राजनतिक हलचल: आखिर बैतूल में दूसरी दिवाली की चर्चा क्यों पकड़ी जोर?? विपक्ष के किन पुराने दिग्गजों ने पार्टी से दूरी बनाई??? आखिर किस नपाध्यक्ष को थानेदार ने दिखाई आंख और माननीय के फोन को दी तवज्जो????? पढ़िए विस्तार से हमारे चर्चित कॉलम राजनीतिक हलचल में…..

बैतूल में दूसरी दिवाली की चर्चा क्यों?
बैतूल की राजनीति में इस समय जमकर चर्चा चल रही है कि दिवाली खत्म होने के बाद किसी भी समय बड़ी दिवाली मनाई जा सकती है। इस दिवाली के पीछे सच्चाई क्या है, यह कोई नहीं बता रहा है, लेकिन शहर के विभिन्न राजनीतिक प्रतिष्ठानों और प्रमुख चौराहों पर चर्चा जोर पकड़ रही है कि बैतूल जिले की राजनीति के हिस्से में अगले माह बड़ी उपलब्धि मिलने वाली है। यहां गौर करने वाली बात यह है कि चर्चा करने वाले और सुनने वाले अधिकांश लोग खुद इस खबर को लेकर गौरवांवित महसूस कर रहे हैं। हालांकि अभी तक खबर का लब्बोलुआब क्या है, यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। चर्चा तो यह भी है कि दिवाली के बचे पटाखे इस बड़ी उपलब्धि पर फोड़ने की तैयारी की जा रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिले में दिवाली और ग्यारस के बाद उसी माह तीसरी बड़ी दिवाली मनना तय है। कुछ अति उत्साह युवाओं ने इसके लिए तैयारी भी कर रखी है।
पूर्व माननीयों की पार्टी से यह कैसे दूरी?
विपक्षी पार्टी के हाथ से सत्ता क्या गई, जमीनी कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े नेता भी अब पार्टी से दूरी बनाने लगे हैं। विपक्ष में होने के नाते पार्टी की गतिविधियां जिले में तो जारी है, लेकिन तीन पूर्व माननीय विधायक की अपनी ढपली, अपनी राग अलग ही चल रहा है। वे पार्टी के किसान आंदोलन से लेकर अन्य कार्यक्रमों में तो नदारद रहे, पिछले दिनों पार्टी के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी की बैठक से भी दूरी बना बैठे। कार्यकर्ता इनके पार्टी से दूरी बनाने पर सवाल पूछ रहे हैं कि जब पद पर थे, तब भी पार्टी की देन थी। समर्थक यह भी कहते हैं कि पार्टी में ही किसी से दिक्कत है तो अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। वैसे भी राजनीतिक गलियारों में इस विपक्षी पार्टी के नेताओं को एक करना मेंढक को तराजू पर तौलने वाला जैसा बताते हैं।
नपा अध्यक्ष को थानेदार ने दिखाई आंख
जिले की सत्तारूढ़ पार्टी की एक नपा अध्यक्ष को थानेदार द्वारा आंख दिखाने का मामला इस समय सुर्खियों में है। बात पिछले दिनों की बताई जाती है, जब दूसरी पार्टी से तोड़कर सत्ता पक्ष के खेमे में लाए गए एक पार्षद के ढाबे पर पुलिस की दबिश पड़ी, तब पार्षद ने महिला नपा अध्यक्ष को फोन कर जानकारी दी। महोदया ने थानेदार से इस संबंध में चर्चा करने के लिए फोन किया तो उन्होंने नगर की प्रथम नागरिक की बात को अनसुना करते हुए पूरी बात सुने बिना फोन काट दिया। बात यही नहीं थमी, पार्षद ने नपा अध्यक्ष की बात अनसुनी करने पर क्षेत्र के माननीय को फोन किया तो थानेदार ने लपकर उनकी बात सुन ली और दबिश वाला मामला रफा-दफा हो गया, लेकिन महिला नपा अध्यक्ष अपने अपमान से खफा बताई जा रही है। यह मामला पूरे क्षेत्र में सुर्खियां बटोर रहा है। बताते चले कि यह वही नपा अध्यक्ष है, जिन्हें विपक्षी पार्टी की बागी नपा अध्यक्ष को हटाने के बाद शासन ने नपा अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी।