Betul Ki Khabar : उत्पादन माह में बंद रही चाइना और साउथ अफ्रीका की मशीन
Betul Ki Khabar: Machines from China and South Africa remained shut during the production month

तवा-1 और तवा-2 से प्रभावित हुआ कोयला उत्पादन
Betul Ki Khabar : सारनी। वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड पाथाखेड़ा क्षेत्र में कंटीन्युअस माइनर सफल नहीं रही। भूमिगत खदान से कोयला उत्पादन बढ़ाने सीआईएल द्वारा नित्य नए प्रयास किए जा रहे हैं। इसी के तहत वेकोलि के पाथाखेड़ा क्षेत्र में स्थित भूमिगत खदानों में सीएम मशीन लगाई गई। लेकिन इसके सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। पाथाखेड़ा क्षेत्र में तीन खदानें हैं। जिनमें तवा-1, तवा-2 और छतरपुर-1 शामिल है। तीनों खदानों में अत्याधुनिक कंटीन्युअस माइनर लगाई गई है। खदान में उक्त मशीनें लगाते समय कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कहा जाता रहा है कि सुरक्षा के साथ कोयला उत्पादन में सीएम मशीन का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। लेकिन पाथाखेड़ा क्षेत्र में इसके ठीक विपरीत काम हुआ। जैसे छतरपुर-1 खदान में सीएम वाले क्षेत्र में तीन कोल कर्मियों को अपनी जान गवानी पड़ी। जबकि तवा-1 और तवा-2 खदान की मशीन ज्यादातर समय बंद ही रही। जिसके चलते तवा-1 और तवा-2 खदान में सीएम मशीन का प्रदर्शन सकारात्मक नहीं रहा। जबकि तवा-1 में लगी सीएम मशीन साउथ अफ्रीका और तवा-2 की मशीन चाइनीज है।
उत्पादन माह में बंद रही मशीनें
खदानों से कोयला उत्पादन वैसे तो साल भर चलता है। लेकिन वेकोलि में उत्पादन माह जनवरी, फरवरी और मार्च को माना जाता है। इन माह में कोल कर्मियों से लेकर अधिकारियों तक सभी पूरे जोश में कोयला उत्पादन के लिए तत्पर रहते हैं। लेकिन पाथाखेड़ा क्षेत्र की तवा परियोजना में उत्पादन माह में दोनों कंटीन्युअस माइनर बंद रही। तवा-1 की मशीन आखिरी समय यानी उत्पादन माह के आखिरी सप्ताह में चालू हुई। दो दिन कोयला उत्पादन में मशीन ने योगदान भी दिया। इसके बाद पुन: मशीन ब्रेक डाउन हो गई।
खदान से बाहर ला रहे मशीन
पाथाखेड़ा क्षेत्र में कंटीन्युअसर माइनर की शुरूआत साल 2021 से हुई। इस मशीन के शुभारंभ कार्यक्रम में बतौर अतिथि तत्कालीन कोल इंडिया चेयरमेन प्रमोद अग्रवाल शामिल हुए थे। जब से मशीन खदान में उतरी है। तब से अब तक संभवत: लक्ष्य पूरा करने में मशीन सफल नहीं रही। इसकी वजह बार-बार मशीन ब्रेक डाउन रहना है। बताया जा रहा है कि एक बार मशीन के ब्रेक डाउन होने पर मशीन के पार्ट्स के लिए काफी लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता रहा है। यही वजह है कि उत्पादन लक्ष्य पिछड़ता गया। अब हालत यह है कि लंबे समय तक बे्रक डाउन रहने की वजह से कंपनी प्रबंधन को मशीन को खदान से बाहर निकालने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
जांच पर जांच जारी, नहीं हुई कार्रवाई
छतरपुर-1 खदान के कंटीन्युअस माइनर सेकशन में हुए रूफफाल में तीन कोल कर्मियों की चट्टान में दबने से मौत हो गई थी। इस हादसे से पूरा कोल इंडिया हरकत में आ गया। दरअसल वेकोलि पाथाखेड़ा क्षेत्र की भूमिगत खदानों को एशिया की सबसे सुरक्षित खदानों में गिना जाता है। ऐसे में रूफफाल होना सुरक्षा में बड़ी चूक है। अब तक सीआईएल की एकसपर्ट टीम, कोल इंडिया डीटी, वेकोलि सीएमडी, वेकोलि डीटी, वेकोलि डीपी, जीएम रेस्कयू, जीएम आईआर, जीएम एसएनसी, डीजीएमएस, डीडीएमएस के अलावा सभी यूनियनों की सुरक्षा टीमों ने घटना स्थल का निरीक्षण कर कई बार जांच पर जांच की। लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं की।