Betul Samachar: प्रशासनिक कोना: साहब के तबादले पर कालोनाइजरों ने आखिर किसके साथ मनाई खुशियां?? पुराने कलेक्ट्रेट में शाम ढलते ही कौन छलका रहे जाम??? थानेदार की झूठी निष्ठा किसके लिए बनी सिरदर्द???? विस्तार से पढ़िए हमारे चर्चित कॉलम प्रशासनिक कोना में…….
Betul Samachar: Administrative Corner: With whom did the colonizers celebrate

कालोनाइजरों ने क्यों मनाई खुशी?
राजस्व विभाग के एक अधिकारी को ईमानदारी के साथ कालोनाइजरों पर नकेल कसना महंगा पड़ गया। उन्हें ईमानदारी का इनाम लूपलाइन में भेजकर चुकाना पड़ा है। कहा जाता है कि राजस्व विभाग के इन साहब ने अपनी पदस्थापना के कुछ माह में ही अवैध कॉलोनियों को खसरे में दर्ज करवाने के अच्छे प्रयास किए। यह प्रयास मूर्त रूप लेते, इसके पहले ही उनकी रवानगी हो गई और कालोनाइजरों को खुशी बनाने का मौका मिल गया। उनके साथ पटवारी भी फिलगुड महसूस कर रहे हैं।
उन्हें भी अब कालोनाइजरों की सेवा का लाभ मिल जाएगा। यदि साहब अवैध कालोनी का मामला खसरे में दर्ज करवा देेते तो कालोनाइजरों के साथ पटवारियों के भी लेनेदेने पड़ जाते। साहब के हटने के बाद कालोनियों की जानकारी छिपाने वाले आरआई और पटवारी का दबदबा अब बरकरार रहने की उम्मीदों से इंकार नहंी किया जा सकता है।
साहबों की महफिल में टकरा रहे जाम
शासन को हर दिन लाखों का राजस्व देने वाले दो डिप्टी साहब की शाम ढहलते ही जमने वाली महफिल इन दिनों पुराने कलेक्ट्रेट में खासी सुर्खियां बटोर रही है। शाम 7 बजते ही इस दफ्तर में आजू-बाजू बैठने वाले दोनों साहबों के मन की तरंग ऐसी हिल्लोरे मारती है कि कब बोतल बाहर निकाली जाए और कब चियर्स करें। चर्चा है कि कार्यालय से ही जुड़े एक कमरे में चियर्स के साथ चखने के लिए इन्हें आसानी से संसाधन राजस्व देने वाले ही जुटा रहे हैं।
दरअसल देर रात तक जमने वाली महफिल में दिन भर की थकान मिटाने का बाहना बनाकर विभाग से ही जुड़े नुमाइंदों से महंगी बोतल बुलवाई जा रही है। दोनों साहब की इस महफिल के कारण छोटे कर्मचारी भी खासे परेशान है और चाहकर भी कुछ बोल नहीं पा रहे हैं।
थानेदार की झूठी निष्ठा-चापलूसी
एक थानेदार क्षेत्र के माननीय के प्रति झूठी निष्ठा और चापलूसी की हदें पार कर रहे हैं। अब धीरे-धीरे थानेदार साहब के रवैऐ में भी बदलाव आया है। माननीय के साथ उनके विरोधियों से भी स्नेह रखने लगे हैं। चर्चा है कि पिछले दिनों एक विरोधी के निजी आयोजन में थानेदार साहब ने पैर पकड़कर आपका आशीर्वाद बना रहे, जैसी बात सुनी है। थानेदार ने यह भी कहा कि आपका आशीर्वाद बना रहे तो बात खाली नहीं जाएगी।
चर्चा यह भी है कि उस समय सत्तारूढ़ पार्टी के एक पार्षद के संज्ञान में भी यह मामला आया, लेकिन माननीय के यह भी विरोधी का विरोधी है, इसलिए मामला आगे नहीं बढ़ पाया। हालांकि पार्षद इस मामले में खासे नाराज है कि बड़ी आंखों वाले थानेदार साहब के चंगुल से माननीय को मुक्ति क्यों नहीं मिल रही।
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