PM Awas Yojana: पीएम आवास हितग्राहियों को रेत में छूट का प्रभारी मंत्री का दावा खोखला

PM Awas Yojana: The claim of the minister in charge of giving discount to PM housing beneficiaries is hollow.

खनिज विभाग के पास नहीं है कार्ययोजना, कैसे दी जाए नि:शुल्क रेत

PM Awas Yojana: बैतूल। भले ही केंद्र सरकार गरीब कमजोर वर्गों को पक्का मकान उपलब्ध कराए जाने के लिए पीएम आवास योजना संचालित कर रही है, लेकिन हितग्राहियों को राहत देने के लिए राज्य सरकार के नुमाइंदे किस तरह हवा बाजी कर रहे हैं, इसकी बानगी जिले के प्रभारी मंत्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल द्वारा ली, उस बैठक में सामने आ गया, जिसमें उन्होंने विभागीय समीक्षा के दौरान पीएम आवास हितग्राहियों को नि:शुल्क रेत प्रदाय किए जाने के लिए खनिज विभाग को निर्देशित किया।

दावे की पोल तब खुल गई, जब इसकी पूरी पड़ताल की गई। पड़ताल में यह सामने आया कि प्रभारी मंत्री ने बैठक में अधिकारियों को निर्देशित तो कर दिया, लेकिन विस्तृत कार्ययोजना के लागू नहीं होने से अधिकारी भी यह तय नहीं कर पा रहे कि आखिर पीएम आवास हितग्राहियों को नि:शुल्क रेत किस आधार पर प्रदाय की जाए। हालात यह हैं कि हितग्राहियों को महंगी रेत खरीदकर अपना आशियाना तैयार करना पड़ रहा है।

निर्देश तो दिए, लेकिन कार्ययोजना ने बांधे विभाग के हाथ
दरअसल मप्र शासन के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी चिकित्सा शिक्षा विभाग और जिले के प्रभारी मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने 20 दिसम्बर 2024 को बैतूल प्रवास के दौरान 10 सरकारी विभागों के कार्यों की समीक्षा बैठक ली थी। बैठक में पांचों विधायकों के अलावा पंचायत जनप्रतिनिधि, कलेक्टर, एसपी समेत तमाम विभागों के प्रमुख अधिकारी मौजूद थे। खनिज विभाग की समीक्षा के दौरान खनिज विभाग को उन्होंने राजस्व की प्राप्ति समेत अवैध खनन और परिवहन को लेकर उन्होंने सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए थे। बैठक में प्रभारी मंत्री ने कहा किप्रदेश में प्रधानमंत्री आवास के लिए रेत नि:शुल्क दी जा रही है और इस संबंध में आदेश भी जारी हो चुके हैं।

उनके बयान से यह सामने आया कि पीएम आवास के हितग्राहियों को निशुल्क रेत दी जानी है। जब प्रभारी मंत्री के इस बयान की पड़ताल की तो सामने आया कि इस संबंध में खनिज विभाग के पास शासन स्तर पर इस प्रकार की कोई कार्ययोजना ही उपलब्ध नहीं है। मतलब बैठक में प्रभारी मंत्री द्वारा दिए गए निर्देश कोरी हवा-बाजी है। उन्हें यह तो पता है कि हितग्राहियों को नि:शुल्क रेत प्रदाय किए जाने के आदेश हैं, लेकिन सवाल यह खड़ा हो रहा है कि यह आदेश हैं कहा, यदि हैं भी तो इसकी विस्तृत कार्ययोजना विभाग के पास क्यों नहीं है? कुल मिलाकर पीएम आवास हितग्राहियों के हित मे किया गया प्रभारी मंत्री का यह दावा खोखला साबित हो रहा है।

पूरे जिले में हजारों की संख्या में चल रहे पीएम आवास निर्माण

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रो में रहने वाले गरीबों को पक्का मकान दिए जाने के लिए पूरे देश मे पीएम आवास योजना चलाई जा रही है। योजना के मुताबिक शहरी क्षेत्र में निवासरत हितग्राहियों को मकान निर्माण के लिए 2 लाख 50 हजार रुपए और ग्रामीण हितग्राहियों को 1 लाख 30 हजार रुपए की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। जिले के सभी नगर पालिकाओं और पंचायतों में प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में हितग्राहियों को आवास स्वीकृत किये जा रहे हैं। अकेले नपा क्षेत्र बैतूल में ही करीब 2745 आवास स्वीकृत किये जा चुके हैं।

इनमें से 2659 आवास पूर्ण होने के साथ साथ 86 आवासों का निर्माण अभी चल रहा है। इसी तरह जनपद पंचायत बैतूल के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रो में कुल 1 हजार 30 आवास स्वीकृत किये गए हैं। जिनमे से 980 आवासों का कार्य पूर्ण हो चुका है। इसी वर्ष लगभग 585 हितग्राहियों को आवास निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई है। जिनका कार्य प्रगति पर है। इस तरह से अंदाजा लगाया जाए तो पूरे जिले में पीएम अवास योजना का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है।

हितग्राहियों के लिए मंहगी रेत बनी मजबूरी

प्रधानमंत्री आवास योजना में हितग्राहियों को शहरी और ग्रामीण दो अलग अलग कैटेगिरी में बांटा गया है। शहरी हितग्राहियों को आवास निर्माण के लिए तीन किश्तों में 2 लाख 50 हजार की सहायता दी जा रही है तो वहीं ग्रामीण हितग्राहियों को 1 लाख 30 हजार। जबकि जिले में रेत के दाम ही 17 हजार, 20 हजार और 22 हजार रुपए प्रति डंपर हैं। ऐसे में यदि एक हितग्राही को आवास निर्माण में तीन डंफर रेत की भी जरूरत पड़ती है तो उन्हें स्वीकृत राशि का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ रेत की खरीदी में ही खर्च करना पड़ रहा है।

ऐसे में मन मुताबिक आवास निर्माण का हितग्राही का सपना साकार हो ही जाए, इसकी संभावना भी नहीं के बराबर है। हकीकत यह है कि पीएम आवास योजना के शहर से लेकर गांव तक यही हाल हैं। ऐसे में एक जिम्मेदार जनप्रतिनिधि का नि:शुल्क रेत प्रदाय किए जाने का यह दावा कहीं न कहीं उन हितग्राहियों के साथ भी मजाक जैसा प्रतीत हो रहा है जो बड़ी उम्मीद से अपना आशियाना तैयार करने के सपने देख रहे हैं।

इनका कहना…..

बैठक में प्रभारी मंत्री द्वारा इस सम्बंध में निर्देशित तो किया गया है, लेकिन इसे अमल में किस तरह लाया जाए, इसकी कार्ययोजना उपलब्ध नहीं होने के कारण क्रियान्वयन भी मुश्किल है।

मनीष पालेवार, उप संचालक, खनिज बैतूल

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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