Betul News:  ठेकेदारी-आर्थिक लाभ की वजह से सारणी भाजपा में बढ़ी गुटबाजी

Betul News: Due to contractual-economic benefits

भाजपा मंडल अध्यक्ष की तथाकथित आत्महत्या के बाद पार्टी के ही नेता आरोपी बने, पार्टी की छवि खराब होने से उठाना पड़ सकता है नुकसान

Betul News: बैतूल। जिले की सबसे बड़ी नगरपालिका में ठेकेदारी और आर्थिक लाभ भाजपा के लिए गले की हड्डी बन गया है। पिछले कुछ वर्षों से हालात यह बन गए हैं कि तथाकथित भाजपा नेता अपने आप को सर्वेसरवा समझकर पार्टी की लुटिया डूबने में लगे हैं, लेकिन अपने हित के लिए वरिष्ठ नेता भी चुप्पी साधे बैठे हैं। इसी का परिणाम है कि पिछले दिनों भाजपा के सक्रिय नेता और मंडल उपाध्यक्ष रविंद्र देशमुख ने पार्टी के ही दो बड़े पदाधिकारियों समेत 10 लोगों पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए रिवाल्वर मारकर आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया। पुलिस ने बिना देरी किए सुसाइड नोट के आधार पर सारणी के विधायक प्रतिनिधि मंडल महामंत्री सहित अन्य लोगों को आरोपी बना दिया। इससे भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी और कलह जमकर उजागर हुई है।

सारणी नगरपालिका में ठेकेदारी करना कौन नहीं चाहता। लगभग सौ करोड़ सालाना बजट वाली नगरपालिका को दुधारू गाय की श्रेणी दी गई है। यही वजह है कि यहां न सिर्फ विपक्षी पार्टी और अन्य लोग बल्कि भाजपा के भी अधिकांश पदाधिकारी ठेकेदार बन गए हैं। इक्का-दुक्का को छोड़ दे तो सारणी नगरपालिका में सारे पदाधिकारी ठेकेदार के रूप में रजिस्टर्ड है। इतना जरूर है कि अपना नाम सामने कर कुछ पदाधिकारी ऐसे भी है जो दूसरों के नाम ठेका लेकर आर्थिक रूप से लाभ ले रहे हैं। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं से भी दबाव बनाने की राजनीति लंबे समय से चल रही है।

ठेकेदार और आर्थिक लाभ का ही नतीजा है कि सारणी में पिछले कुछ वर्षों से भाजपा के पदाधिकारियों में तालमेल नहीं है। भले ही नगरपालिका और विधानसभा में भाजपा का वर्चस्व है, लेकिन यहां विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी कमजोर नहीं कही जा सकती है। इसके उदाहरण नपा और विधानसभा चुनावों में भी देखने को मिल चुकी है। भाजपा का परंपरागत वोट बैंक गुटबाजी के कारण ही कांग्रेस खेमे में जा रहा है। यह बात पार्टी के वरिष्ठ नेता भी अच्छी तरह से जानते हैं।

गुटबाजी से बड़ी तकरार

सूत्र बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह नगरपालिका और सतपुड़ा ताप विद्युत गृह में ठेकेदारी को लेकर वर्चस्व की जंग छिड़ी है, इसी वजह भाजपा े में गुटबाजी भी जमकर बड़ी है। रही कसर पद को लेकर भी सामने आ चुकी है। इसका उदाहरण पूर्व में देखा जा चुका है, जब आदित्य शुक्ला का कार्यकाल शुरू होते ही कमलेश सिंह को जिला महामंत्री बनाया था तो उस समय तक जिला कार्यकारिणी में शामिल रंजीत सिंह की नाराजगी सामने आई थी। उन्हें बैलेंस करने के लिए स्थानीय विधायक डॉ योगेश पंडाग्रे को उन्हें विधायक प्रतिनिधि बनाना पड़ा था।

जिला स्तर की यह बात यही खत्म नहीं होती है। पार्टी के सारणी पाथाखेड़ा और बगडोना में एक नहीं बल्कि तीन से चार गुट अलग-अलग बनाकर वर्चस्व की लड़ाई लड़ी जा रही है। गुटबाजी के कारण ही भाजपा नेता एक दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। नपा के चुनाव में भी टिकट वितरण को लेकर यह घमासान चरम पर पहुंचा था। यह नजारा खुद विधायक ने भी देखा था। इसके बाद टिकट वितरण में भी उन्होंने फूंक -फूंक कर कदम रखा था और सामंजस्य स्थापित कर टिकट वितरित की थी। इसके बावजूद बड़ी संख्या में पार्टी के नेता बगावत कर मैदान में उतर गए। हालांकि बाद में भले ही वे पार्टी में शामिल हो गए, लेकिन इससे भाजपा की अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आई थी। सारणी में होने वाले कार्यक्रमों में अलग-अलग धड़े में बटे भाजपाई अपने आप को श्रेष्ठ बताने के लिए वरिष्ठ नेताओं के सामने कोई कसर नहीं छोड़ रहे।

रविंद्र आत्महत्या मामले से पार्टी की हर तरफ किरकिरी

सूत्र बताते हैं कि पार्टी के मंडल अध्यक्ष और ऊर्जावान नेता रविंद्र देशमुख की आत्महत्या के बाद भाजपा की गुटबाजी सतह पर आ गई है। जिस तरह उन्होंने अपने सुसाइट नोट में विधायक प्रतिनिधि रंजीत सिंह, भाजपा मंडल महामंत्री प्रकाश शिवहरे, उनके भाई दीपक समेत अन्य के नाम लेकर पार्टी में खलबली मचा दी है। पुलिस ने मंगलवार जब निष्पक्ष रूप से सभी पर एफआईआर की तो पार्टी काफी सदमे में है। पहला सदमा पार्टी के एक जमीनी कार्यकर्ताओं को खोने और दूसरा अपनी ही पार्टी के सीनियर वरिष्ठ नेताओं के मामले में आरोपी बनने से जुड़ा है।

दोनों ही मामलों में पार्टी की काफी किरकिरी हो रही है। जानकार सूत्र बताते हैं कि सारणी और पाथाखेड़ा में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में जिस तरह गुटबाजी हो रही है, उसी का खामियाजा है कि जमीनी कार्यकर्ता को खोने के बाद भाजपा अवसाद से उबर नहीं पाएगी। जिस तरह विधायक डॉ योगेश पंडाग्रे भी मामले में बैलेंस बनाकर चल रहे हैं, इसे भी तथाकथित नेता अपने आप को श्रेष्ठ बताने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रहे हैं। सारणी में यदि यही सिलसिला चलता रहा तो आने वाले चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

इनका कहना…

यह बात सही है कि सारणी में भाजपा नेताओं में गुटबाजी बड़ी है। हमने मंडल उपाध्यक्ष रविंद्र देशमुख की आत्महत्या के मामले में निष्पक्ष जांच के लिए पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को कहा है। इस मामले में मैं किसी का भी पक्षधर नहीं हूं। हमने पार्टी का एक ऊर्जावान कार्यकर्ता खोया है, उसके पूरे परिवार से हमारी सहानूभूति है। मामले में मेरे प्रतिनिधि पर एफआईआर हुई है, इसलिए निष्पक्ष जांच के लिए कहा है। यदि जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, निश्चित रूप से संबंधित पर कड़ा एक्शन लिया जाएगा।

डॉ योगेश पंडाग्रे, विधायक आमला-सारणी

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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