Betul News: जिपं सीईओ का कमिश्रर को जांच रिपोर्ट भेजने का दावा झूठा!
Betul News: Zilla Parishad CEO's claim of sending investigation report to commissioner is false!

कमिश्रर बोले-मुझे आज तक नहीं मिला कोई प्रतिवेदन, चिचोली-भीमपुर गबन कांड में नया मोड़
Betul News: बैतूल। जिले की चिचोली और भीमपुर जनपद में 13 करोड़ 21 लाख के गबन के मामले में अधिकारियों का रवैया किस तरह से है, इसका एक और सनसनीखेज खुलासा हो गया है। जिला पंचायत सीईओ अक्षत जैन ने जिस दावे से मीडिया को बताया था कि एक दूसरी जांच का प्रतिवेदन नर्मदापुरम कमिश्रर को भेजा है, यहां से कार्रवाई तय होगी। हकीकत यह है कि कमिश्रर ने बैतूल से किसी तरह का प्रतिवेदन मिलने से साफ इंकार कर दिया। कमिश्रर की इस बात से साबित हो गया है कि इस गबन कांड में शीर्ष अधिकारी भी गुमराह करने की जानकारी देकर भ्रम फैलाने से नहीं चूक रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण को बैतूल जिले में जमकर पलीता लगाया है। इसकी पूरी मानीटरिंग जिला पंचायत सीईओ के माध्यम से हर जनपद के सीईओ करते हैं, लेकिन पिछले 3-4 सालों में मिशन के तहत फर्जी फर्मों को करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया और अधिकारियों को खबर तक नहीं हुई। यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। इस मामले में कुछ जनप्रतिनिधियों पर भी बड़े अधिकारियों को संरक्षण देने के आरोप लग चुके हैं।
सत्तारूढ़ भाजपा के नेता भी करोड़ों के घोटाले में खुलेआम कह चुके हैं कि जांच के केवल औपचारिक बनकर रह गई है। बड़े अधिकारियों को बचाने के लिए मामला रफा-दफा तक करने के आरोप लगाए गए। उनके इस आरोप में अब सच्चाई दिखाई दे रही है। दरअसल जांच के नाम पर जिस तरह अधिकारी गुमराह करने वाली जानकारी दे रहे हैं। इससे आरोप लगाने वाले नेताओं की बात में भी सच्चाई नजर आने लगी है।
कमिश्रर ने जांच प्रतिवेदन मिलने से किया इंकार
पिछले कई दिनों से मीडिया में यह बातें सामने आ रही हैं कि चिचोली और भीमपुर जनपद में 13 करोड़ 21 लाख के घोटाले में एक जांच जिला पंचायत भी कर रही है। इसका प्रतिवेदन नर्मदापुरम कमिश्रर केजी तिवारी को भेजा गया। जांच प्रतिवेदन को लेकर सोमवार को कमिश्रर तिवारी से चर्चा की गई। उनसे पूछा गया कि जिला पंचायत से भेजे गए जांच प्रतिवेदन पर कार्रवाई कब तक होगी। इस पर उन्होंने तपाक से कहा कि उनके पास जिला पंचायत से किसी तरह का जांच प्रतिवेदन पहुुंचा ही नहीं है। उन्होंने दोहराया कि मामले की जांच जिला मुख्यालय से ही हो रही है। कमिश्रनर की इन बातों स्पष्ट हो गया कि पूरा मामला जिला प्रशासन के ईद-गिर्द घूम रहा है और कमिश्रर के पाले में गेंद डालकर अधिकारी अपने आप को बचा रहे हैं। इस संबंध में जिला पंचायत सीईओ से प्रतिक्रिया लेने के लिए कई नंबरों से उनके मोबाइल 9706675545 पर कई बार काल किया, लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
खुलकर सामने नहीं आ रहे जनप्रतिनिधि
गबन के मामले में भले ही क्षेत्र के दोनों विधायकों ने मीडिया में सूर्खियां बनने के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इतिश्री कर ली। घोड़ाडोंगरी विधायक ने अपने पत्र में दावा किया था कि मुख्यमंत्री से साइबर जांच की मांग की गई है। उन्होंने दोषियों को साइबर जांच के बाद कार्रवाई की भी भी मांग की थी, लेकिन मुख्यमंत्री कार्यालय से क्या जवाब आया अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है। दूसरे विधायक महेंद्र सिंह चौहान ने केवल चार लाइन की विज्ञप्ति जारी कर दोषियों पर कार्रवाई की बात कही थी। मजे की बात यह है कि विधायकों के पत्र पर जिले के अधिकारियों ने क्या किया, यह स्पष्ट नहीं हो सका है। यही वजह है कि भाजपा के जनप्रतिनिधि ही खुलकर इस मामले में कटाक्ष कर पार्टी की मुसीबत बढ़ा रहे हैं।
इनका कहना…
मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। बैतूल से जनपद पंचायतों में हुए घोटाले का कोई जांच प्रतिवेदन नहीं मिला है। इस तरह की जांच मुख्यालय से ही की जाती है।
केजी तिवारी, कमिश्रर नर्मदापुरम संभाग