival 2024 : सांस्कृतिक पर्व लोहड़ी पंजाब एवं जम्मू कश्मीर में मनाया जाता है। आपको बता दें कि लोहड़ी का त्यौहार मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है। इस दौरान शीत ऋतु अपनी चरम सीमा पर होती है। तापमान शुन्य से 5 डिग्री सेल्सियस तक होता है तथा घने कोहरे के बीच सब कुछ ठहर सा प्रतीत होता है। लेकिन इस शीतग्रस्त मौसम के बीच लोहड़ी के पर्व की वजह से जोश की लहर महसूस की जा सकती है।
मुख्य रूप से भारत के उत्तरी क्षेत्रों, विशेषकर पंजाब राज्य में मनाया जाता है। यह आमतौर पर हर साल 13 जनवरी को होता है। लोहड़ी सर्दियों की समाप्ति का प्रतीक है और अच्छी फसल के लिए खुशी और धन्यवाद का त्योहार है। पंजाब के लोगों के लिए लोहड़ी के महत्व एक पर्व से भी अधिक है पंजाबी लोग हंसी मजाक पसंद तगड़े, ऊर्जावान, जोशीले एवं स्वाभाविक रूप से हंसमुख होते हैं। उत्सव, प्रेम एवं हल्की स्वच्छंदता ही लोहड़ी पर्व का प्रतीक है। (Lohri Festival 2024) उत्तर भारत में, खासकर कि पंजाब में इस त्यौहार का विशेष महत्व है। जिन लोगों की नई-नई शादी हुई हो या जिनके घर में बच्चा हुआ हो, उन लोगों के लिए लोहड़ काफी मायने रखता।
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क्यों और कैसे मनाते हैं लोहड़ी पर्व(Lohri Festival 2024)
पंजाब में लोहड़ी पर नई फसलों की पूजा करने की भी परंपरा है। इस दिन लड़के लोहड़ी की अग्नि के पास भांगड़ा करते हैं और लड़कियां गिद्दा करते हुए पारम्परिक गीत गाकर अग्नि की परिक्रमा करती हैं। पंजाब में आपको शहर के हर चौराहे पर लोहड़ी जलती दिख जाएगी। लोग दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर धूम-धाम से लोहड़ी का जश्न मनाते हैं। इस दिन तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली का भी खास महत्व है।
धार्मिक मान्यता(Lohri Festival 2024)
एक प्रचलित लोक कथा है कि मकर संक्रांति के दिन कंस ने श्री कृष्ण के वध के लिए लोहिता नामक राक्षसी को गोकुल में भेजा था। जिसे श्री कृष्ण ने खेल-खेल में ही मार डाला था। इसी घटना की स्मृति में लोहड़ी का पावन पर्व मनाया जाता है। सिंधी समाज में भी मकर संक्रांति के दिन एक दिन पूर्व लाल लवी के रूप में इस पर्व को मनाया जाता है। जैसे होली जलाते हैं उसी तरह होली की तरह लकड़ियां एकत्र करके जलाई जाती है और तिलों से अग्नि का पूजन किया जाता है।(Lohri Festival 2024)
लोहड़ी का महत्व(Lohri Festival 2024)
लोहड़ी पर्व का विशेष महत्त्व इसलिए भी है कि इस दिन बड़े-बुजुर्गों का खास ख्याल रखा जाता है और नई पीढ़ी के बच्चे बड़े-बुजुर्गों के साथ मिलकर पुरानी मान्यताओं और रीती-रिवाजों का ज्ञान प्राप्त करते हैं, ताकि भविष्य में भी पीढ़ी दर पीढ़ी यह उत्सव इस तरह चलता रहे। इसी के साथ पंजाबी समुदाय में सुबह घर लौटते समय “लोहड़ी” में से 2-4 दहकते कोयले घर लाने की परंपरा आज भी यथावत जारी है।
सांस्कृतिक प्रथाएँ और परंपराएँ(Lohri Festival 2024)
इस त्यौहार पर बच्चों द्वारा घर-घर जाकर लकड़ियां एकत्र करने का ढंग बहुत रोचक है। बच्चों की टोलियां लोहड़ी गाती है और घर-घर से लकड़ियां मांगी जाती है। इस दिन मधुर और सुन्दर गीत गाए जाते है। इस दिन सुबह से ही बच्चे घर-घर जाकर गीत गाते हैं और प्रत्येक घर से लोहड़ी मांगते हैं। लोग एकत्रित होकर अलाव की परिक्रमा करते हैं और अग्नि को पके हुए चावल मक्का के दाने तथा अन्य चबाने वाले अन्न पदार्थ अर्पित करते हैं।(Lohri Festival 2024) परिक्रमा के बाद लोग मित्रों एवं संबंधियों से मिलते हैं शुभकामनाओं के बीच भेंट भाटी जाती है तथा प्रसाद वितरण होता है। प्रसाद में पांच मुख्य बस्ती होती है तिल, गजक, गुड़, मूंगफली एवं मक्का के दाने शीत ऋतु के विशेष भोज्य पदार्थ अलाव के चारों ओर बैठकर खाए जाते हैं। इनमें सबसे महत्वपूर्ण व्यंजन है मक्के की रोटी और सरसों का हरा साग जनवरी की तिथि सर्दी में जलते हुए अलाव अत्यंत सुखद एवं मनोहरी लगते हैं।(Lohri Festival 2024)