Betul News: दो दिन की इन्वेस्टर्स समिट में जिले के हाथ खाली
Betul News: District hands empty in two day investors summit

22.50 लाख करोड़ के निवेश के प्रस्ताव में बैतूल को उद्योगपतियों ने नहीं दिया महत्व
Betul News: बैतूल। पूरे एशिया में सागौन के लिए अपना डंका बजाने वाले बैतूल जिले को राजधानी भोपाल में आयोजित दो दिन की इन्वेस्टर्स समिट में कुछ हाथ नहीं लगा है। देश के नामी उद्योगपति इस समिट में शामिल होने के लिए आए थे, तब उम्मीद जताई जा रही थी कि विश्व प्रसिद्ध सागौन समेत जिले की कृषि आधारित फसल सोयाबीन, मक्का और गन्ने को लेकर बड़े आशातीत किरण दिखाई देगी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। अब इतना जरूरी है कि जिन उद्योगपतियों ने करोड़ों का निवेश करने का प्रस्ताव राज्य सरकार से कर एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं, इनमें यदि बैतूल जिला शामिल हो जाए तो चारचांद लग जाएंगे, लेकिन इसकी उम्मीद काफी कम है।
प्रदेश में लंबे समय बाद इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन प्रदेश की राजधानी भोपाल में किया गया। अब तक इन्वेस्टर्स समिट आर्थिक राजधानी इंदौर में हुआ करती थी, लेकिन इस मर्तबा भोपाल में यह समिट आयोजित कर सरकार ने राजधानी को हाईलाइट करने का प्रयास किया है। भोपाल की दूरी सभी जिलों से लगभग बराबर है, इसलिए छोटे उद्योगपतियों को समिट में शामिल करने के लिए न्यौता भेजा था। सरकार अपने उद्देश्य में कामयाब जरूरी हुई, लेकिन छोटे और मंझोले जिलों में निवेश की संभावनाएं पर व्यापक असर दिखाई नहीं दिया। इसी वजह कई छोटे जिले के इस इन्वेस्टर्स समिट में खाली हाथ रहेंगे, इसमें बैतूल जिला भी शामिल हैं।
22.50 लाख करोड़ में बैतूल को कुछ हाथ नहीं
पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाही में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में देश के नामी उद्योगपति गौतम अडानी, नादीर गोदरेज, रघुपति सिंघानिया समेत कई दिग्गज मौजूद रहे। देश के अलावा विदेशों से भी इस समिट में उद्योगपतियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में निवेश करने के लिए किसी ने भी रूचि नहीं दिखाई। हालांकि समिट का गुरुवार को अंतिम दिन है। इस दिन केवल छोटे उद्योगपति ही बचे हैं।
ऐसे में इनसे बैतूल जिला में निवेश करने की उम्मीद कम दिखाई दे रही है। यदि समिट में बैतूल जैसे आदिवासी जिले में निवेश करने का प्रस्ताव आता तो जिले के आदिवासी और बेरोजगार युवाओं को रोजगार के अवसर मिलते। पहले दिन के प्रस्ताव पूरे होने पर दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में 13.43 लाख रोजगार पैदा होंगे। हालांकि इनमें बैतूल को कुछ नहीं मिलेगा। नए रोजगार में जिले से पलायन कर जिस जिले में उद्योग लगेंगे, उस जिले में जाकर युवा काम करें तो बात अलग है।
बैतूल से 37 उद्योगपति शामिल
इन्वेस्टर्स समिट में बैतूल जिले से लगभग 37 उद्योगपतियों ने भी पहले दिन अपनी सहभागिता निभाई। दूसरे दिन मंगलवार को यह संख्या 50 तक पहुंच गई। हालांकि छोटे उद्योगपतियों ने समिट में कुछ निवेश तो नहीं किया, लेकिन उन्हें कुछ नया सीखने का अवसर जरूर मिला है। समिट में शामिल होने के लिए जिला उद्योग संघ के जिला अध्यक्ष ब्रज आशीष पांडे, सचिव पीयूष तिवारी के नेतृत्व में जिलेभर के उद्योगपति भोपाल पहुंचे थे।
हमारे यहां इन चीजों का कोई सानी नहीं, फिर पीछे क्यों?
बैतूल जिले के बारे में कहा जाता है कि यहां की वस्तुएं भारत ही नहीं बल्कि विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखती है। सबसे पहले सागौन की बात की जाए तो यहां का सागौन एशिया में सबसे प्रसिद्ध है। फर्नीचर के व्यवसायी विदेशों में भी सागौन डिमांड के अनुसार भेजते हैं। यदि बड़े उद्योगपति सागौन का बड़ा उद्योग लगाने में रूचि दिखाते तो सागौन को बड़ी पहचान मिलने के साथ युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया हो सकते थे। कृषि उत्पादन आधारित सोयाबीन, मक्का और गन्ना की पहचान भी देशव्यापी है।
सोयाबीन और मक्का के उद्योग लगने पर इसका उत्पादन करने में और अधिक किसान जुटते तो उन्हें भी अपनी फसल की अच्छी लागत मिलने के साथ युवाओं को रोजगार के अवसर मिल सकते थे। गन्ना आधारित उद्योग के लिए कोई उद्योगपति रूचि दिखाता तो बड़े फायदें होने से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन आदिवासी बाहुल्य बैतूल जिले में निवेश करने में उद्योगपतियों की रूचि नहीं दिखाई दी।