Betul Ki Khabar: नागपुर- इटारसी के बीच अवैध वेंडरों की ट्रेनों में भरमार
Betul Ki Khabar: Trains full of illegal vendors between Nagpur-Itarsi

सुनियोजित तरीके से खेला जा रहा खेल, गठजोड़ की आशंका
Betul Ki Khabar: बैतूल। नागपुर से इटारसी के बीच यात्री ट्रेनों में अवैध वेंडरों के कब्जे ने आरपीएफ की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कुछ दिनों पहले डीआरएम के दौरे को लेकर वेंडरों को ट्रेनों से गायब कर दिया गया था, लेकिन दौरा खत्म होते ही अब इस रास्ते से गुजरने वाली प्रत्येक ट्रेनों पर अवैध वेंडरों का कब्जा हो चुका है। भले ही आरपीएफ के अधिकारी इस बात से इनकार करें, लेकिन जानकर सूत्र अवैध वेंडरों का अफसरों के साथ मिलीभगत के भी आरोप लग रहे हैं।
सूत्रों बताते हैं कि नागपुर से इटारसी तक चलने वाली ट्रेनों विभिन्न ट्रेनों में नागपुर के कुछ ठेकेदारों के अवैध वेंडरों का काफिला चल रहा है। यात्रियों को गुमराह करने के लिए बाकायदा ड्रेस कोड लागू किया गया है। वेंडरों को मेहरून कलर का टी-शर्ट दिया गया है। पिछले एक वर्ष से रेल्वे के जवाबदार अधिकारियों की मिली भगत से लगातार आम यात्रियों को कई प्रकार की सामग्री बेची जा रही हैं।
डीआरएम का दौरा होते ही स्टेशन पर बैठे रहे वेंडर
ट्रेनों में अवैध वेंडर किस कदर हावी है। इस बात से नागपुर रेल मंडल के डीआरएम को भी गुमराह किया । पिछले दिनों डीआरएम मनीष अग्रवाल के दौरे के कारण 2 दिनों तक ये अवैध वेंडर ट्रेनों से गायब हो गए थे। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि यदि वैध वेंडर काम कर रहे थे तो ट्रेनों में क्यों नहीं दिखाई दे रहे थे? यह वेंडर दो दिनों तक स्टेशन और स्टेशन के बाहर चहल कदमी करते क्यों नजर आ रहे थे?
मिलीभगत से चल रहा लाखों का कारोबार
सूत्र बताते हैं कि ट्रेनों में अवैध वेंडरों को कई प्रकार की सामग्री बेचते आसानी से देखा जा सकता है। आश्चर्य इस बात का है कि ट्रेनों में आरपीएफ का स्टाफ होने के बावजूद इन्हें रोकने टोकने से परहेज आखिर क्यों किया जा रहा है। इसका सीधा सा मतलब है कि आपसी मिलीभगत से ट्रेनों में प्रतिमाह लाखों रुपए का अवैध कारोबार किया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि अवैध व्यापार करने वालों में नागपुर के रामू भदौरिया, विवेक भदौरिया, इटारसी के गौरव भदौरिया और गोलू भदौरिया तथा पांढुरना के लखन सिंग, कल्लन भदौरिया आदि ने नागपुर से इटारसी तक रेलवे के सभी विभागों से मिलीभगत है। बताया जाता है कि रोजाना लगभग 200 वेंडर ट्रेनों में काम कर रहे हैं। आरपीएफ के अधिकारी इन वेंडरों को वैध बता रहे हैं, लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि जब वेंडर वैध हैं तो डीआरएम के दौरे के दौरान यह सब गायब क्यों हो गए थे? इस सवाल का अधिकारी भी सटीक जवाब नहीं दे पाए।
इनका कहना…..
ट्रेनों में चलने वाले वेंडर अवैध नहीं हैं। लाइसेंसी ठेकेदार द्वारा अनुमति लेकर वेंडर चलाए जा रहे हैं। स्टेशन पर हॉल्ट इसलिए किया होगा कि हो सकता है वेंडर यही के रहने वाले होंगे।
राजेश बनकर, थाना प्रभारी, आरपीएफ बैतूल