Politics: राजनीतिक हलचल: शासकीय-अशासकीय बैठकों से माननीय का आखिर क्यों मोहभंग?? एक पूर्व माननीय के बोनट प्रेम की क्या है हकीकत??? काम के लिए किन विपक्षी पार्षदों ने सत्तापक्ष के पास पहुंचकर टेका मत्था???? विस्तार से पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम राजनीतिक हलचल में…….

Politics: Political stir: Why is the honorable disillusioned with government-non-government meetings?? What is the reality of the bonnet love of a former honorable?

बैठकों से माननीय की कैसी दूरी?

जिले के एक वरिष्ठ माननीय की शासकीय, गैर शासकीय और पार्टी की बैठकों से दूरी खासी चर्चा का विषय बनी हुई है। इन माननीय को जनता ने लाड़ली बहना और मोदी लहर में नैया पार करा दी, लेकिन जीत हासिल होने के बाद एक बार फिर इनकी आम जनता से दूरी काफी चर्चा बटोर रही है। क्षेत्र के कार्यकर्ता पहले ही माननीय से मुलाकात और काम न होने से नाराजगी जता चुके हैं। इसके बाद शासकीय पार्टी की बैठकों से माननीय ने पूरी दूरी बना ली है। अक्सर शासकीय कार्यक्रमों और विशेष मौकों पर भी वरिष्ठ माननीय को नहीं देखा जा रहा है। इसको लेकर तरह-तरह की चर्चाएं चल रही हैं। उनके क्षेत्र से छनकर आ रही खबर से यकीन करें तो वे फिलहाल अपने गृह ग्राम में ही ज्यादा आराम फरमाते नजर आ रहे हैं।

पूर्व माननीय का रहस्योद्घाटन चर्चा में

विपक्षी पार्टी के एक पूर्व माननीय पिछले दिनों प्रदेश प्रभारी के राजधानी आगमन पर एक वाहन की बोनट पर चढ़कर नारेबाजी कर रहे थे। पहली मर्तबा उन्हें नए रूप में देखकर पार्टी के नेताओं का चौकना लाजमी था। इसके पीछे वे तर्क दे रहे हैं कि जिले के साथ प्रदेश के नेताओं को मैसेज दिया जा रहा था कि जिले के एक नेता नए सिरे से प्रदेश नेतृत्व को रिझाने के लिए बोनट पर चढ़कर जिंदाबाद कर रहे हैं। हालांकि पूर्व माननीय ने यह भी कहा कि जिस नेता की वह बात कर रहे हैं, उनको दाने डालकर मुर्गें लड़ाने की राजनीति से वे प्रदेश नेतृत्व को वे बखूबी बता चुके हैं। उनका पूरा खेल कहीं खत्म न हो जाए, इसलिए उन्हें भी नए दाने डाल रहे हैं, ताकि उनकी पोल खोलने का अभियान बंद कर दें। विपक्षी पार्टी की यह पालिटिक्स इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रही है।

काम के लिए विपक्षी पार्षदों की चरण वंदना

जिला मुख्यालय की निकाय की विपक्षी पार्टी के दो पार्षद पिछले दिनों विकास की तलाश में सत्ता के द्वार पर चरण वंदना कर आए हैं। चर्चा है कि उन्हें सड़क और नाली से नवाजा गया है। दोनों ही पार्षद अलग-अलग धड़े के माने जाते हैं, लेकिन अपने वार्ड में विकास कार्य ठप होने के बाद नई राह पर चल पड़े। ऐसे में उनके विपक्षी पार्षद होने पर संशय इसलिए रहेगा, क्योंकि वे अब सत्ता को लेकर अपना विपक्षी धर्म को अगली विकास की सौगात तक भूल जाएंगे। बताते चले कि यह दोनों पार्षद विपक्षी पार्टी के परंपरागत गढ़ से चुने गए हैं।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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