Betul News: बेटियों ने नम आंखों से दी पिता को अंतिम बिदाई
Betul News: Daughters bid final farewell to father with tearful eyes

अग्नि संस्कार कर निभाया बेटों का फर्ज, हर आंखों में दिखे आंसू
Betul News: बैतूल। गीत की यह पंक्तियां उंगली पकड़ के तूने चलना सिखाया हमें बेटियों द्वारा अपने पिता के प्रति प्रेम को दर्शाती हैं, लेकिन बेटियों के लिए वह पल कितना भारी गुजरता होगा, जब उन्हें अपने हाथों से अपने पिता को अंतिम विदाई और उनका अग्नि संस्कार करना पड़ता है। कुछ ऐसे ही पल दो बेटियों को गंज मोक्षधाम मे भी बिताने पड़े। दरअसल सदर निवासी सुखदेव मालवीय के निधन के बाद उनकी बेटियों शुभांगी और जिज्ञासा को अपने पिता को मुखाग्नि देनी पड़ी।
इस मार्मिक क्षण को देखकर अंतिम संस्कार में मौजूद हर व्यक्ति की आंखें भर आईं। दोनों बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को नम आंखों से कंधा भी दिया। उल्लेखनीय है कि अब तक बेटों को ही मुखाग्नि देने की परंपरा रही है, लेकिन बेटों के न होने पर शुभांगी और जिज्ञासा ने इस रूढ़िवादी सोच को तोड़ते हुए अपने पिता के अंतिम संस्कार में पुत्र धर्म निभा कर न ही समाज के सामने मिसाल पेश की बल्कि यह संदेश भी दिया कि अपने पिता के लिए बेटियां भी हर जिम्मेदारी बखूबी निभा सकती हैं।
समाज के लोगों ने भी दिया साथ
समाज के लोगों ने उनके इस साहसिक और मार्मिक कदम की सराहना की है। मिली जानकारी के अनुसार अंतिम संस्कार की परम्परा शशिकांत मालवी ने संपन्न करवाई और पूरे विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार कराया। जिस वक्त बेटियों ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया और मुखाग्नि दी, तो लोगों के लिए यह दृश्य बेहद भावुक कर देने वाला था। बेटियों ने अपने पिता को सम्मानपूर्वक विदाई देकर साबित कर दिया कि बेटियां भी हर जिम्मेदारी निभाने में सक्षम हैं।