Betul Samachar: सोसायटी प्रबंधक डकार गया आदिवासी किसान के बीमे की रकम
Betul Samachar: The society manager stole the insurance money of the tribal farmer.

कोरे विड्राल पर कराया हस्ताक्षर, पूरी वसूली का थमाया नोटिस, बेपरवाह अधिकारी
Betul Samachar: बैतूल। सहकारी समितियों में भले ही सारे काम मैन्युअल सिस्टम से तब्दील होकर ऑनलाइन कर दिए गए हो, लेकिन वित्तीय अनियमितता औऱ किसानों से धोखाधड़ी के मामलों में कोई फर्क नहीं पड़ा है। ताजा मामला चिरापाटला सहकारी समिति में सामने आया है। यहां एक आदिवासी किसान के साथ समिति प्रबन्धक ने ही धोखाधड़ी को अंजाम दिया। पीड़ित किसान ने इसकी शिकायत 20 जनवरी को कलेक्टर से की थी, लेकिन न ही जिला प्रशासन किसान के साथ न्याय कर पाया है और न ही सम्बन्धित विभाग के अधिकारी किसान का पैसा वापस दिला पाए हैं। किसान ने प्रबन्धक पर पूरे 40 हजार रुपए की धोखाधड़ी के आरोप लगाकर पूरे अधिकारियों को कटघरे में खड़ा कर दिया।
फसल खराब होने के एवज में मिली थी बीमे की रकम
चिरापाटला समिति के अंतर्गत आने वाले ग्राम कुरुसना निवासी आदिवासी किसान मिश्री पिता सम्मू आदिवासी ने शिकायत में आरोप लगाया कि विभाग में मनमानी का आलम यह है कि इस समिति में प्रबन्धक का प्रभार अभी तक ऐसा कर्मचारी संभाल रहा था जिसका मूल पद विक्रेता का है। उनके द्वारा समिति से कर्ज लिया गया था। इसी बीच उन्हें फसल बीमे की 40 हजार रुपए की रकम प्राप्त हुई थी। प्रभारी प्रबन्धक रामदयाल यादव ने कोरे विड्राल फार्म पर हस्ताक्षर करवाएं और झांसा दिया कि राशि कर्ज के खाते में जमा कर दी जाएगी, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उसे कर्ज की पूरी राशि जमा किए जाने का नोटिस थमा दिया गया। इसके बाद धोखाधड़ी की जानकारी मिली।
विक्रेता बना प्रबन्धक , चौकीदार चला रहा दुकान
सहकारी समितियों में मनमानी का आलम यह है कि इसमें अधिकारियों की अनदेखी भी साफ नजर आ रही है। पीड़ित किसान ने इसकी भी पोल खोलकर रख दी है। किसान का कहना है कि रामदयाल यादव का मूलपद विक्रेता का है। टोकरा राशन दुकान इन्हें आवंटित है, लेकिन बावजूद इसके पिछले 12 वर्ष से यह समिति की प्रबंधकीय संभाल रहे हैं और टोकरा की दुकान चौकीदार संभाल रहा है। एक साल पहले समिति में महिला प्रबन्धक कि नियुक्ति हो चुकी थी, लेकिन अधिकारियों ने इस पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा।
जब इस संबंध में उप पंजीयक सहकारी समिति से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि एक माह पूर्व ही महिला प्रबन्धक को चार्ज दिलवा दिया गया है, लेकिन सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या वजह थी कि पूरे एक साल तक महिला प्रबन्धक को चार्ज न दिलवाकर विक्रेता रामदयाल यादव का अटैचमेंट बरकरार रखा गया। किसान ने अपने साथ हुई धोखाधड़ी की शिकायत 20 जनवरी को ही कर दी थी, जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो मजबूरी में किसान को मंगलवार जनसुनवाई में खड़ा होना पड़ा।
तब जाकर उप पंजीयक सहकारी समिति हरकत में आए और अब प्रकरण की जांच की बात की जा रही है। पीड़ि़त किसान की मांग है कि धोखाधड़ी करने वाले प्रभारी प्रबंधक द्वारा समिति में कई गम्भीर अनियमितताओं को अंजाम दिया गया है और सम्बन्धित विभाग के अधिकारी इस पर पर्दा डालने का काम करते रहे हैं। जांच के बाद प्रभारी प्रबन्धक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।
इनका कहना….
पिछले महीने ही महिला प्रबन्धक को चार्ज दिलवा दिया गया है। किसान की शिकायत पर जांच करवाई जा रही है।
केके शिव, उप पंजीयक सहकारी समिति, बैतूल