Betul Ki Khabar: खतरों से भरी छत के नीचे डरे-सहमे रहते हैं पुलिसकर्मी के परिवार

Betul Ki Khabar: Policemen's families live in fear under a roof full of dangers

कोतवाली थाना परिसर के लगभग 20 क्वार्टर कंडम फिर भी जान हथेली पर

Betul Ki Khabar: बैतूल। कोतवाली थाना परिसर में बने क्वार्टरों में सीवर की समस्या से जूझ रहे पुलिसकर्मियों की परेशानी के बीच करीब आधा दर्जन पुलिसकर्मी ऐसे भी हैं, जो पुराने और जर्जर हो चुके क्वार्टरों में निवास करने के लिए मजबूर हैं। सूत्रों के मुताबिक परिसर में बने इन क्वार्टरों को सरकारी स्तर पर कंडम भी घोषित कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद पुलिसकर्मी अपने परिवार और बच्चों के साथ खतरों भरी छत के नीचे निवास कर रहे हैं।

जानकारी के अनुसार कोतवाली थाना परिसर में बने पुलिस क्वार्टर लगभग 50 वर्ष से ज्यादा पुराने हो चुके हैं। इस परिसर में कुल 20 क्वार्टर बनाए थे, लेकिन समय के साथ आवास जर्जर अवस्था में पहुंच चुके हंै जो कभी भी धराशायी हो सकते हैं। छतों पर लगे कवेलू टूट फूट गए हैं तो बल्लियां भी खराब चुकी हैं। छतों पर लगे तिरपाल और पन्नियां इसकी गवाही दे रहे हैं कि बारिश के पानी से बचने के लिए छत को सुरक्षित करने के लिए ही जुगाड़ किया गया है। जबकि सबसे ज्यादा खतरा बारिश के दिनों में ही मंडराता है। वर्तमान में इन क्वार्टरों में दो सैनिकख् एक सिपाही और एक हवलदार सहित करीब आधा दर्जन पुलिसकर्मी निवास कर रहे हैं। परिवार के लोगों की पीड़ा है कि विभागीय स्तर पर हमें रहने के लिए सरकारी मकान मुहैय्या कराया जा सकता है, लेकिन उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। कभी किसी अधिकारी ने यहां आकर यह तक देखने की जहमत नहीं उठाई की पुलिस कर्मियों के परिवार कितनी तकलीफें यहां झेल रहे हैं।

नई कालोनी में मकान खाली लेकिन एलाटमेंट नहीं

प्राप्त जानकारी के मुताबिक पुलिस कर्मियों के निवास को लेकर पुलिस हाउसिंग बोर्ड के माध्यम से कंट्रोल रूम के पिछले हिस्से में मल्टी बिल्डिंगे बनाई गई हैं। पात्रता के मुताबिक इन बिल्डिंगों में सिपाही से लेकर अधिकारी और विभाग के क्लेरिकल स्टाफ को निवास आवंटित किए जाने की प्राथमिकता दी गयी है।सूत्र बताते है कि, कुछ आवास खाली पड़े हुए हैं। कुछ कर्मचारी ऐसे हैं जो पुराने मकान से नए मकान में शिफ्ट हो चुके हैं। लेकिन पुराने मकान में अभी भी उन्हीं का कब्जा है। जिनमे ताले डाल कर रखे गए हैं। और इधर कुछ पुलिस कर्मी ऐसे भी हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर जर्जर मकानों में निवास कर रहे हैं। हद तो तब हो गयी जब इन जर्जर हो चुके क्वार्टरों को अभी तक कंडम घोषित करवाने की भी जहमत नहीं उठाई गई। जबकि मौके पर साफ नजर आ रहा है कि, मकान कहीं से कहीं तक रहने लायक नहीं बचे हैं।

समय रहते नहीं चेते तो घट सकती है बड़ी घटना

मौके पर मकानों की हालत देखकर कोई भी अंदाजा लगा लेगा की वाकई पुलिस कर्मी अपनी जान हथेली पर रखकर अपने परिवार और छोटे बच्चों के साथ इन जर्जर मकानों में निवास करने के लिए मजबूर हैं। विडंबना यह है कि पुलिस के किसी भी अधिकारी का ध्यान इस तरफ नहीं है। कोई यह तक समझने को तैयार नहीं है कि खुद उनके ही विभाग के छोटे कर्मचारियो और उनके परिवार के साथ कभी भी गम्भीर हादसा हो सकता है। अगर अधिकारी अभी भी समय रहते नहीं चेते तो घटना होने के बाद सिवाय लकीर पीटने के कुछ भी हासिल नहीं होगा।

इनका कहना….

कोतवाली परिसर में बने मकानों के विषय मे कोतवाली थाना प्रभारी ही ज्यादा जानकारी दे सकते हैं।

दिनेश मर्सकोले ,आरआई 

कोतवाली परिसर में जर्जर मकानों के निरीक्षण को लेकर पुलिस विभाग से अभी तक पत्राचार नहीं किया गया है। अगर पत्र मिलेगा तो निरीक्षण किया जाएगा।

अखिल कवड़े, इंजीनियर, लोक निर्माण विभाग बैतूल

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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