Betul News: जितना खर्च पाइप लाइन डालने में किया, उतने में तैयार हो जाते स्टॉप डेम
Betul News: Stop Dam would have been ready within the same amount spent on laying the pipeline.

लाखापुर से बैतूल तक पानी लाने में नगरपालिका की दिखी फिजूल खर्ची, विधायक बोले- जांच कराएंगे
Betul News: बैतूल। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है कि शहर की प्यास बुझाने के लिए कोई विकल्प नहीं होने के कारण करीब 7-8 वर्ष पहले लाखापुर से बैतूल की माचना एनीकट तक 14 किमी पाइप लाइन बिछाने की योजना मूर्त रूप नहीं ले सकी है। हालात यह है कि पाइप लाइन आधे-अधूरे में छोड़ने के बाद नगरपालिका के जिम्मेदारों ने कभी मूड़कर नहीं देखा और आज जगह-जगह पाइप लाइन चोरों के हवाले हो चुकी है। चौकाने वाली बात तो यह उजागर हुई है कि योजना के लिए सवा 2 करोड़ रुपए खर्च किए गए। इसके बजाए यदि नगरपालिका उस समय 75 लाख की लागत से एक स्टॉप डेम का निर्माण करती तो इतनी राशि में तीन स्टॉप डेम बनकर तैयार हो जाते और पानी के लिए एक सशक्त विकल्प मिल जाता, लेकिन रणनीतिकारों ने अपने फायदें के लिए पूरी योजना की मट्टी पलीत कर दी है।
अंधा बांटे रेवड़ी, चिनचिन कर दे….नगरपालिका के लिए यह कहावत कोई नई नहीं है। जनता की गाड़ी कमाई और टैक्स की राशि का फिजूल खर्च को लेकर अक्सर विवाद होते आए हैं। अब तक टैक्स की ही करोड़ों रुपए की राशि का नपा ने वारे-न्यारे करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसका एक और बेहतरीन उदाहरण लाखापुर जलाशय से माचना एनीकट तक 14 किमी पाइप लाइन डालकर पानी लाने की योजना का पलीता लगाने के बाद देखने को मिला है। जबकि योजना मनाने वाले अधिकारियों को यह बात अच्छे से पता थी कि जिन स्थानों से होकर पाइप लाइन आएगी। यह काम पहाड़ खोदने से कम नहीं है, लेकिन गुगल के आधार पर ड्राइंग बनाने के बाद जमीन पर 70 फीट का पहाड़ आने के बाद योजना आगे ही नहीं बढ़ पाई।
करोड़ों के पाइप ठेकेदार ने लाकर डाल दिए, लेकिन पहले से ही जब पता था कि पाइप लाइन डालने के लिए यह रास्ता बेहतर नहीं है। बावजूद इसके सत्ता पक्ष के कुछ लोगोंं और पुराने अधिकारियों की मिलभगत से योजना को अमलीजामा पहना दिया गया। टेंडर के बाद गुजरात की इंजीनियरिंग प्रोफेशनल कंपनी ने 14 में से 8-9 किमी पाइप लाइन लापरवाही पूर्वक डालकर उमरी के पास विवाद होने पर हाथ खड़े कर दिए और योजना को उसी हाल में छोड़कर गायब हो गई।
3 स्टॉप डेम बनते तो मिल जाती राहत
नगरपालिका द्वारा योजना के किए बंटाढार के बाद सांझवीर ने पूरे मामले की पड़ताल की तो वस्तुस्थिति सामने आई। मामले के विशेषज्ञों और करीबी जानकारों ने बताया कि 8 वर्ष पहले नपा के जिम्मेदारों को भी पता था कि पाइप लाइन डालने में दिक्कतें आएगी, फिर योजना को आगे ही नहीं बढ़ाना था। उसी समय यह बात संज्ञान में लाकर सवा दो करोड़ की राशि से हर चार से पांच किमी के बीच जगह चिन्हित कर यदि स्टॉप डेम बना लिए जाते तो यह पानी पाइप और अन्य माध्यमों से आसानी से शहर पहुंच सकता था। उस समय एक स्टॉप डैम की लागत लगभग 75 लाख रुपए आकी जा सकती थी।
वर्तमान में नपा के अनुसार एक स्टॉप के लिए एक करोड़ रुपए खर्च करना पड़ता है। यदि नपा तीन स्टॉप डेम बना लेती तो प्रत्येक में .1 से .2 एमसीएम पानी जमा होता। यह पानी स्टोर रहने पर गर्मी में आवश्यकता पड़ने पर नपा पाइप लाइन डालकर निकट तक ला सकती थी। यदि पाइप लाइन डालने में समस्या आती तो दूसरे विकल्प को भी तलाश जा सकता था। सबसे बड़ी बात यह है कि जितनी राशि और पानी की बर्बादी की गई, इतने में डेम बनने के साथ क्षेत्र के किसानों को भी पानी उपलब्ध हो जाता, लेकिन नपा के तत्कालीन रणनीतिकारों ने अपने फायदें के लिए पूरी योजना की मिट्टी पलीत कर दी।
चुभने वाले सवालों का जवाब कौन देगा?
यहां पर चौकाने वाली बात यह है कि नगरपालिका ने पाइप लाइन डालने वाले ठेकेदार को आसानी से अधिकांश भुगतान कर दिया। ठेकेदार की भुगतान की फाइल बढ़ाने में किसी ने भी रोकटोक नहीं की, जबकि ठेकेदार ने काम न करने की मंशा जाहिर कर दी थी। इसके बावजूद तत्कालीन सीएमओ, एई, सब इंजीनियर ने मिलीभगत कर ठेकेदार को भुगतान कर भागने का अवसर दे दिया और जनता के टैक्स की कमाई पानी-पानी हो गई। चुभने वाले सवाल यह है कि उस समय भी भाजपा की ही सरकार थी, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने सवा दो करोड़ की योजना की बंदरबाट पर कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। नतीजा यह हुआ कि पाइप लाइन बैतूल आई नहीं और पूरी योजना का पलीता लग गया। कमीशन लेने वालों की ठेकेदार को भुगतान के बाद जेब गर्म हो गई, लेकिन किसी ने मामले में आपत्ति नहीं ली।
इनका कहना…
आपके माध्यम से पूर्व में ही मुझे लाखापुर से बैतूल तक पानी लाने की योजना की लापरवाही और भ्रष्टाचार की जानकारी मिली है। वास्तव में यह बहुत गंभीर बात है। जल्द ही इस मामले में अधिकारियों की बैठक लेकर चर्चा करूंगा। ठेेकेदार को भुगतान करने पर भी जानकारी ली जा रही है।
हेमंत खंडेलवाल, विधायक बैतूल।
मुझे आपने यह मामला संज्ञान में लाया था। व्यवस्तता के कारण मैं इसे देख नहीं पाया, लेकिन शीघ्र ही अधिकारियों से चर्चा कर योजना को लेकर जानकारी लूंगा।
सतीष मटसेनिया, सीएमओ नपा बैतूल