Politics: राजनीतिक हलचल: आखिर ऐसा क्या हुआ कि माननीय को जड़ने पड़े थप्पड़?? सत्ता के गुरुर में ये क्या कह बैठी मैडम??? आखिर विरोधी होने के बावजूद दबंग नेता ने कैसे निभाई मित्रता???? पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम राजनीतिक हलचल में……
Politics: Political stir: What happened that the honorable person had to be slapped?? What did madam say in pride of power???

माननीय को आया गुस्सा तो जड़ दिए थप्पड़
जिले के एक संवेदनशील कहे जाने वाले माननीय का पिछले दिनों पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया। हालांकि इसमें उनकी कोई गलती नहीं बताई जा रही है, लेकिन पहली बार उन्होंने आवेश में आकर एक वाहन चालक को 2-4 थप्पड़ जड़कर बता दिया कि जरूरत पड़ी और गलत किया तो ऐसा भी कर सकते हैं। दरअसल तीन दिन पहले यह माननीय भोपाल गए हुए थे। राजधानी में ही बैतूल पासिंग की एक कार के लापरवाह चालक ने उनकी महंगी गाड़ी को टक्कर मार दी। इससे माननीय और उनका स्टाफ बाल-बाल बच गया। टक्कर मारने के बाद वाहन चालक ने रूकने के बजाए सीधे सरपट दौड़ लगा दी।
माननीय का ड्राइवर चाहकर भी वाहन चालक को पकड़ नहीं पाया। भोपाल के काम निपटाने के दौरान अपने वाहन से बैतूल आ रहे थे, तभी संबंधित नंबर का वाहन उन्हें औबेदुल्लागंज पर नजर आया तो उन्होंने अपने ड्राइवर से तुरंत गाड़ी रूकवाई। बाहर खड़े ड्राइवर को उन्होंने टक्कर को लेकर चर्चा की तो वह दबंगई दिखाने लगा। चोरी और सीनाजोरी से नाराज विधायक ने उसे चार थप्पड़ जड़कर सबक सीखा दिया। चर्चा है कि यह वाहन बैतूल के कांग्रेस से जुड़े एक व्यापारी नेता की थी। जिस समय उनके वाहन चालक पर माननीय थप्पड़ रसीद किए तब वे कुछ दूर काम से गए थे। हालांकि मामला वहीं खत्म हो गया, क्योंकि पूरी तरह व्यापारी के ड्राइवर की गलती थी। बताते चले कि जिस माननीय का पारा चढ़ा था, वह युवा होने के साथ एक सुरक्षित विधानसभा के है।
सत्ता के गुरूर में मैडम के आरोप सुर्खियों में
एक सत्तारूढ़ पार्टी की जनप्रतिनिधि इन दिनों खाकी पर गंभीर आरोप लगाकर चर्चा में है। भले ही मामला इतना बड़ा नहीं था कि उसे तूल दिया जाए, लेकिन उनके शब्दबाणों ने खाकी को कहीं न कहीं नाराज कर दिया। मामला एक थाने से जुड़ा है। यहां पर धर्म परिवर्तन के बाद थाना घेर रहे कुछ लोगों को एक महिला सब इंस्पेक्टर ने डंडा लेकर बाहर कर वर्दी का धर्म निभाया। अब क्षेत्र की सत्तारूढ़ पार्टी की नेता ने यहां पर पहुंचकर जो शब्द कहे, उसे कोई नहीं पचा पा रहा। दरअसल वायरल हो रहे वीडियो में कह बैठी की नौकरी करना है तो पहले हमारी सुनना होगा।
थाने में आमद दी तो हमसे मिलने क्यों नहीं आए? यह बात किसी के गले नहीं उतर रही। रूल्स में कहीं भी ऐसा उल्लेख नहीं किया गया है कि कोई थाने में आमद दें तो जनप्रतिनिधि के यहां हाजिरी ठोककर आए, लेकिन पहली बार जनप्रतिनिधि चुने जाने के कारण अज्ञानतावश मैडम के मुंह से यह बात निकल गई। दूसरी बात उन्होंने धमकियां वाले अंदाज में उनके वाहन के अंदर भी होस पाइप रखे होने और मुझे भी मारना आता है, जैसी बात कहकर रौब झाड़ने का प्रयास किया। भले ही कुछ चटुकार मैडम के इस अंदाज को तीर मारना जैसा बता रहे हैं, लेकिन वर्दी के प्रति यदि चुने हुए जनप्रतिनिधि का यही रवैया रहा तो क्षेत्र की सुरक्षा जनप्रतिनिधि, उनके पुत्र, कार्यकर्ता या चटुकार संभालेंगे? इसको लेकर जमकर चर्चा हो रही है।
विरोधी होने के बाद भी निभाया मित्रता का फर्ज
जिले की राजनीति से लगभग ओझल हो चुके एक पूर्व माननीय ने विरोधी पार्टी होने के बाद भी अपने एक पुराने मित्र के लिए आगे आना राजनीति में चर्चा का विषय बना हुआ है। मामला भले ही कुछ दिन पुराना हो, लेकिन सत्ता पक्ष पार्टी के एक दिग्गज नेता को जान का खतरा होने की जानकारी मिलने पर पूर्व माननीय ने दरियादिली दिखाते हुए पुलिसिया साहब को न सिर्फ पत्र लिखा, बल्कि मोबाइल से भी लगातार मामले का अपडेट लेते रहे।
उन्हीं के पत्र का नतीजा है कि पुलिसिया साहब ने अधीनस्थ अधिकारी से जांच करवाई। भले ही जांच में इस तरह का कोई तथ्य नहीं मिला, लेकिन जब सत्ता पक्ष के लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया तो विरोधी पक्ष के बड़े किसान नेता द्वारा उनका साथ देना राजनीति में खूच चर्चा बटोर गया।