Politics : राजनीतिक हलचल: मन्दिर में वर्चस्व की लड़ाई ने क्यों लिया राजनीतिक रंग?? जेठानी के बड़े पद पर पहुंचते ही देवरानी ने किस वजह खोला मोर्चा???? विपक्ष के नेताओं ने अंक बढ़ाने, आकाओं के खुश करने कौनसा पैतरा खेला???? पढ़िए विस्तार से हमारे चर्चित कॉलम राजनीतिक हलचल में……
Politics: Political stir: Why did the fight for supremacy in the temple take a political color??

मंदिर में वर्चस्व की लड़ाई
शहर के एक प्रमुख मंदिर में वर्चस्व की लड़ाई ने राजनैतिक रंग ले लिया है। वैसे कई लोगों की प्रतिष्ठा का प्रश्नचिन्ह यह मंदिर बना हुआ है। अब चर्चा है कि एक पक्ष संघ के जिम्मेदार पदाधिकारियों का खूब उपयोग कर रहा है। शिकायत करने वाले लोगों को संघ के एक प्रांत प्रमुख से फोन करवाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने के प्रयास हो रहे हैं। इसके लिए बकायदा संबंधितों से लिखवाकर मामला ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास किया जा रहा है। इसकी भनक जैसे ही दूसरे ग्रुप को लगी तो वह भी अपने राजनैतिक रसूख का उपयोग कर समझौते से मूड में नहीं दिखाई दे रहे हैं। यही वजह है कि धार्मिक आस्था से जुड़ा मामला अब राजनैतिक रंग ले चुका है। ऐसे में वर्चस्व की जंग में कौन बाजी मारता है, यह अंतिम समय में ही पता चलेगा।
देवरानी ने बढ़ाई जेठानी की मुसीबत
सत्तारूढ़ पार्टी ने एक महिला पदाधिकारी को अपने क्षेत्र का प्रमुख पद से नवाजा जाना उनकी देवरानी को ऐसा खटका कि शिकायतों का पुलिंदा सबके सामने रखा जा रहा है। देवरानी-जेठानी में पारिवारिक विवाद और जायजाद को लेकर पुरानी अनबन चल रही है। मामला थाने तक भी पहुंचा, लेकिन अब तक यह मामला सुर्खियों में नहीं था। जेठानी को जैसे ही एक बड़ा पद मिला, देवरानी ने फ्रंटफुट पर आकर खेलना शुरू कर दिया और उनके पूरे आपराधिक प्रकरण निकालकर चि_ा खोल दिया। देवरानी के इस दाव से राजनैतिक तालुकात रखने वाली जेठानी की मुसीबत बढ़ा दी है। चर्चा है कि देवरानी के इस मास्टर स्ट्रोक ने जेठानी को मिली जिम्मेदारी पर फिलहाल विवाद बढ़ा दिया है। चर्चा है कि नियुक्ति का मामला प्रदेश संगठन तक पहुंच गया है। किसी भी समय इसमें निर्णय लिया जा सकता है।
विपक्ष के नेताओं की अंक बढ़ाने की कवायद
विपक्षी पार्टी के कुछ नेता इन दिनों बिना पद के होने की वजह से टाइमपास करते नजर आ रहे हैं। पिछले दिनों उन्हें एक शक्ति प्रदर्शन ेमें राजधानी जाने का मौका मिला तो इसे भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। चूंकि जिले में अलग-अलग नेताओं के समर्थक मौजूद है। ऐसे में प्रदर्शन के बाद अपने आंकाओं को खुश करने के लिए बंगलो तक की दौड़ लगा बैठे। इनमें से कुछ ऐसे नेता भी थे जो आने वाले चुनाव के लिए टिकट की जुगत में लगे है। इन्होंने भी दमदारी से बढ़ा चढ़ाकर शक्ति प्रदर्शन में शामिल होने के कसीदें अपने आंकाओं के सामने पढ़ दिए। टिकट के संभावित दावेदरों में चापलूस और 2-4 लोगों के साथ मिलकर आंका को यह बताने का प्रयास किया कि वे भीड़ लेकर आए, लेकिन जब उन्हें वस्तुस्थिति पता चली तो चुनाव हार चुके इन नेताओं को मुंह की खानी पड़ गई।