Betul Samachar: कई ढाबों पर की गई अफीम की सप्लाई, पुलिस ने ढाबा संचालकों को उठाया

Betul Samachar: Opium was supplied at many dhabas, police picked up the dhaba operators.

अक्टूबर माह में ही आदिवासियों की जमीन पर लगा दी थी अफीम की फसल

Betul Samachar: बैतूल। एसपी निश्चल एन झारिया की अगुवाई में जिले में अफीम की अवैध खेती और कारोबार का पर्दाफाश करने के बाद अब धीरे-धीरे इस मामले की परत खुलने लगी हैं। सांझवीर टाईम्स ने सबसे पहले इस तथ्य का खुलासा किया था कि अफीम की खेती एक दो नहीं, बल्कि पिछले कुछ सालों से निरंतर की जा रही थी। यही नहीं बल्कि इस काले कारोबार में सुनियोजित तरीके से भोले आदिवासी किसानों की भावनाओं के साथ माफियाओं ने खिलवाड़ किया था।

सांझवीर का नया खुलासा यह है कि माफियाओं ने फसल के अनुकूल मौसम में ही अफीम की फसल की बोवनी कर दी थी और डोडे से अफीम निकालकर जिले के राजस्थानी और अन्य ढाबों में सप्लाई भी किया था। इसके बाद पुलिस ने कई ढाबा संचालकों को पूछताछ के लिए उठा लिया है त्रिस्तरीय स्तर पर हो रहा था काला कारोबार

एसपी निश्चल इन झारिया ने बताया कि मामला प्रदेश ही नहीं बल्कि अन्य प्रदेशों से जुड़ा हुआ है। अभी तक लगभग एक करोड़ रुपए की अवैध अफीम की खेती का भंडाफोड़ हो चुका है। अफीम की खेती के साथ साथ डोडा चुरा भी बरामद किया गया है। अफीम की खेती किस तरह सुनियोजित तरीके से की जा रही थी। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे सिस्टम के साथ इसकी खेती बकायदा विशेषज्ञों की देखरेख में की जा रही थी। नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त किये जाने के लिए पुलिस टीमें काम कर रही हैं। कोशिश की जा रही है कि जल्द से पुलिस सरगना तक पहुंच जाए। पुलिस को आर्थिक लेनदेन के भी साक्ष्य मिले हैं। जिसकी जांच के बाद पूरे मामले का खुलासा हो जाएगा।

मात्र 120 दिन की होती है अफीम फसल

जानकारी के मुताबिक नशीले पदार्थ की पैदावार करने वाले माफियाओं ने अफीम की खेती के जरिये कमाई भी शुरू कर दी थी। आमतौर पर अफीम की खेती की बोवनी का समय अक्टूबर माह का होता है। फसल कि बोवनी के बाद 120 दिन में पौधों में लगे डोडे से अफीम निकलनी भी शुरू हो जाती है। इस तरह जनवरी 2025 में ही पौधा पूरी तरह तैयार होकर डोडे का रूप धारण कर चुका था। सूत्र बताते हैं कि माफियाओं ने डोडे से अफीम निकालनी भी शुरू कर दी थी। शाम के समय डोडे में रेजर से चीरा मारकर इसमें पन्नी बांध दी जाती थी। सुबह पन्नी में जमा दूध एकत्रित कर लिया जाता था। यही दूध अफीम कहलाता है। सूत्र बताते हैं कि जो खेती सबसे पहले पुलिस ने पकड़ी थी। उस खेती के जरिये माफिया बड़े पैमाने पर अफीम निकाल चुके थे।

बड़े पैमाने पर ढाबों में हो रही थी अफीम की सप्लाई

सूत्र बताते हैं कि माफियाओं द्वारा डोडे से निकाली अफीम जिले के कई ढाबों पर सप्लाई की जा रही थी। सारणी के आसपास सहित, भोपाल, नागपुर, अमरावती जाने वाले मार्गों पर संचालित राजस्थानी और अन्य ढाबों पर इसकी सप्लाई की जा रही थी। यही अफीम ढाबों के संचालक ट्रक चालकों को बेच कर मोटा मुनाफा कमा रहे थे। पुलिस पूछताछ में यह तथ्य सामने आने के बाद कई ढाबों के संचालक अब पुलिस की रडार पर हैं।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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