राजनीतिक हलचल: खदान पर छापा पड़ा तो हमदर्दी जताना किस नेता को पड़ा महंगा? अफसर ने क्यों सुनाई खरी- खोटी?? राजनीति का यह कैसा रंग? विरोधी होने पर भी क्यों कर दी तारीफ??? गबन कांड में अधिकारियों के संरक्षकों की क्यों हो रही तलाश??? पढ़िए विस्तार से हमारे चर्चित कॉलम राजनीतिक हलचल में……

खदान पर छापा पड़ा तो हमदर्दी जताना पड़ा महंगा
दो हिंदू संगठनों के बीच विवाद का मामला सुर्खियां बना हुआ हैं। इसी के ईदगिर्द घूमते एक मामले ने राजनीति पारा चढ़ा दिया है। चर्चा है कि विपक्षी पार्टी के एक युवा विंग के जिला अध्यक्ष ने समतलीकरण के नाम पर अनुमति लेकर जिला मुख्यालय के करीब एक ग्रामीण क्षेत्र में जमकर अवैध खुदाई की जा रही थी। इस बात की भनक दूसरे हिंदू संगठन को लगी तो उन्होंने बड़े साहब और राजस्व के अधिकारी को शिकायत की।
दोनों ही वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे तो विपक्षी पार्टी के नेता ने अपने हिंदू संगठन के मित्र को पैरवी करने बुलाया। साहब को हिंदू संगठन का नेता ज्ञान की बातें बता रहा था। पहले युवा मोर्चा में रह चुका यह नेता जब बड़े साहब को नियम-कायदे बताने लगा तो साहब ने दो टूक शब्दों में उसे अपनी हैसियत याद दिला दी और कहा कि प्रशासनिक काम में अड़गा लगाया तो खैर नहीं होगी।
बस साहब के इतना कहते ही तथाकथित हिंदू नेता और युवा मोर्चा का प्रमुख यहां से दूम दबाकर भाग गया। उसकी यह हालत देखकर विपक्षी पार्टी के नेता की घिग्गी बन गई और अपनी गलती को स्वीकार कर लिया। हालांकि बड़े साहब ने यहां कितना जुर्माना लगाया। यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन दूम दबाकर भागने वाले हिंदू नेता की जमकर किरकिरी हो रही है।
इनका प्रेम क्या रंग लाएगा?
राजनीति में वैसे एक दूसरे के पर कटाक्ष करना आम बात है, लेकिन बदली हुई परिस्थिति में राजनीति के मायने भी बदल जाते हैं एक प्रमुख विपक्षी पार्टी के जिला चीफ की झूठी शिकायत करने पर पार्टी के लोग खुलकर सामने नहीं आए, लेकिन देश की तीसरी प्रमुख पार्टी और यहां अपनी जड़ जमाने की प्रयास कर रही पार्टी के पूर्व जिला प्रमुख और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य ने मुक्तकंठ से प्रशंसा कर तारीफों के पुल बान दिए।
उन्होंने यहां तक लिखा है कि प्रमुख विपक्षी पार्टी के जिला अध्यक्ष जैसा धैर्यवान, सहनसील और अपने कर्तव्यनिष्ठ संगठन में सहज-सरल स्वभाव के व्यक्ति वास्तव में बहुत विरले होते हैं। पार्टी को ऐसा समर्पित नेता मिलना सम्मान का विषय है। उनकी सोशल मीडिया की यह पोस्ट काफी सुर्खियां बटोर रही हैं। हालांकि उन्होंने यह बात किस मायने में रखी है। इसका खुलासा नहीं हुआ है।
गबन कांड में संरक्षकों की तलाश
जिले के दो क्षेत्रों में हुए करोड़ों के गबन कांड में अब असली सूत्रधार की तलाश की जा रही है। पर्दें के पीछे राजनीति से जुड़े कौन-कौन सूत्रधार है जो मलाई खाने के बाद आरोपियों को संरक्षण देकर अधिकारियों पर बचाने के लिए दबाव डाल रहे हैं।
चर्चा है कि इसमें चुने हुए जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। पार्टी को किसी नेता ने सलाह दी है कि यदि उक्त जनप्रतिनिधि ईमानदार है तो असली मछली को बचाने के प्रयास क्यों कर रहे हैं? इसके लिए उन्होंने सलाह भी दे डाली है कि आरोपियों और बड़ी मछलियों से अपने क्षेत्र के दो प्रमुख जनप्रतिनिधियों के बीच चर्चा की काल डिटेल निकाल ली जाए तो सारी वास्तविकता सामने आ जाएगी। यदि ऐसा होता है तो चुने हुए दो जनप्रतिनिधियों को मुंह की खानी पड़ सकती है।