Betul News: बिना पुलिस जांच के तीन पर एफआईआर, प्राचार्यों के नाम जोड़ने में कोताही
Betul News: FIR against three without police investigation, negligence in adding names of principals

आरोपियों की गिरफ्तारी से भी परहेज, मामला 1 करोड़ 62 लाख 5 हजार के घोटाले का
Betul News: बैतूल। पीएम श्री जेएच कालेज में गांव की बेटी और प्रतिभा किरण योजना में किए गए 1 करोड़ 62 लाख 5 हजार रुपए के फर्जीवाड़े में राजनीति भी गरमा रही है। कांग्रेस का आरोप है कि बिना पुलिस जांच के एक कम्प्यूटर ऑपरेटर सहित तीन पर एफआईआर कर ली गई, लेकिन कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी द्वारा कोषालय अधिकारी के नेतृत्व में की जांच में दो तत्कालीन प्राचार्यो के दोषी पाए जाने के बावजूद पुलिस पूर्व प्राचार्य डॉ. राकेश तिवारी और डॉ. विजेता चौबे के नाम एफआईआर में जोड़े जाने में कोताही बरत रही है।
विजेता चौबे के आवेदन पर पुलिस ने लिपिक प्रकाश बंजारे, रिंकू पाटिल और कम्प्यूटर ऑपरेटर दीपेश डेहरिया पर बिना जांच किये प्रकरण दर्ज कर लिया गया था। हालांकि जांच प्रतिवेदन में जिन संदिग्ध बैंक खातों में राशि हस्तांतरित की गई है, उसकी जांच पुलिस से कराए जाने की अनुशंसा की गई है, लेकिन यह तर्क संगत नहीं है कि संदिग्ध बैंक खातों की जांच करने के बाद ही पूर्व प्राचार्यो के नाम एफआईआर में जोड़े जाएंगे। हालांकि एसपी ने आरोपों को निराधार बताते निष्पक्ष कार्यवाही का भरोसा दिया है।
प्रशासनिक जांच को नहीं मान रही पुलिस
पूरे मामले को लेकर जानकारों का मानना है कि घोटाला सामने आते ही कोषालय अधिकारी अरुण कुमार वर्मा के नेतृत्व में जांच शुरू कर दी थी। जांच के दौरान ही तीन कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कर ली थी, क्योंकि इन तीनों कर्मचारियों को दोषी ठहराया दिया गया था। जांच के बाद इस पूरे फर्जीवाड़े मे पूर्व प्राचार्य डॉ. राकेश तिवारी और डॉ विजेता चौबे को भी दोषी बताया गया। तब तक संदिग्ध बैंक खातों में राशि हस्तांतरित करना भी सामने आ चुका था।
इसके तत्काल बाद ही प्राचार्य डॉ. मीनाक्षी चौबे ने गंज थाने में पूर्व प्राचार्यों के नाम एफआईआर में जोड़ने का आवेदन दे दिया था, लेकिन आज तक जांच के नाम पर पुलिस ने मामले को लटका रखा है। सवाल यह है कि आखिर पुलिस संदिग्ध बैंक खातों की जांच के बाद ही प्राचार्यों के नाम एफआईआर में जोड़े जाने का राग आखिर क्यों अलाप रही है। जब तीन कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर बिना जांच के कर ली गई तो क्या वजह है कि प्रशासनिक जांच को दरकिनार कर अब पुलिस अलग से जांच करने के बाद पूर्व प्राचार्यो के नाम एफआईआर में शामिल करने की बात कर रही है।
कहीं अग्रिम जमानत कराए जाने का मौका तो नहीं दिया जा रहा?
पूरे मामले पर पुलिस के ढुलमुल रैवैये के सामने आने के बाद अब राजनीति भी गरमा रही है। सवाल वही है कि जब तीन कर्मचारियों के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कर ली गई थी तो पूर्व प्राचार्यों के नाम अब तक एफआईआर में शामिल क्यों नहीं किए गए हैं। जिला कांग्रेस अध्यक्ष हेमन्त वागद्रे ने इस पूरे मामले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते कहा कि प्रशासनिक जांच में जब पूर्व प्राचार्य दोषी ठहराए गए हैं ।
इस मामले में जितने लिपिक दोषी बताए जा रहे हैं उतने ही दोषी पूर्व प्राचार्य भी हैं। संदिग्ध बैंक खातों और अन्य जांच के बाद प्राचार्यों का नाम एफआईआर में शामिल करना कहीं से कहीं तक तर्कसंगत नजर नहीं आ रहा है। इस मामले में जो दोषी हैं उनके खिलाफ तत्काल बिना किसी देरी के कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए। इधर पुलिस तीन में से एक भी आरोपी को अब तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इसे लेकर भी जहां चर्चाओं का बाजार गर्म हो चुका है तो वहीं पुलिस की जमकर किरकिरी भी हो रही है।
चर्चा है कि आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस जान बूझकर गिरफ्तारी नहीं कर रही। कांग्रेस के जिला प्रवक्ता मोनू वाघ ने पुलिस पर जबरन मामले को लटकाए रखने पर तीखा बयान दिया है। मोनू का कहना है कि फर्जी वाड़े में शामिल तीनों लिपिकों की अग्रिम जमानत का आवेदन न्यायालय में लगा हुआ है। करोड़ों रुपए के घोटाले को पुलिस कितना हल्के में ले रही है।
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम तक गठित नहीं कि जा सकी है। प्राचार्यों का नाम एफआईआर में इसलिए दर्ज नहीं किया जा रहा, क्योंकि पुलिस राहनीतिक दबाव में आ चुकी है । जबकि पूरा मामला गांव की उन प्रतिभाशाली बेटियों से जुड़ा हुआ है। छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय मदद दी जाती है।
यह काफी शर्मनाक है कि बेटियों के साथ शासन प्रशासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाने वाले दोषी प्राचार्यों को इस तरह बचाने के कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर इस पूरे मामले में प्रशासन तो अपना काम कर ही रहा है, लेकिन पुलिस का रवैय्या खुद पुलिस विभाग की ही छवि खराब कर रहा है।
इधर इस मामले को लेकर एसपी का कहना है कि कांग्रेसजनों का आरोप पूरी तरह निराधार है, क्योंकि पुलिस जांच में इस तथ्य का ध्यान रखना होता है कि किसी के भी साथ अन्याय न हो। मामला न्यायालय में जाने के बाद जवाब भी हमे ही देना होता है। जांच चल रही है अगले दो चार दिनों में कार्यवाही भी सुनिश्चित हो जाएगी।
इनका कहना….
मैं शुरू से ही मांग कर रहा हूं कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही हो। जब जांच में पांच आरोपी दोषी हैं तो तीन के ही खिलाफ एफआईआर क्यों प्राचार्यो के नाम तत्काल जोड़े जाने थे, यह शर्मनाक है।
हेमन्त वागद्रे, जिला कांग्रेस अध्यक्ष
प्राचार्यों का दोष साबित होने के बाद भी उन्हें आरोपी न मानना कहीं न कहीं पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है । कांग्रेस इसके विरोध में सड़क पर उतरेगी।
मोनू वाघ,जिला प्रवक्ता, जिला कांग्रेस कमेटी
इस मामले में आरोपियों की गिफ्तारी जल्द की जाएगी, जांच चल रही है। जो दोषी होगा उसके खिलाफ कार्यवाही होगी।
निश्चल एन झारिया, एसपी बैतूल