Betul News: त्वरित टिप्पणी: डर और दहशत का शहर बनते जा रहा शांत फिजाओं वाला हमारा बैतूल, आखिर कब तक ऐसा चलेगा??
Betul News: Quick Comment: Our Betul with its peaceful atmosphere is turning into a city of fear and terror, how long will this continue?

महेश साहू
Betul News: बैतूल, जिसे कभी मध्यप्रदेश के सबसे शांत जिलों में गिना जाता था, आज भय और असुरक्षा के माहौल में सांस ले रहा है। यहां की आबो-हवा में जो सुकून, अपनापन और सहजता थी, वह अब खून की छींटों और गोली की आवाज़ों में दबती जा रही है। हर हफ्ते किसी न किसी गली या मोहल्ले से चाकूबाज़ी, फायरिंग, भिड़ंत या खुलेआम अपराध की खबर सामने आ रही है। यह वही बैतूल है जो कभी ‘संवेदनशील, सौम्य और सुरक्षित’ कहलाता था – लेकिन अब? अब यह एक सवाल बन गया है – क्या अब यहां सुरक्षित रहना संभव है?
प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता ने बढ़ाई जनता की बेचैनी
पिछले एक साल में बैतूल शहर में गोली चलने और चाकूबाजी की घटनाओं में जितनी तेजी से बढ़ोतरी हुई है, वह बेहद चिंताजनक है। कई घटनाएं तो दिनदहाड़े, सार्वजनिक स्थलों पर हुई हैं – जहां आम आदमी, महिलाएं और बच्चे भी मौजूद होते हैं। अपराधी बेखौफ हैं, वे न तो पुलिस से डरते हैं और न ही कानून से। सवाल उठता है कि आखिर उन्हें ये हिम्मत मिल कहां से रही है?
यह लचर कानून व्यवस्था का ही परिणाम है कि अपराधी को मालूम है – या तो वह पकड़ा ही नहीं जाएगा, और अगर पकड़ा गया तो भी जल्दी छूट जाएगा। न थाना स्तर पर सख्ती दिखती है, न ही जांच और कार्रवाई में गंभीरता। कई बार तो ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस महज तमाशबीन बनकर घटनाएं दर्ज कर रही है, कार्रवाई नहीं।
दहशत में आम नागरिक, अपराधियों में नहीं कानून का भय
आज शहरवासी अपने ही मोहल्ले में असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। व्यापारियों में भी चिंता है, बैतूल जैसे शहर के लिए यह माहौल बेहद शर्मनाक और खतरनाक संकेत है।
अगर आंकड़ों की बात करें तो पिछले एक साल में बैतूल में चाकूबाज़ी की लगभग एक दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। गोली चलने की घटनाओं ने भी चिंता बढ़ा दी है – इनमें से कई मामले आपसी रंजिश, टकराव, नशा और अवैध धंधों से जुड़े रहे हैं। सवाल यह है कि इन गतिविधियों को कौन संरक्षण दे रहा है?
अब जरूरी है कठोर और ठोस कदम
यह समय सिर्फ चिंता जताने का नहीं है कठोर और ठोस कदम उठाने का है। प्रशासन और पुलिस को अब अपराधियों पर सीधी कार्रवाई करनी चाहिए – चाहे वे किसी भी राजनीतिक या सामाजिक रसूख से जुड़े हों। थाना प्रभारियों को जवाबदेह बनाना होगा। गश्त को नियमित, तेज़ और असरदार करना होगा। साथ ही नागरिक समाज को भी जागरूक और एकजुट होना होगा ताकि अपराध के खिलाफ एकजुट आवाज़ उठे।
पुलिस की सक्रियता, प्रशासन की सजगता और समाज की सहभागिता – यही तीन स्तंभ बैतूल को फिर से शांत, सुरक्षित और सुकूनभरा शहर बना सकते हैं।