Betul Samachar: नई शिक्षा नीति में उलझे औद्योगिक क्षेत्र के शिक्षण संस्थान, मान्यता रद्द होने का मंडरा रहा खतरा
Betul Samachar: Educational institutions of industrial area entangled in the new education policy, there is a danger of cancellation of recognition.

रजिस्टर्ड किरायानाम और डायवर्सन के बिना पोर्टल एक्सेप्ट नहीं कर रहा आवेदन, डब्ल्यूसीएल, एमपीपीजीसीएल की जमीन पर है दर्जन भर शिक्षण संस्थान
Betul Samachar: सारनी। राज्य शिक्षा केंद्र की नई शिक्षा नीति ने औद्योगिक क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों को मुश्किल में डाल दिया है। दरअसल जमीन का डायवर्सन और रजिस्टर्ड किरायानामा के बिना राज्य शिक्षा केंद्र का पोर्टल शिक्षण संस्थान की मान्यता प्राप्त करने का आवेदन एक्सेप्ट नहीं कर रहा। सबकुछ पहले की तरह नहीं रहा तो मप्र पॉवर जनरेटिंग कंपनी सारनी और वेस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड पाथाखेड़ा क्षेत्र की भूमि पर वर्षों से संचालित शिक्षण संस्थाएं मान्यता के अभाव में बंद हो जाएंगे। इससे करीब 4 हजार छात्र, छात्राएं और आरटीई के तहत प्रवेश प्राप्त करने वाले सैकड़ों गरीब छात्र, छात्राओं का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
इतना ही नहीं, इन निजी शिक्षण संस्थाओं में अध्यापन का कार्य कराने वाले लगभग 300 शिक्षकों के सामने भी रोजीरोटी का संकट उत्पन्न हो जाएगा। प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के जिला महामंत्री मोनू रिजवी ने बताया यह समस्या सिर्फ औद्योगिक क्षेत्र मात्र की नहीं है। बल्कि पूरे मप्र की है। मोनू रिजवी बताते हैं कि दान की भूमि, पट्टे की भूमि, शासकीय न्यास और औद्योगिक संस्थान की भूमि पर संचालित स्कूलों का रजिस्टर्ड किरायानाम और डायवर्सन नहीं हो सकता। ऐसे में मप्र में लगभग 18 हजार स्कूलों की मान्यता पर खतरा मंडरा रहा है। इससे आरटीई के लगभग 5 लाख बच्चें, 6.5 लाख शिक्षक स्टॉफ और लगभग 2 लाख चालक, परिचालक और भृत्य प्रभावित होंगे।
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यह शुल्क और दस्तावेज बढ़ाए
नई शिक्षा नीति में अनिवार्य दस्तावेजों के साथ शुल्क में भी वृद्धि की है। साथ ही नए शुल्क भी बढ़ाए हैं। जिसमें डीपीसी के नाम 40 हजार रुपए की एफडीआर, पोर्टल शुल्क 12 हजार और 5 हजार रुपए विलंब शुल्क है। इसके अलावा जमीन का रजिस्टर्ड किरायानामा, 12 शौचालय, आरओ वॉटर समेत अन्य दस्तावेज शामिल है। पाथाखेड़, शोभापुर और सारनी क्षेत्र में करीब 12 स्कूल ऐसे हैं, जो नई शिक्षा नीति के चलते मुश्किल में आ गए हैं। इन स्कूलों की मान्यता 31 मार्च तक है। इसके बाद नई शिक्षा नीति के अनुरूप आवेदन एक्सेप्ट नहीं होने पर स्कूलों की मान्यता स्वत: ही रद्द हो जाएगा। इसके चलते निजी स्कूल संचालक खासे परेशान है।
इनका कहना….
नई शिक्षा नीति में यह विसंगति पूरे मप्र स्तर पर है। सरकार की इस नीति के खिलाफ समस्त निजी शिक्षण संस्थान हाईकोर्ट में पिटिशन दायर करेंगे। सरकार की दोहरी नीति के कारण पूरे मप्र में लगभग 18 हजार स्कूल बंद होने की कगार पर है।
मोनू रिजवी, जिला महामंत्री, प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन
हमारे पास एमपीपीजीसीएल से अलाटमेंट लेटर है। इसी आधार पर मान्यता के लिए आवेदन किया है। बीआरसी ने स्कूल का निरीक्षण किया है। रजिस्टर्ड किरायनामा और डायवर्सन में उलझे हैं।
अर्जुन सिंह नगदे, प्रधान पाठक, गायत्री प्रज्ञापीठ, सारनी।