Betul Hospital News: अस्पताल में एक्स-रे की हार्ड कॉपी बंद, मोबाइल से खींची जा रही तस्वीरें बनी सहारा

Betul Hospital News: Hard copies of X-rays are discontinued at the hospital, with mobile photographs being taken as a support.

मरीजों को हो रही भारी परेशानी, निरीक्षण के बावजूद नहीं सुधर रही व्यवस्थाएँ

Betul Hospital News: बैतूल। जिला अस्पताल की अव्यवस्थाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं। आए दिन मरीज और उनके परिजन किसी न किसी समस्या से जूझते नजर आते हैं। अब अस्पताल में एक्स-रे की हार्ड कॉपी नहीं मिलने से परेशानी और बढ़ गई है। कई महीनों से मरीजों को उनकी रिपोर्ट का प्रिंट या फिल्म उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। डॉक्टर अब मरीजों को मजबूर कर रहे हैं कि वे मोबाइल से एक्स-रे की फोटो खींच लें और उसी के आधार पर इलाज करवाएँ। अस्पताल में एक्स-रे होने के बाद मरीजों को रिपोर्ट की हार्ड कॉपी मिलना नियमों के तहत आवश्यक है, लेकिन यह सुविधा लंबे समय से बंद पड़ी है। वजह चाहे जो भी हो, इसकी सजा मरीज भुगत रहे हैं।

एंड्रॉयड फोन न होने पर मुश्किलें दोगुनी

अस्पताल आने वाले हर मरीज के पास स्मार्टफोन नहीं होता। ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले कई लोग अब भी साधारण फोन का उपयोग करते हैं। एक्स-रे कक्ष में हार्ड कॉपी न मिलने पर ऐसे मरीजों को दूसरों से मोबाइल मांगना पड़ता है, या फिर किसी परिचित की मदद लेनी पड़ती है। कई बार भीड़ और अफरा-तफरी के बीच तस्वीरें स्पष्ट नहीं आतीं, जिसका सीधा असर उपचार पर पड़ता है। कुछ मरीज बताते हैं कि पहले कुछ समय तक कागज पर एक्स-रे की प्रिंट कॉपी मिल रही थी, लेकिन अब उस विकल्प को भी बंद कर दिया गया है। डॉक्टरों को भी मोबाइल स्क्रीन पर धुंधली तस्वीर देखकर दवाइयाँ लिखनी पड़ रही हैं, जबकि कई चिकित्सकीय मामलों में तस्वीर की स्पष्टता बहुत महत्वपूर्ण होती है।

कलेक्टर के निरीक्षण भी बेअसर

जिला कलेक्टर नरेन्द्र कुमार सूर्यवंशी कई बार अस्पताल का निरीक्षण कर खामियों को सुधारने के निर्देश दे चुके हैं। उन्होंने कचरा प्रबंधन, दवाइयों की उपलब्धता, साफ-सफाई और मशीनों की स्थिति की भी समीक्षा कर अधिकारियों को सजग रहने को कहा था। बावजूद इसके हालात जस के तस हैं। अधिकारी निरीक्षण के समय सक्रिय दिखते हैं, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर स्थिति बिगड़ जाती है। मरीजों का कहना है कि निरीक्षण केवल दिखावा बनकर रह गया है।

दूर-दराज के मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित

ग्राम क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को उपचार के लिए कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। मोबाइल से खींची तस्वीर यदि डॉक्टर को स्पष्ट न लगे और दोबारा एक्स-रे करना पड़े, तो आर्थिक और मानसिक दोनों परेशानियाँ बढ़ जाती हैं। बुजुर्ग और महिलाओं के लिए यह समस्या और गंभीर रूप ले लेती है। परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन को एक्स-रे की हार्ड कॉपी की समुचित व्यवस्था तत्काल बहाल करनी चाहिए। यह न सिर्फ मरीजों के रिकॉर्ड का हिस्सा होती है, बल्कि भविष्य के उपचार में भी उपयोगी रहती है।यदि व्यवस्था नहीं सुधारी गई तो मरीजों को निजी अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ेगा, जिससे उनका आर्थिक बोझ बढ़ेगा। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ. जगदीश घोरे को उनके मोबाईल नंबर पर फोन किया गया लेकिन उन्होंने फोन रिसिव नहीं किया।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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