Politics: राजनीतिक हलचल: शहर के पानठेले पर हुई चर्चा क्यों बटोर रही सुर्खियां?? किस अध्यक्ष की आर्थिक मजबूती के तलाशे जा रहे कारण??? आखिर यहां क्यों बने मुंह में राम, बगल में छुरी जैसे हालात???? पढ़िए विस्तार से हमारे चर्चित कॉलम राजनीति हलचल में…..
Politics: Political turmoil: Why is the discussion on the panhandle of the city making headlines??

पानठेले की चर्चा क्यों बटोर रही सुर्खियां ?
शहर के एक व्यस्तम चौराहें के पानठेले पर हुई एक चर्चा इन दिनों जमकर सुर्खियां बटोर रही है। चूंकि मामला राजनीति से जुड़ा है, इसलिए इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। चर्चाओं पर यकीन करें तो नपा क्षेत्र में बनने वाली सड़क की ड्राइंग डिजाइन बदल रही है। इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही पार्टी के लोगों का नफा-नुकसान को लेकर जमकर कटाक्ष किए जा रहे हैं। इसी बीच विपक्षी पार्टी के एक पूर्व जनप्रतिनिधि अपने घर के सामने की सड़क के गड्ढें की चिंता पर आंदोलन के लिए मजबूर कर रही थी। चर्चा यही नहीं रूकी और पूर्व जनप्रतिनिधि के एक समर्थक बोल पड़े कि पार्टी के ही जिला अध्यक्ष का निवास भी उसी क्षेत्र में है। क्या वे भी इसलिए हम साथ-साथ है का संगीत बजा रहे थे। इसके बाद पानठेला संचालक खुद बोल पड़ा कि सत्ता पक्ष पार्टी के एक जनप्रतिनिधि, विपक्षी पार्टी के एक जनप्रतिनिधि के आंदोलन के पीछे का दर्द भाप गए और सड़क की ड्राइंग डिजाइन के बहाने पक्का इलाज करके दे रहे।
अध्यक्ष की आर्थिक मजबूती के तलाश रहे कारण
सत्ताधारी पार्टी के अध्यक्ष बने एक प्रमुख नेता की चार साल में भी आर्थिक सेहत नहीं सुधरी, लेकिन उनके अधीन आने वाले कुछ मंडलों के जिम्मेदार की स्थिति फर्श से अर्श पर पहुंचने के कारण तलाशे जा रहे हैं। इनकी आर्थिक स्थिति दिन दूनी और रात चौगुनी होना हैरत का विषय बना हुआ है। एक दो अध्यक्ष तो इतने तेज चल रहे हैं कि कार्यकर्ता और उनका पुराना हिसाब-किताब जाने वाले सोचने पर मजबूर है। चर्चा है कि एक अध्यक्ष अपनी आर्थिक सेहत बेहतर बनाने के लिए जरूरत से ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि उस क्षेत्र के माननीय भी इन अध्यक्ष की किसी सिफारिश पर अब दस बार मंथन करने लगे हैंं। पहले अध्यक्ष को हाईवोल्टेज तवज्जों मिलती थी और उनके बोलते ही पूरे काम हो जाया करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल गई है।
मुंह में राम, बगल में छूरी जैसे हालात
एक क्षेत्र के दूसरे जिले में शामिल होने की चर्चाओं के बीच चर्चाएं जोरों पर है। इसमें किसका फायदा और किसका नुकसान होगा यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन दोनों ही पार्टियों के प्रमुख नेता और जनप्रतिनिधियों को संभावित फेरबदल से टेंशन नहीं हो रही है। भले ही वे लोगों की सहानुभूति के लिए तरह-तरह के बयान दे रहे हैं। चर्चा यह हो रही है कि क्षेत्र का परिसीमन हुआ तो पुराने विधानसभा का गठन हो सकता है।
यदि ऐसा हुआ तो सत्ता पक्ष और विपक्षी के दोनों बड़े जनप्रतिनिधियोंको फायदा होगा, इसलिए वे अंदर ही अंदर खुश दिख रहे हैं। कहा जा रहा है कि जनप्रतिनिधि मुंह में राम और अगल में छूरी जैसी कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। इसके विपरित क्षेत्र के प्रतिनिधि करने वाले पूर्व निर्दलीय जनप्रतिनिधि की इस मामले में हूंकार भरने की तैयारियां शुरू हो गई है।
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