Betul News: तापी मेगा रिचार्ज को लेकर जमीनी स्तर पर कार्य शुरू
Betul News: Work started at ground level regarding Tapi Mega Recharge

जिले के दामजीपुरा क्षेत्र के आदिवासियों का विरोध काम नहीं आया, महाराष्ट्र-मप्र के अधिकारियों की बैठक के बाद अगले माह टेंडर की चर्चा
Betul News: भोपाल/बैतूल। महाराष्ट्र और मप्र के अंतिम छोर पर बहने वाली ताप्ती नदी के तलहटी माध्यम से तापी मेगा रिचार्ज परियोजना के लिए जमीनी स्तर पर काम शुरू हो गया है। जिले के भीमपुर विकासखंड के दामजीपुरा से आगे करीब 3 दर्जन गांव के लोग इस परियोजना का शुरू से विरोध करते आ रहे हैं। इसी वजह काम लंबे समय से शुरू नहीं हुआ था, लेकिन कुछ माह पहले महाराष्ट्र में भी भाजपा की आगुवाही में सरकार बनने के बाद मप्र और महाराष्ट्र के अधिकारियों की पिछले दिनों बैठक के बाद परियोजना के क्रियान्वयन का काम शुरू हो गया है।
खबर है कि अगले माह इसके लिए टेंडर भी हो जाएंगे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि जिले के कई ग्रामीण अंचलों से उनकी जमीन मेगा रिचार्ज परियोजना के लिए अधिग्रहित की जा सकती है।
सूत्र बताते हैं कि महाराष्ट्र और मप्र में भाजपा की सरकार होने के बाद तापी मेगा रिचार्ज परियोजना के काम में अचानक तेजी से आ गई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के निर्देश के बाद महाराष्ट्र के जल संसाधन विभाग ने पिछले दिनों भोपाल में इस संबंध में एक बैठक की है। सूत्र बताते हैं कि गत 22 और 23 जनवरी को हुई इस बैठक में मप्र और महाराष्ट्र के अधिकारियों के साथ जल संसाधन विभाग के अधिकारी भी बैठक में शामिल हुए।
दो दिन तक चली इस बैठक मेें ताप्ती मेगा रिचार्ज में आ रही अड़चनों पर विस्तार से चर्चा की है। दोनों प्रदेश के जल संसाधन विभाग ने तर्क संगत मुद्दों पर विचार विमर्श कर आगे की रणनीति पर विचार किया। बताया जाता है कि अगली बैठक में इसी माह फरवरी में आयोजित की जाकर परियोजना के अंतिम रूप देने पर विचार किया जाएगा।
2015 में फिजीबिलिटी रिपोर्ट केंद्र को भेजी
सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2014-15 में इस परियोजना के लिए टेक्नोट्यूशन का टास्क फोर्स बनाया जा चुका है। जिसने 6 माह की अवधि में फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर 2015 में भारत सरकार को रिपोर्ट भेज दी है। सूत्र बताते हैं कि वर्ष 2016 में फिजीबिलिटी रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण भी किया जा चुका है। इसी के बाद वृहद फिजीबिलिटी रिपोर्ट पर डीपीआर बनाने के लिए निर्देश मिले। सूत्रों की मुताबिक इसी वर्ष मेमोरेंडम और सभी पक्षों से हस्ताक्षर करवा लिए गए। दिसंबर 2023 में प्रक्रिया पूरी कर डीपीआर के लिए प्रस्ताव केंद्र सरकार के पाले में जा चुका है। यहां से हरीझंडी मिलते ही काम शुरू होने की संभावना जताई जा रही है।
250 किमी भूमिगत तालाब से 100 वर्ष तक सिंचाई की तैयारी
जानकार सूत्र बताते हैं कि सतपुड़ा पर्वत और विंध्य मध्य हाइड्रोलाजिकल फाल्ट से सतपुड़ा रेंज में 250 वर्ग किलोमीटर का एक विशाल भूमिगत तालाब बनाने की तैयारी की जा रही है जिससे मप्र और महाराष्ट्र के सीमावर्ती सैकड़ों गांव में 100 वर्ष तक सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना लक्ष्य है। चूंकि परियोजना बड़ी है। इसी वजह केंद्र सरकार की अनुमति के बिना इस पर अंतिम मोहर लगना बाकी है, लेकिन बैठक के बाद संभावना जताई जा रही है कि इसके लिए शीघ्र ही टेंडर बुलाए जा सकते हैं।
बैतूल जिले में आखिर विरोध क्यों?
अरबों की इस परियोजना में बैतूल जिले के भीमपुर ब्लाक के खंडवा-बुराहनपुर जिले की सीमा से सटे करीब 2-3 दर्जन गांवों के लोगों का विरोध खुलकर सामने आ चुका है। चूंकि फिलहाल इस परियोजना पर काम बंद है, इसलिए आदिवासियों की नाराजगी सामने नहीं आई है।
पूर्व में भी आदिवासी जिला मुख्यालय तक इस परियोजना के विरोध में खुलकर सामने आ चुके हैं। उनका आरोप है कि बैतूल जिले की महाराष्ट्र के सैकड़ों गांवों को इस परियोजना से लाभ मिलेगा, लेकिन जिले में बांध बनने के बावजूद उनकी जमीन अधिग्रहित की जा सकती है। उनका तर्क यह भी था कि उनकी जमीन डूब क्षेत्र में जा सकती है। इसी के विरोध में कई बार प्रदर्शन हो चुके हैं। चूंकि जिले की सीमा में परियोजना का काम शुरू होने वाला है और फायदा मप्र के खंडवा, बुराहनपुर समेत महाराष्ट्र को होने वाला है। इसलिए ग्रामीणों के विरोध को कई पार्टियां सही भी ठहरा रही है।