भाजपा नेता की आत्महत्या मामले में सियासत तेज, पत्रकारों के प्रतिनिधिमंडल ने भोपाल में डीजीपी से मुलाकात की

आरोपी बनाए गए भाजपा नेता ने आरोपों को नकारा, अवैध पिस्टल और दूसरे मोबाइल को लेकर कही ये बड़ी बात

सारनी। महावीर स्वामी वार्ड क्रमांक 36 के न्यू रिटयरमेंट कॉलोनी में सोमवार को 8.30 बजे के करीब अपने आवास पर कंप्यूटर संचालक रवि देशमुख के माध्यम से अपने घर में अवैध पिस्टल से गोली मारकर आत्महत्या कर ली गई है। इस मामले में क्षेत्र के कई जनप्रतिनिधि और पत्रकारों का नाम सुसाइड नोट में दर्ज किया गया है। इस मामले में मंगलवार को क्षेत्र के पत्रकारो का एक प्रतिनिधिमंडल पुलिस महानिदेशक से मुलाकात कर रवि देशमुख के माध्यम से अपने घर में अवैध पिस्तौल से की गई आत्महत्या और उसके सुसाइड नोट में हस्त लिपि की जांच कर उसके बाद मामला दर्ज किए जाने की मांग की है।

मोबाइल के सीडीआर के जांच की मांग

भाजपा नेता रंजीत सिंह ने बताया कि ज्ञापन में बताया गया है कि अवैध तरीके से बीसी का संचालन करने वाले रवि देशमुख ने सुसाइड नोट में ऐसे जनप्रतिनिधि और पत्रकारों के नाम भी लिखे हैं, जिनसे उनकी वर्षों से मोबाइल पर बात तक नहीं हुई है और ना ही इनका किसी प्रकार का निकट संपर्क रहा है। उनके नाम सुसाइड नोट में लिखा होना किसी साजिश की ओर इशारा करता दिखाई दे रहा है। मृतक रविन्द्र देशमुख के मित्र अनील खवसे ने भी एक माह पूर्व शोभापुर कालोनी में आत्महत्या की थी। यह दोनों लोग मिलकर क्षेत्र में अवैध बीसी और सोसायटी का कारोबार करते थे।

इनकी बीसी और सोसायटी में बड़ी मात्रा में क्षेत्र के व्यापारियों एव डब्लूसीएल कर्मियो का पैसा लगा हुआ था। जो लेनदारों को वापस नही कर रहे थे। लेनदारों द्वारा इसकी शिकायत लगातार पाथाखेडा चौकी, सारनी थाने,अनुविभागीय पुलिस कार्यालय सारनी एवं पुलिस अधीक्षक को की गई थी। कई लेनदारों द्वारा चैक बाउंस करा कर न्यायलय बैतुल में प्रकरण चल रहा था।रवि देशमुख द्वारा सुसाइड की घटना कहीं ना कहीं अनिल खवसे सुसाइड केस और अवैध बी सी सोसायटी के कारोबार से जुड़ी है। इस सुसाइड नोट में क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों के नाम का उल्लेख होना संदिग्ध है, क्योंकि इनमें से बहुत से लोगों का रवि से कभी कोई संपर्क नहीं रहा है।

अनिल खवसे के आत्महत्या के बाद पत्रकारगण मामले से जुड़ी खबरें छाप रहे थे। जिसके चलते पत्रकारों को निशाना बनाने की कोशिश की गई है। ऐसे पत्रकारों के नाम सुसाइड नोट में होने की जानकारी क्षेत्र में सुर्खियां बटोरते दिखाई दे रही है। मृतक रवि देशमुख ने जिस पिस्टल से गोली चलायी वह पिस्टल लाइसेंसी नही है।यह पिस्टल उसे किसने उपलब्ध करायी यह भी जांच का विषय है। मृतक रवि देशमुख के पास दो मोबाइल थे आत्महत्या के बाद से उसका एक मोबाइल लापता है।

घटनास्थल पर पुलिस के आने के पहले सबूतों से छेड़छाड़ होने की आशंका है। सुसाइड नोट में राइटिंग दो प्रकार की है इसकी भी हैडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच कराई जानी चाहिए। मृतक द्वारा 6 पन्नों का सुसाइड नोट लिखा गया है। भाजपा नेता ने सिंह ने बताया कि आत्महत्या के लिए प्रेरित हुआ व्यक्ति इतना लंबा सुसाइड नोट बिना किसी उकसावे या योजना के लिखेगा इसमें संदेह है कि किसी अन्य व्यक्ति ने योजनाबद्ध रूप से उससे सुसाइड नोट लिखवाया है और उसे सुसाइड के लिए प्रेरित किया है।

पत्रकारों और जनप्रतिनिधियों को फंसाने से किसका फायदा हो सकता है इस मामले की भी जांच की जाना चाहिए। रवि देशमुख के दोनों मोबाइल की कॉल डिटेल निकाल कर जांच की जाना चाहिए, इसमें सुसाइड नोट में लिखे नामों से रवि देशमुख के संपर्क है या नहीं यह भी स्पष्ट हो जाएगा।

इन सभी विषय पर बिंदुवाद जांच की जानी चाहिए। उसके बाद इस मामले में मामले दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होने कहा कि यह मामला पिछले 1 वर्ष से क्षेत्र के प्रतिष्ठित लोगो ने शिकायत थाने व एसडीओपी कार्यालय मे की समय रहते पुलीस कार्यवाही करती तो आज यह नौबत नही आती लोगो के करोड़ो रुपये डुब गये वह कौन लोग है,जिन्होंने इस मामले को बचाने का कार्य किया इसकी जांच होनी चाहिये।

भाजपा नेता ने सारे आरोपों को नकारा

जारी प्रेस नोट में आमला विधायक डॉ योगेश पण्डागरे के प्रतिनिधि रंजीत सिंह ने जारी प्रेस नोट में बताया कि सुसाइड नोट पर मेरा नाम आने की जानकरी आप लोगो के माध्यम से मिली है। मै सिर्फ इतना कहना चाहता हू कि रवि देशमुख से मेरी कोई दुश्मनी नही थी। दो वर्षो मे न तो मेरी उससे बात हुई न मेरे मोबाइल मे उसका नम्बर है। मेरी दो वर्षो की सीडीआर निकाली जाये।

उन्होंने दावा किया कि मेरे नम्बर से रवि देशमुख या अभिषेक साहू किसी से आज तक बात नही हुई। जांच तो इस बात की होनी चाहिए कि सुसाइड मे प्रयोग की गयी रिवालवर किसने उपलब्ध कराई है। इसके अलावा इस बात की होनी चाहिये कि मृतक का दूसरा मोबाइल का न मिलना सुसाइड नोट दो प्रकार की होने के बावजूद हैडराइटिंग एक्सर्पट की जांच के बगैर मामला को बनाया राजनैतिक षड्यंत्र की ओर दर्शाता है।

Ankit Suryawanshi

मैं www.snewstimes.com का एडिटर हूं। मैं 2021 से लगातार ऑनलाइन न्यूज पोर्टल पर काम कर रहा हूं। मुझे कई बड़ी वेबसाइट पर कंटेंट लिखकर गूगल पर रैंक कराए हैं। मैने 2021 में सबसे पहले khabarwani.com, फिर betulupdate.com, sanjhveer.com, taptidarshan.com, betulvarta.com, yatharthyoddha.com पर काम करने का अनुभव प्राप्त हैं।इसके अलावा मैं 2012 से पत्रकारिता/मीडिया से जुड़ा हुआ हूं। प्रदेश टुडे के बाद लोकमत समाचार में लगभग 6 साल सेवाएं दीं। इसके साथ ही बैतूल जिले के खबरवानी, प्रादेशिक जनमत के लिए काम किया।

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