Betul Samachar: करोंड़ों के बजट वाली महिला अधिकारियों की मीडिया से दूरी
Betul Samachar: Distance of women officers from media with budget of crores

एक ने अधिकांश पत्रकारों के नंबर ब्लॉक किए, दो अधिकारी कलेक्टर के फोन करने पर भी नहीं करती रिसीव कॉल
Betul Samachar: बैतूल। जिले की कुछ महिला अधिकारियों का मीडिया से परहेज इन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है। उनकी यह आदत अपने उच्च अधिकारियों के निर्देशों की धज्जियां उड़ाने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं। किसी भी मुद्दे को लेकर जब भी कोई मीडियाकर्मी इन अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश करता है तो अधिकारी फोन तक रिसीव करने की जहमत नहीं उठाती हैं। हमेशा विवादों में रहने वाली एक महिला अधिकारी तो ऐसी हैं, जिन्होंने पत्रकारों के फोन नंबर तक ब्लॉक कर रखे हैं। जबकि वे ऐसे विभाग का नेतृत्व कर रही हैं, जिसे प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का बजट दिया जाता है। इसी बजट की बंदरबांट की जानकारी मिलने पर जब पत्रकार फोन पर संपर्क करते हैं तो नंबर ब्लॉक बताया जाता है। अब इस सबके पीछे इन महिला अधिकारियों की मंशा क्या है, यह तो वह ही जाने। मीडिया को जिस तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है, उससे खुद ही इन महिला अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पत्रकारों से चर्चा करने से आखिर दूरी क्यों?
जिला प्रशासन के अंतर्गत आने वाले लोक निर्माण विभाग की प्रमुख प्रीति पटेल, जनजातीय कार्य विभाग प्रमुख शिल्पा जैन और कृषि उपज मंडी सचिव शीला खातरकर के विषय में कहा जाता है कि पद के साथ इन महिला अधिकारियों पर मनमर्जी हावी है। तीनों ही महिला अधिकारी पत्रकारों के फोन रिसीव करना अपनी शान के खिलाफ समझती हैं। किसी भी समाचार प्रकाशन के लिए यह अतिआवश्यक होता है कि संबंधित विभाग प्रमुख से इस विषय पर चर्चा कर वास्तविकता जानी जाएं और सवाल भी किए जाएं, तब ही समाचार की पूर्ण प्रमाणिकता सिद्ध हो पाती है, लेकिन इन महिला अधिकारियों के ढुलमुल रवैये से पूरा मीडिया जगत परेशान है। इनमें प्रमुख नाम सहायक आयुक्त शिल्पा जैन का है, जिन्होंने पत्रकारों के नंबर ब्लॉक कर रखे हैं। अन्य नंबरों से संपर्क किया भी जाएं तो इन्हें फोन तक उठाने में परेशानी होती है। जबकि तीनों विभाग का करोड़ों के बजट होता है। फिर भी हमेशा शिकवा, शिकायतों और मनमानी के लिए यह विभाग सुर्खियों में रहते है।
पीडब्ल्यूडी की ईई से कर्मचारी भी परेशान
दूसरा नाम है लोक निर्माण विभाग प्रमुख प्रीति पटेल की कार्यप्रणाली से सभी भलीभांति परिचित है। आखिर क्या वजह है कि उन्हें भी पत्रकारों से खासा परहेज है, जिसकी वजह से मीडिया को एकतरफा चलने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस अधिकारी के रसूख का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह खुद अपने अधीनस्थ अधिकारियों तक के फोन रिसीव करने से परहेज करती हैं।
मंडी सचिव अधिकारियों से भी दूर
तीसरा नाम मंडी सचिव शीला खातरकर का है, जिन्हें अपनी लापरवाही और विवादित कार्यप्रणाली को लेकर कलेक्टर से फटकार तक लग चुकी है, लेकिन इनका भी पत्रकारों से परहेज किसी से छिपा नहीं है। आज शुक्रवार मंडी में बंपर आवक से बिगड़ी व्यवस्था को लेकर सांझवीर टाईम्स रिपोर्टर ने जानकारी लेने के लिए इन्हें करीब 20 फोन कर दिए लेकिन फोन रिसीव नहीं किया। यह पहला मौका नहीं है, जब मंडी सचिव फोन रिसीव नहीं करती। कहा तो यह भी जाता है कि वे अधिकारियों तक के फोन उठाने में परहेज करती है, इसलिए आए दिनों उन्हें फटकार मिलते रहती है।